health tips – आज कल ज़्यादातर लोग धन कमाने मे इतने व्यस्त हो गए हैं की अपनी सेहत की तरफ ध्यान ही नहीं देते।जिसके चलते मोटापा ,मधुमेह ,दिल की बीमारियाँ ,पेट की बीमारी ,जैसी नई नई छोटी बड़ी बीमारियों से घिरे जाते है .
लंबे समय तक जीवन का असली आनंद तभी ले पगोगे जब आप स्वस्थ रहोगे आपका शरीरी निरोगी रहेगा | धन तो फिर भी कमाया जा सकता है लेकिन एक बार स्वस्थ बिगड़ जाए तो बहुत मुश्किल से सुधरता है , या फिर सारी जिंदगी दवाइयों के सहारे चलना पड़ता है |इसलिए जीवन मे धन से जादा एक अच्छी सेहत का होना जरूरी है |
तो आज हम आपको आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन कैसे जिये और शरीर को निरोगी कैसे रखे |health tips
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health tips शरीर की 300 बिमरियों की जड़
शरीर की 300 बिमरियों की जड़ | health tips in hindi – दोस्तों यदि जीवन भर निरोगी बना रहना चाहते हो तो अपने शरीर की इस प्रकृति को जान लो |
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ , क्योकि हर इंसान की शारीरिक प्रकृति एक जैसी नहीं होती यह प्रकृति तीन भागो मे बाटी गई है जिसे शरीर के तीन दोष के नाम से भी जाना जाता है |
इनका नाम है – वात्त , पित्त, कफ़ vata pitta kapha जी हाँ दोस्तो अक्सर आपने ये नाम अपनी लाइफ मे बहुत बार सुने भी होंगे , आज हम आपको इनके बारे कुछ चौका देने वाले तथ्य बताएँगे तो चलिये आज इनके बारे मे वो जरूरी बाते जान लेते है जिसे जानने के बाद आप जीवन भर अपने शरीर को निरोगी रख सकते है |
पहले तो यह जान लो की आखिर इसे तीन दोष यानि इन्हे शरीर का दोष क्यो कहा जाता है ?
दोस्तो भारत मे हजारो साल पहले ही हमारे महान ज्ञानी ऋषियों मुनियों ने शरीर के इन तीन दोषो का पता लगाया था जो की आयुर्वेद के बहुत बड़े ज्ञाता थे जिन्होने आयुर्वेद और स्वास्थ्य के ऊपर किताबे लिखी जैसे महरीशि चरक ने चरक सहिंता नाम की किताब लिखी और और अस्टाङ हिरद्यम जैसी महान किताब भी लिखी |
इन्होने शरीर मे पैदा होने वाली लगभग छोटी बड़ी 300 बीमारियों का कारण इन वात्त , पित्त, कफ़ को बताते हुए कहा की जब शरीर मे इन तीनों का संतुलन बिगड़ जाता है तो लगभग छोटी बड़ी 300 बीमारियों मे से किसी भी बीमारी से शरीर ग्रस्त हो जाता है |इसलिए शरीर का तीन दोस कहा गया है इनके संतुलन के बिगड़ने का मूल कारण हमारे खान पान और दिनचर्या पर निर्भर करता है |
तो दोस्तो अब आप ऋषियों की कही गई इन बात से समझ जाइए की इनका संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है |
आखिर क्या है यह वात्त , पित्त, कफ़ ?
शरीर मे कहाँ पर होता है वात्त , पित्त, कफ़?
इनका संतुलन बिगड़ जाने पर कितनी प्रकार की बीमारियाँ शरीर को प्रभावित करती है ?
ऋषियों और आयुर्वेदों के अनुसार खान पान और दिनचर्या के किन नियमो का पालन करके हम इनका संतुलन बनाए रख सकते है ?
आयुर्वेद के अनुसार आज हम इन्ही सवालों के जवाब आपको देने जा रहे है |तो चलिये दोस्तो इनके बारे मे अब विस्तार से जानने की कोसिस करते है |
शरीर की 300 बिमरियों की जड़ | health tips
आखिर क्या है यह वात्त , पित्त, कफ़ ?
दोस्तो यह कोई बीमारी नहीं है जिसे आप खत्म कर दोगे ,यह शरीर की एक प्रकृति है जिसे सिर्फ संतुलित किया जा सकता है यह ठीक उसी प्रकार से है जैसे हमारे शरीर मे रक्त, क्योकि शरीर मे यदि रक्त की मात्रा बढ़ जाए तो खतरा और घट जाए फिर भी खतरा इसलिए संतुलन बहुत जरूरी है | शरीर तब तक निरोगी रहता है जा तक वात्त , पित्त, कफ़ ? का संतुलन बना रहता है |
शरीर की 300 बिमरियों की जड़ | health tips
इनका संतुलन बिगड़ जाने पर कितनी प्रकार की बीमारियाँ शरीर को प्रभावित करती है ?
शरीर मे यदि कफ असंतुलित हो जाए तो छोटे बड़े 28 रोग पैदा होते है | यदि पित्त असंतुलित हो जाए तो छोटे बड़े 40 से 50 रोग पैदा हो जाते है | वही यदि वात्त असंतुलित हो जाए तो छोटे बड़े लगभग 80 रोगो से शरीर ग्रसित है | vata pitta kapha
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क्यो हो जाता है इनका असंतुलन ?
इनका असंतुलन होना हमारे खान पान और दिनचर्या पर निर्भर करता है कैसा खाना हम खाते है कैसा पानी पीते है सिर्फ यही नहीं बल्कि हमारे खाना खाने का तरीका कैसा और पानी हम कब और कैसे पी रहे है| health tips
दोस्तो यह तो आप सभी जानते हो की हमारा शरीर पाँच महाभूतों यानि जल ,अग्नि, वायु , मिट्टी , आकाश |
यह असल मे तीन धातुए होती है जो हमारे शरीर का संचालन करती है तथा शरीर को निरोगी रखती है और जब इन धातुओं का संतुलन बिगड़ जाता है तो शरीर कई प्रकार की छोटी बड़ी बीमारियों से ग्रसतीत हो जाता है | यही पाँच महाभूत मिलकर शरीर मे वात्त , पित्त, कफ़ इन तीन धातुओं का निर्माण करती है | वायु और आकाश मिलकर वात्त बनाते है , अग्नि और जल मिलकर बनाते है |वहीं पृथ्वी और जल मिलकर कफ का निर्माण करते है |
इसी से संबन्धित और्वेद मे कहा गया है की वायु: पितम कफ श्वेती त्र्यों दोषा समासता:
अर्थात इन तीनों धातुओ को शरीर मे दोष माना जाता है |
यह दोष सरीर मे किस स्थान पर पाई जाती है ?
आयुर्वेद मे सिर से ले कर छाती तक के हिस्से को कफ़ कहा गया है यानि की सिर से लेकर छाती तक की जो भी बीमारिया या समस्याएँ होती है उन्हे कफ़ रोग अथवा कफ़ दोष कहा जाता है| health tips
वहीं छाती से लेकर पेट तक जो समस्याए होती है वह पित्त स्मसयाए होती है | आयुर्वेद मे कहा गया है की मात्र पेट से जुड़ी समस्याओ से ही शरीर लगभग 50 बीमारियों जैसे कब्ज़ बनना , गैस बनना ,पेट मे जलन , पेट ठीक से साफ न होना ,
खाने का ठीक से न पचना से होने वाली समस्या की वजह से मुह पर दाने पिंपल झाइयाँ , सिर दर्द आदि रोगो से शरीर ग्रसित हो जाता है |पित्त शब्द संस्कृत के ‘तप’ शब्द से बना है जिसका मतलब है कि शरीर में जो तत्व गर्मी उत्पन्न करता है वही पित्त है। health tips
दोस्तो जब इंसान बाल अवस्था से युवा अवस्था तक पहुंचता है तब उसके शरीर मे धातुओं का निर्माण होना शुरू हो जाता है | तब युवा अवस्था से वृद्धा अवस्था तक गैस कब्ज पेट मे जलन जैसी सम्स्स्यए अधिक देखने को मिलती है |
कमर से लेकर पैर तक की जो भी स्मसयाए होती है वह वात्त की स्मसयाए होती है यानि वात्त के असंतुलन की वजह से कमर के नीचे वालो हिस्सो मे केल्शियम की कमी होनी शुरू जाती है जिस वजह से अक्सर अक्सर कमर दर्द, जोईंट पेन , घुटनो मे दर्द चलने मे मुश्किल होना जैसे स्मसयाए आने लगती है |
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शरीर की 300 बिमरियों की जड़ | health tips
वात्त , पित्त, कफ़ का शरीर मे मुख्य काम –
वात्त का हमारे शरीर मे मुख्य कम ब्लड की मूमेंट को सही रखना और व्यर्थ पदार्थ यानि मल मूत्र और पसीने को शरीर से बाहर निकालना है | इसी प्रकार पित्त का मुख्य काम मेटाबोलिसम को बनाए रखना यानि पाचन क्रिया को ठीक रखना होता है इसके इलवा भूख प्यास और बॉडी टेम्परेचर को ठीक करके रखना होता है |
तीसरा है कफ़ जो की प्र्थ्वि और जल से बनता है जिसका काम होता है शरीर की सरचना और ग्रोथ करने मे मदद करना |
शरीर की 300 बिमरियों की जड़ | health tips
चलिये अब जानते है उन छोटी छटी लापरवाही के बारे मे जिनकी वजह से अक्सर इनका संतुलन बिगड़ जाता है |
शरीर मे इनका असंतुलन अधिकतर गलत खान पान की वजह से ही होता है अक्सर खान पान को लेकर हम इतनी सारी लापरवाही करते है जिनके बारे मे आप अब तक अंजान है | जैसे समय पर भोजन न करने से , दिन का भोजन शाम को और देर रात को करने से , अधिक तला भुना और मसालो वाला भोजन खाने से , बोजान के तुरंत बाद गिलास भर पानी पी लेने से इनका असंतुलन हो जाना लाज़मी है |
खड़े होकर पानी पीने की वजह से वात्त का संतुलन जल्दी बिगड़ता है जिस वजह से अक्सर गुटनों मे दर्द होने लगता है थकावट और कमजोरी महसूस होने लगती है |
तो चलिये अब जानते है ऋषियों और आयुर्वेदों के अनुसार खान पान और दिनचर्या के किन नियमो का पालन करके हम इनका संतुलन बनाए रख सकते है ?
दस्तो आज से 3000 हजार साल पहले आयुर्वेद के सबसे बड़े ज्ञाता महारिशी वाघ बट्ट जी ने एक श्लोक कहा था – भोजनांते जल विषम्यादी
यानि की भोजन के तुरंत बाद 20 चिम्मच से अधिक जल पीने से वह जहर के समान माना गया है | चलिये जनते है की आखिर ऐसा क्यो कहा – आयुर्वेद मे लिखा है जब हम भोजन करते है तो सबसे पहले उसे अच्छे से चबाते है
जिससे भोजन छोटे छोटे टुकड़ो मे बट जाता है और मुह की लार की वजह से चिपचिपा गीला हो जाता है | उसके बाद भोजन गले के रास्ते से होता हुआ आमाशय मे इकट्ठा होता है |
यहीं पर भोजन के पचने की प्रक्रिया शुरू होती है इस प्रक्रिया मे एक खास प्रकार का एंजाइम का रिसाव होता है यह एक प्रकार का तेजाब होता है जो अपनी ऊर्जा से भोजन को पचाता है इस ऊर्जा को संस्कृत को जठर अग्नि कहा जाता है फिर ऐसे मे जब यह प्रक्रिया चल रही होती है तो हम गिलास भर कर पानी ठूस लेते है
जिस वजह से यह अग्नि धीमी और मन्द हो जाती है और भोजन पचने की बजाय अंदर ही अंदर सड़ने लगता है जिससे हजारो बीमारियाँ पैदा होने लगती है जैसे पेट दर्द सर दर्द गैस छाती मे जलन सिर दर्द उल्टी आना जोड़ो मे दर्द घुटनो मे दर्द मसूड़ो मे खून आना दांत और हड्डियों का जल्दी कमजोर हो जाना खून मे कमी ओर बाल का झड़ना आदि जैसी समस्याएँ पैदा होने लगती है |
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शरीर की 300 बिमरियों की जड़ | health tips
यदि पानी ही पीना चाहते है तो पानी जगह फल का जूस , दहि या छाछ मट्ठा पी सकते है इससे पेट की जठर अग्नि धीमी नहीं होती |
पानी हमेशा भोजन के 1 घंटे बाद ही पीना चाहिए क्योकि इस दौरान आमाशय मे भोजन के पचने की प्रक्रिया चल रही होती है |
रोज सुबह उठ कर 2 गिलास हल्का गरम पानी जरूर पिये ऐसा करने से मुह की लार पानी के साथ मिल कर हमारे पेट मे पाहुच जाती है जो पाचन क्रिया के लिए बहुत लाभदायी होता है पेट भी अच्छे से साफ हो जाता है | आयुर्वेद मे सुबह की लार को बहुत उपयोगी माना गया है |
हमे अपनी शरीर की प्रकृति को समझ कर ही भोजन खाना चाहिए क्योकि अक्सर आपने देखा होगा की हर किसी को एक जैसा भोजन सूट नहीं करता जैसे अपने 3 आलू के पराठे खा लिए कुछ देर बाद कुछ नही होगा लेकिन वही आलू के पराठे कोई ओर खाए तो उसे कब्ज, पेट दर्द , गैस जैसी स्मसयाए होने लगती है | ऐसा इसलिए होता है क्योकि उसकी प्र्कृती अलग है हर कोई एक जैसा भोजन हजम नहीं कर पता |
यही कारण है की किसी को तीखा भोजन पसंद होता है तो किसी को मीठा खाना या नमकीन खाना बहुत पसंद होता है टेस्ट भी शारीरिक प्रकृति पर बहुत निर्भर करता है |
क्या खाए ?
भोज्य पदार्थ के मामले मे यदि वात्त पित्त कफ़ के संतुलन और असंतुलन की बात की जाए तो
मीठे, खट्टे, और नमकीन स्वाद वाले जितने भी पदार्थ हैं वे कफ को बढ़ाते हैं । ऐसी चीजों को अधिक सेवन कफ़ के संतुलन को बिगाड़ सकता है |
वही नमकीन और मीठे, खट्टे, पदार्थ पित्त को बढ़ाने वाले हैं । कड़वे चरपरे, कसैले पदार्थ वायु को बढ़ाने वाले होते हैं ।जो रस कफ को बढ़ाते हैं ।
ठीक उसी प्रकार मीठे, खट्टे, नमकीन ही वायु को शान्त करते हैं । मीठी, चरपरी, कसैली चीजें पित्त को शान्त करती है । कड़वी चरपरी, कसैली चीजें पित्त को शान्त करती है । उदाहरणार्थ – कफ-प्रकृति के व्यक्ति को मीठे, खट्टे, नमकीन चीजों को कम मात्रा में लेना चाहिए और कड़वी चरपरी और कसैली चीजों को अधिक मात्रा में खाना चाहिए ताकि कफ बढ़ने न पाए ।
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दोस्तो गाय के घी के बाद अजवाइन ही एक ऐसी चीज है जो पित्त नाशक होती है इसलिए मेरी माँ अक्सर खाने मे अजवाइन जरूर डालती है |
पराकृतिक रूप से खाने की जो वस्तु जीतने आधुक गहरे रंग की है वो चीज उतनी ही अच्छी मनी जाती है जैसे नींबू ,संतरा ,सेब ,आवला ,लीची, अंगूर , आम ,अमरूद, पपीता ,नाशपाती, केला |
हींग ,अजवाइन, जीरा, गाय का घी यह सब पित्त नाशक है यानि पित्त बारह जाए तो इन का सेवन जरूर करे यह पित्त का संतुलन बनाए रहने मे मदद करता है |
सूखा धनिया और हारा धनिया दोनों ही पित्त नाशक है |
कफ़ का इलाज कैसे करे यदि कफ़ बारह जाए तो –
गुड़ , शहद , सौठ और अदरख , यह कफ़ को नियंत्रण मे रखती है | इसके इलवा पान पत्ता खाना भी कफ़
के संतुलन मे बहुत लाभदायक होता है |
वात्त को शांत करने की छीजे –
सभी तरहो के फलो का रस का सेवन
शुद्ध तेल , नारियल पानी , दहि , छाछ आदि
शरीर की 300 बिमरियों की जड़ | health tips
यदि स्वस्थ जीवन जीना चाहते हो तो – जान लो सेहत से जुड़ी ये खास बाते -health tips in hindi
आज कल ज़्यादातर लोग धन कमाने मे इतने व्यस्त हो गए हैं की अपनी सेहत की तरफ ध्यान ही नहीं देते।जिसके चलते मोटापा ,मधुमेह ,दिल की बीमारियाँ ,पेट की बीमारी ,जैसी नई नई छोटी बड़ी बीमारियों से घिरे जाते है .
लंबे समय तक जीवन का असली आनंद तभी ले पगोगे जब आप स्वस्थ रहोगे आपका शरीरी निरोगी रहेगा | धन तो फिर भी कमाया जा सकता है लेकिन एक बार स्वस्थ बिगड़ जाए तो बहुत मुश्किल से सुधरता है , या फिर सारी जिंदगी दवाइयों के सहारे चलना पड़ता है |इसलिए जीवन मे धन से जादा एक अच्छी सेहत का होना जरूरी है |
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