Ayodhya Ram mandir ka poora itihas

Ayodhya Ram mandir ka poora itihas – ram mandir ayodhya – राम मंदिर अयोध्या विवाद लगभग पांच सदियों से चल रहा था, लेकिन इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अपना फैसला सुना दिया, और विवादित जमीन 2.77 एकड़ भूमि पर रामलला का हक बताया। इसके साथ ही कोर्ट ने मुसलमान को अयोध्या में अलग से दूसरी जगह 5 एकड़ भूमि देने का आदेश दिया। लेकिन इस फैसले के आने से पहले पिछले पांच सदियों में अयोध्या में जो विवाद हुआ,उस कालचक्र पर हम एक नजर डालेंगे, ताकि राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के हकीकत के बारे में हर भारतवासी जान सके। इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें-

Table of Contents

Ram mandir history hindi

राम मंदिर को तोड़कर सन् 1528 बाबर ने बनवाया मस्जिद

अयोध्या में हिंदुओं के आराध्य प्रभु श्री राम का मंदिर निवास था, लेकिन जब बाबर सन् 1526 में भारत आया और धीरे-धीरे उसका साम्राज्य अवध यानी वर्तमान अयोध्या तक पहुंच गया। इसके बाद बाबर के आदेश पर सन् 1528 में राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवा दिया गया। इस दौरान हिंदुओं और मुसलमानों में भारी दंगा हुआ, जिसमें सैकड़ो हिंदू मारे गए। जानकारी के लिए बता दे अयोध्या मंदिर को लेकर हिंदुओं ने सन 1853 में पहली बार आवाज उठाई, निर्मोही अखाड़ा ने उस जगह पर दावा करते हुए कहां की जिस स्थान पर मस्जिद खड़ा है, वहां प्रभु श्री राम का निवास हुआ करता था, जिसे मुगल शासक बाबर ने नष्ट करके वहां मस्जिद का निर्माण करवाया। जिसके बाद से उस जगह को लेकर कई वर्षों तक विवाद चलता रहा।

 

अंग्रेजों ने सन् 1859 में परिसर को दो हिस्सों में बांटा-

भारत में अंग्रेजों के बढ़ते हुकूमत की वजह से राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद ठंड पड़ गया। ब्रिटिश शासको ने इस बढ़ते विवाद को देखकर मस्जिद के सामने एक दीवार खड़ी कर दी, परिसर के भीतर मुसलमान को नमाज अदा करने, और हिंदुओं को बाहरी हिस्से में प्रार्थना करने की इजाजत दे दी गयी। लेकिन नहीं तो आपको लेकर विवाद कई वर्षों तक ऐसे ही चला रहा। इसी क्रम में, सन् 1949 में विवादित परिसर का ताला तोड़कर रात्रि को हिंदुओं ने रामलला प्रतिमा की मस्जिद में स्थापना कर दी।

 

राम मंदिर को लेकर अयोध्या में हुआ गोली कांड –

सन 1990 में उत्तर प्रदेश की बागडोर मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के हाथ में था, उन दिनों 30 अक्टूबर 1990 को हिंदू साधू संत और श्रद्धालु अयोध्या की तरफ कुच कर रहे थे। पुलिस प्रशासन ने बाबरी मस्जिद के लगभग 2 किलोमीटर दायरे घेराव कर रखा था, लेकिन कार सेवकों की भीड़ जब बेकाबू हो गई तो प्रशासन द्वारा उन पर गोलियां चलवाई गई। इसमें पांच कारसेवक की मौत हो गई। इस मामले के बाद पूरे देश का माहौल गर्म हो गया और दो दिन बाद 2 नवंबर को हजारों कारसेवक हनुमानगढ़ के पास पहुंच गए। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने फिर से कार सेवकों पर फायरिंग कर दी। इस घटना के दौरान सैकड़ो कारसेवक मारे गए, जिसमें कोलकाता से आयें कोठारी भाइयों की भी मौत हो गई।

 

 श्री राम जन्मभूमि को लेकर सन् 1992 में तोड़फोड़-

इस घटना के 2 साल बाद चुनाव में मुलायम सिंह यादव बुरी तरह हार गये भाजपा से कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने। विधानसभा में मुलायम सिंह यादव को मुल्ला मुलायम सिंह यादव का नाम दिया गया। सन् 1990 में, भगवान श्रीराम के विराजमान स्थल पर एक शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान, तनाव और बढ़ गया और 6 दिसंबर 1992 को, कार्यक्रमों के दौरान, बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया गया। इस घटना ने विवाद को एक नया मोड़ दिया। विवाद ने देशभर में सामाजिक, राजनीतिक, और धार्मिक स्थितियों में बदलाव लाए। जानकारी के लिए बता दे मस्जिद के ढांचे को गिराने के लिए पूरे भारत देश से लाखों की संख्या में कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे। उन दिनों जय श्री राम के नारे चारों तरफ गूंज रहे थे, और एक साथ सभी कार सेवक जय श्री राम, राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, के नारे लगा रहे थे। विवादित जमीन से बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने के बाद प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार ने बर्खास्त कर दिया। खबरों की माने तो केंद्र सरकार के सिफारिश से पहले ही कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

 

134 साल बाद आया राम मंदिर पर फैसला-

वैसे तो राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पांच सदियों पुराना है, लेकिन पहली बार सन 1858 में इस मामले पर एफआईआर हुआ। 1885 में मामला पहली बार कोर्ट में पहुंचा। सन 2010 में इलाहाबाद कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद राम मंदिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 9 साल बाद 9 नवंबर 2019 को रामलाल के पक्ष में फैसला आया। 

 

राम मंदिर की रखी गई नींव –

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। भूमि पूजन के दौरान अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थस्थल ट्रस्ट द्वारा निर्माण दिन मंदिर की देखने की जा रही है। राम मंदिर का भव्य उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को होगा। जानकारी के लिए बता दे 22 जनवरी को रामलीला प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालुओ के लिए राम मंदिर द्वार हमेशा के लिए खुल जाएगा।

 

1800 करोड़ की जाएंगे खर्च-

भारतीय समाज में राम मंदिर निर्माण कार्य ऐतिहासिक पहलू है, जिसे सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। राम मंदिर निर्माण के लिए लगभग 1800 करोड रुपए खर्च किये जायेंगे। जिसके लिए दुनिया भर के करोड़ सनातनी लोग दान दे चुके हैं। राम मंदिर, जिसका निर्माण भव्यता और श्रद्धांजलि के साथ जुड़ा हुआ है, एक ऐतिहासिक परियोजना है जो भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को नए आयाम की तरफ ले जाने का कार्य करेगा। इस मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया अद्वितीयता, साहित्यिकता, और स्थानीय स्थानों के प्राचीन शैली का समन्वय है। राम मंदिर का निर्माण विशेष धारोहर और वास्तुकला के साथ जुड़ा है। परंपरागत भारतीय शिल्पकला की शैलियों का समन्वय रखते हुए, मंदिर का निर्माण कार्य किया जा रहा है। राम मंदिर निर्माण में लगे हुए खंभे के ऊपर देवी देवताओं की प्रतिमाएं दीवारों की शोभा बढ़ाएगी।

 

राम मंदिर से होगा देश का विकास-

1. सांस्कृतिक समृद्धि:

राम मंदिर का निर्माण भारतीय सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत को बढ़ावा देने में मदद करेगा। यह समृद्धि विभिन्न राज्यों में परंपरागत कला, साहित्य, और सांस्कृतिक परंपराओं के साथ साझा होने का माध्यम बनेगा और एक सांस्कृतिक एकता की भावना को बढ़ावा देगा।

 

2. धार्मिक पर्यटन:

राम मंदिर का निर्माण धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा जिससे यात्रा करने वाले अनेक पर्यटकों का आगमन होगा। इससे स्थानीय विकास होगा और पर्यटकों को देश के विभिन्न हिस्सों को जानने का अवसर मिलेगा। देश-विदेश से अयोध्या में स्थित राम मंदिर को पर्यटक देखने आयेंगे, जिस देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

 

3. अर्थव्यवस्था का समृद्धि:

मंदिर के निर्माण से स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, क्योंकि निर्माण कार्यों के लिए स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा। यह स्थानीय व्यापारों और हस्तशिल्पों को बढ़ावा देगा, जिससे अधिक लोग रोजगारी के अवसरों से जुड़ सकेंगे। मंदिर निर्माण के बाद भी स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, और अयोध्या नगरी देश में एक समृद्ध जगह बन जाएगा।

 

4. सामाजिक समरसता:

राम मंदिर का निर्माण सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा देगा और सामाजिक बंधनों को मजबूत करेगा। यह विभिन्न सामुदायिक वर्गों को एक साथ लाने में मदद करेगा और एक सहयोगी समाज की ऊर्जा को बढ़ावा देगा।

 

तो दोस्तों यह था श्री राम जी के राम मंदिर बनने का पूरा इतिहास. इसके साथ है हमने इस आर्टिकल मे यह भी जाना की इस मंदिर के बनने से कितने लोगो को अब तक रोजगार मिला और आगे कितने लोगो को रोजगार मिलने के अवसर आते रहेंगे. साथ भारत की इकॉनमी पर भी इसका किस तरह सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

Conclusion –

राम मंदिर का निर्माण न केवल धार्मिक प्रासंगिकता में वृद्धि करेगा, बल्कि यह सामाजिक समरसता और एकता को बढ़ावा देगा। इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के बीच सामंजस्य और समरसता का आत्मविश्वास बढ़ेगा, जिससे एक सशक्त भारत की दिशा में कदम बढ़ेगा। राम मंदिर के साथ संबंधित अन्य कार्यक्रमों से सामाजिक जागरूकता और समरसता में सुधार होगा, जो राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देगा।

 

इसके अलावा, राम मंदिर का निर्माण अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी करेगा और स्थानीय व्यापारों को विकसित करने में सहारा प्रदान करेगा। यह पर्यटन को बढ़ावा देगा और देश को विश्व पर्यटन का नया केंद्र बनाएगा। सारांशतः, राम मंदिर के निर्माण से देश का विकास संपूर्ण दृष्टिकोण में होगा, और यह एक समृद्ध और सामरिक भविष्य की दिशा में प्रेरित करेगा।

 

चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय

bruce lee biography in hindi

Biography of Sandeep Maheshwari 

 

 

 

 

 

Leave a Comment