Manipur hinsa | मणिपुर मे हिंसा क्यों?

Manipur hinsa का कारण – क्यों हो रही है भारत के राज्य मणिपुर मे हिंसा? चलिए समझते है.मणिपुर मे हिंसा की मुख्य वजहें.

भारत के पुर्वोत्तर राज्यों मे से एक मणिपुर पिछले काफी दिनों से हिंसा की आग में सुलग रहा है।आए दिन आप news चैनलो पर भी देख रहे हो..

 

यहां पर जातीय हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट, और हत्या तक जैसी घटनाए हो रही है …हालात इस कदर बद से बत्तर है..की उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए जा चुका हैं। हजारों लोग अपना घर-बार छोड़कर पड़ोसी राज्य असम में पलायन कर रहे हैं।

 

हालात को देखते हुए राज्य मे इंटरनेट सेवा रोज दी गई है. 

चुराचंदपुर जिला हिंसा का केंद्र बना हुआ है। जो की 

राजधानी इम्फाल से दक्षिण में 63 किलोमीटर पर स्थित है.

 

केंद्र सरकार लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है। बड़ी तादाद में आर्मी और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

 

आखिर ऐसी स्थिति आई क्यों? क्यों सुलग रहा है नॉर्थ ईस्ट मणिपुर. इसका भी  हिंसा का लंबा इतिहास रहा है।

Manipur hinsa की पूरी सच्चाई 

इस इतिहास में उसके भूगोल की भी अपनी भूमिका है। उसके अलावा वहां के सामाजिक ताने-बाने, बुनावट को समझे बगैर मौजूदा हिंसा की वजह भी नहीं समझी जा सकती।

manipur-hinsa-2023

 तो आइए इतिहास, भूगोल और सामाजिक ताने-बाने के आईने में मणिपुर में चल रही हिंसा की वजह समझते हैं।

 

आगे बढ़ने से पहले हिंसा का इतिहास-भूगोल कनेक्शन और सामाजिक संरचना को समझने का प्रयास करे ।

 

पूर्वोत्तर के इस राज्य में तीन प्रमुख समुदाय हैं- बहुसंख्यक मेइती और दो आदिवासी समुदाय- कुकी और नागा।

 

इनके बीच आपसी अविश्वास का इतिहास रहा है। राज्य की कुल आबादी में मेइती की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत है यानी आधे से अधिक। ये आर्थिक और राजनीतिक तौर पर मणिपुर का सबसे प्रभावशाली समुदाय है।

 

राज्य की 40 प्रतिशत आबादी कुकी और नागा की है।  कुकी और नागा आदिवासी इम्फाल घाटी से सटे पहाड़ी इलाकों में रहते हैं।

 

 ये इलाके लंबे समय से उग्रवादी गतिविधियों का केंद्र रहा हैं। एक समय पर तो तकरीबन 60 हथियारबंद उग्रवादी समूह इस इलाके में सक्रिय थे।

 

Manipur hinsa मे भौगोलिक स्थिति बड़ी वजह

मणिपुर के कुल क्षेत्रफल का महज 10 प्रतिशत इलाका,,,मैदानी इलाका है जो इम्फाल घाटी में है और बहुत ऊपजाऊ भी है।

 

इस तरह राज्य का 90 प्रतिशत हिस्सा पहाड़ी इलाका है।

 

देखा जाए तो मेइती आर्थिक और राजनीतिक तौर पर सबसे प्रभावशाली और ताकतवर हैं।

 

राज्य में किसी भी पार्टी की सरकार हो लेकिन दबदबा मेइती का ही होता है।

 

मौजूदा मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। कुकी और नागा समुदाय का सरकार पर आरोप रहेगाई की वह इनके साथ  सौतेला जैसा व्यवहार रखते हैं।

Manipur hinsa big reason

  1. हिंसा की जड़ में क्या है?
    ताजा हिंसा की दो प्रमुख वजहें हैं। एक है बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का फैसला जिसका कुकी और नागा समुदाय विरोध कर रहे हैं। कुकी और नागा समुदाय को आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा मिला हुआ है। और दूसरी वजह है गवर्नमेंट लैंड सर्वे। बीजेपी की अगुआई वाली राज्य सरकार ने रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन क्षेत्र को आदिवासी ग्रामीणों से खाली कराने का अभियान चला रही है। कुकी समुदाय इसके विरोध में है।

 

लेख बड़ा हैं लेकिन मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें.

 

वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते । पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरे शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए बता दूं.

Manipur problem history background

“मणिपुर समस्या: एक इतिहास”

 

जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर की ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला । उनको इस पर डाका डालना था। उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं। परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है।

 

अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा। इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था। इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता। परन्तु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अंग्रेज अफसरों को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते थे।

 

इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं। अतः इन्होने ईसाई मिशनरी को उठा उठा के यहां भेजा। मिशनरीयों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से धर्म परिवर्तित करने का काम शुरू किया।

 

 जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज इनको ईसाई राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे। साथ ही उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन, भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे।

 

अंग्रेजों ने एक चाल और चली। उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी।

 

धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है।

 

तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए। धीरे धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी। मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे।

 

 परन्तु वो मैती हिंदुओं की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे। मणिपुर के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए। अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया।

 

आज़ादी के बाद:

 

आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया। 1949 में उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको ST का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने उनको जाने को कह दिया ।

 

फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दिया। 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया जिसमे 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को ST में डाल दिया गया।

 

इस एक्ट में ये प्रावधान भी था जिसमे 90% कुकी- नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10% के इलाके में रहने वाले मैती हिंदुओं को ये सब अधिकार नहीं था।

 

यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया। नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने करने नहीं गए।

 

उधर ब्रिटैन की MI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भागने के लिए करते थे।

 

मैतियो उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया। सदा से इस इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों की सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे। चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया।

पूरा पूर्वोत्तर ISI के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया। जिसके कारण Mizo जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ।

 

बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने ISI समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे।

 

 जानकारी के लिए बताते चलें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया। ये चिन लोग ISI के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे।

 

 पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका पोलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में air strike का आर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने लोगों की जाने ली। इसके बाद विद्रोह और खूनी तथा सशत्र हो गया।

 

1971 में पाकिस्तान विभाजन और बांग्ला देश अस्तित्व आने से ISI के एक्शन को झटका लगा परन्तु म्यांमार उसका एक खुला एरिया था । उसने म्यांमार के चिन लोगों का मणिपुर में एंट्री कराया जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यांमार के अवैध चि लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानि अफीम की खेती शुरू कर दिया। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड दशकों तक कुकियों और चिन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया।

 

यंमार से ISI तथा MI6 ने इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरा इकॉनमी खड़ा कर दिया। जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ा जनसँख्या नशे भी आदि हो गई। नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा।

 

2014 के बाद की परिस्थिति:

 

मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पालिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया, NSCN – तथा भारत सरकार के बीच “नागा एकॉर्ड” के बाद हिंसा में कमी आई।

 

भारत की सेना पर आक्रमण बंद हुए। भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला।

 

 धीरे धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त भारत के प्रति यहाँ के लोगों का दुराव कम हुआ। रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई।

 

वहां से कांग्रेस और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ। इसके कारण इन पार्टियों का एक प्रमुख धन का श्रोत जो कि अफीम तथा हथियारों की तस्करी था वो चला गया। इसके कारण इन लोगों के लिए किसी भी तरह पूर्वोत्तर में हिंसा और अशांति फैलाना जरूरी हो गया था। जिसका ये लोग बहुत समय से इंतजार कर रहे थे।

 

हाल ही में दो घटनाएं घटीं:

 

  1. मणिपुर उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैती जनजाति को ST का स्टेटस मिलेगा। इसका परिणाम ये होगा कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा जिससे मैती लोग भी 10% के सिकुड़े हुए भूभाग की जगह पर पूरे मणिपुर में कहीं भी रह, बस और जमीन ले सकेंगे। ये कुकी और नगा को मंजूर नहीं ।

 

  1. मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि सरकार पहचान करके म्यांमार से आए अवैद्य चिन लोगों को बाहर निकलेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी। इसके कारण तस्करों का गैंग सदमे में आ गया।

 

इसके बाद ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने अपने दिल्ली बैठे आकाओं, कम्युनिस्ट लुटियन मीडिया को जागृत किया। पहले इन लोगों ने अख़बारों और मैगजीन में गलत लेख लिखकर और उलटी जानकारी देकर शेष भारत के लोगों को बरगलाने का काम शुरू किया। उसके बाद दिल्ली से सिग्नल मिलते ही ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने मैती वैष्णव लोगों पर हमला बोल दिया। जिसका जवाब मैतियों दुगुना वेग से दिया और इन लोगों को बुरी तरह कुचल दिया जो कि कुकी – नगा के साथ दिल्ली में बैठे इनके आकाओं के लिए भी unexpected था। लात खाने के बाद ये लोग अदातानुसार विक्टम कार्ड खेलकर रोने लगे।

 

अभी भारत की मीडिया का एक वर्ग जो कम्युनिस्ट तथा कोंग्रेसका प्रवक्ता है अब रोएगा क्योंकि पूर्वतर में मिशनरी, अवैध घुसपैठियों और तस्करों के बिल में मणिपुर तथा केंद्र सरकार ने खौलता तेल डाल दिया है।

 

तो दोस्तों ये थी मणिपुर राज्य मे हो रही राजनीती और हिंसा का सारा मामला. इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करे.

 

इतिहास का सबसे अमीर इंसान

Duniya ke 10 sabse jahrile sap

Rich mindset and poor mindset kya hai 

ये 10 आदतें आपको कभी अमीर नहीं बनने देंगी

बुरे लोगो की पहचान कैसे करें

असफला को सफलता मे कैसे बदले

Self development speech in hindi

अवचेतन मन क्या है

मोक्ष प्राप्ति का मार्ग 

भगवत गीता अनमोल वचन

उदासी मे भी सकारात्मक रहना सीखे

Self development tips hindi 

अध्यात्म क्या है for self improvement

Best learning habits moral story 

Porn video देखने के नुकसान 

अमीर कैसे बने

Duniya ke 10 sabse amir desh 

bharat ke top 10 megaproject in india 

Leave a Comment