RBI jada note kyo nahi chapti

RBI jada note kyo nahi chapti – भारत मे भारतीय रुपए /indian currency छापने का अधिकार सिर्फ RBI के पास ही है. ऐसे मे मन मे सवाल आता है की यदि RBI के पास नोट छापने वाली मशीन है तो खूब सारे पैसे छाप कर गरीबो मे क्यों नहीं बाट देती. भारत से ग़रीबी क्यों नहीं खत्म कर देती. तो चलिए जानते है इन सवालों का जवाब.

लेकिन उससे पहले ये जानना जरुरी है की RBI की शुरुआत कैसे हुई और इसके पास क्या क्या अधिकार है. तभी हम इस बात को अच्छे से समझ पाएंगे की आखिर RBI जादा नोट क्यों नहीं छापती.

RBI की शुरुआत क्यों और कैसे हुई 

दोस्तों एक जमाना हुआ करता था ज़ब आज की तरह bank not या सिक्के तक नहीं हुआ करते थे… तो उस वक़्त लोग खरीद बेच कैसे किया करते होंगे…..

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तो उस समय लोग एक दूसरे को  सामान के बदले सामान ले दे कर अपनी अपनी जरूरतों को पूरा किया करते थे,

 

 जैसे किसी के पास गर ज़ादा मुर्गीयाँ थी, तो वह उन्हें या उनके अंडो को किसी जरूरमंद को देकर,  बदले मे उससे वो खरीद लेते थे,जिसकी उन्हें जरूरत होती थी..जैसे एक पशु के बदले कितना अनाज या वस्तु मिलेगा , इसका आंकलन दोनों की जरूरतों के हिसाब से होता था.

 

फिर इसके बाद ज़ब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने  इस सिस्टम को देखा तो उनके मन मे विचार आया की इसे हटाकर एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाइये,  जिससे इस सिस्टम को एक विस्तृत व कानूनी रूप दिया जा सके और इस पुरे सिस्टम को अपने कंट्रोल मे कर के इसे एक व्यवस्थित तरिके से चलाया जा सके .

 

तो दोस्तों,इस तरह सन 1770 मे भारत के कलकत्ता मे सबसे पहला bank बना, bank of hindustan.. और इसके बाद से धातु से बने सिक्कों का चलन भी धीरे धीरे अंग्रेजो द्वारा खत्म किया गया और उसकी जगह कागज़ के बने नोट चलन मे लाए जाने लगे.हालांकि इसके बाद वक़्त के साथ साथ और भी कई सरकारी और प्राइवेट bank वजूद  मे आए.

 

बस, यही से शुरू हुआ भारत मे बैंकिंग सिस्टम की . लेकिन आगे चलकर ज़ब बहुत सी दिक्क़ते आने लगी तो सरकार ने सभी बैंको पर लगाम लगाने, और भारतीय not छापने जैसे कई  कामों के लिए, अलग से ही एक statutory body का निर्माण करना चाहा, जिसका नाम था RBI, 

 

यही से संविधान मे एक क़ानून पास कर,गठन किया गया RBI का. जिसे ना सिर्फ कई तरह की जिम्मेदारी भरा काम सौपा गया बल्कि कई तरह के अधिकार भी दिए गए, जिनमे से एक था की rbi जितने चाहे उतने पैसे छाप सकती है,…

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RBI jada note kyo nahi chapti

हाँ,,,, पैसो से याद आया,   अगर ऐसा है तो RBI खूब सारे पैसे छाप कर उन्हें गरीबो मे क्यों नहीं बाँट देती, सबको अमीर क्यों नहीं बना देती,? 

आखिर RBI के पास और कौन कौन से अधिकार है? जिस वजह से ये सभी बैंको को कंट्रोल मे रखता है.और RBI खुद पैसे कैसे कमाता होगा?

 

…तो स्वागत है आपका ज्ञान के इस महाकुम्भ मे, दोस्तों  इन सभी इंट्रेस्टिंग सवालों के जवाब पाने के लिए वीडियो के अंत तक बने रहे, तो चलिए शुरू करते है……

 

दोस्तों! RBI का पूरा नाम है reserve bank of india, इसकी स्थापना भारतीय reserve bank अधिनियम 1934 के प्रावधानो के अनुसार,1 अप्रैल 1935 मे की गई थी.

 

RBI का headquarter यानी केंद्रीय कार्यालय, मुंबई मे है, और यही से RBI का गवर्नर बैठ कर भारत के सभी बैंको को रेगुलेट करने के लिए, नीतियाँ निर्धारित करता रहता है. इसलिए इसे बैंको का bank भी कहा जाता है.

 

सिर्फ not छापना ही नहीं, इसके इलावा और भी कई काम होते है RBI के…जैसे 👇

 

करेंसी not ज़ारी करना 

monetary policy को लागू करना 

जरूरत पड़ने पर बैंको और सरकार को लोन देना

सरकार की foreign exchange मे मदद करना.

इसके इलावा RBI,  अपने चमत्कारी टूल जैसे, रेपो रेट, Cash reserve ratio,और statutory liquidity ratio की मदद से, economy मे financial liquidity  को कम या ज़ादा करने और अर्थव्यवस्था मे संतुलन बनाए रखने से लेकर भारत मे बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने का काम करती है.

 

भले ही भारतीय मुद्रा को छापने और उनका आबाँटन करने का अधिकार सिर्फ RBI के हाथो मे है…लेकिन,,,, इसका ये मतलब नहीं की RBI ज़ब मन मे आए करेंसी छापना शुरू कर दे……

 

बिना सरकार की मर्जी और economy की needs के, विपरीत, RBI एक रुपया तक नहीं छाप सकती. और उसके लिए भी सरकार को जितना पैसा RBI से लेना होता है, पहले उतनी ही क़ीमत का सोना या foreign reserve RBI के पास जमा करवाना पड़ता है.

ताकी economy मे जरूरत से  ज़ादा पैसा सरकुलेट ना हो जाए.

 

लेकिन लोगो के दिमाग़ मे फिर भी ये सवाल आता ही है की RBI के पास गर करेंसी छापने वाली मशीन है तो वो ढेर सारे not छाप कर,  हर गरीबो मे क्यों नहीं बाँट देती?,,,,ऐसा करने से गरीबी और बेरोजगारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है…और तो और भारत की economy को एक दम से बढाया जा सकता है…..

 

😀.. ना मुन्ना ना……ऐसा बिलकुल नहीं है,   यदि ऐसा होता तो RBI ये काम कब का कर चुकी होती….

 

तो फिर RBI ऐसा क्यों नहीं कर रही?

तो इसका जवाब है, inflation, यानी महंगाई आसमान छूने लगेगी और भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी.

 

क्योंकि आप खुद सोचो, हर इंसान क्यों इतनी भाग दौड़ कर रहा है,.किसलिए इतनी मेहनत कर रहा है .. “जाहिर है, पैसे के लिए ही”

और ऐसे मे गर हर इंसान के पास खूब सारा पैसा आगया, तो आपको क्या लगता है, वो कोई काम करेगा, यानी मेहनत बंद, कारखना बंद, कंस्ट्रक्शन का काम बंद. सारा भारत ठप, और हर कोई दुपक कर बैठ जाएगा, अपने अपने घर,… तो क्या ऐसे मे भारत की अर्थव्यवस्था ऊपर जाएगी,

खैर, ये भी छोड़ो,,,,

 

हम आपको economy के नजरिये से समझाते है, 

 

ज़ब हर इंसान के हाथ मे पैसा आजाएगा, तो हर कोई तरह तरह के सामान खरीदना शुरू कर देगा वो भी ज़ादा ज़ादा मात्रा मे….इससे मार्केट मे तेजी से हर चीज की डिमांड बढ़ने लगेगी…

 

और ज़ब डिमांड बढ़ेगी तो उनकी पूर्ति भी करनी पड़ेगी…. लेकिन पूर्ति होगी कैसे, क्योंकि कच्चा माल तो सिमित ही होता है, तो ऐसे मे तेजी से हर वस्तु की कीमतें आसमान छूने लगेगी, यानी पैसो की वैल्यू गिर जाएगी, यानी जो समान आप 100 रूपए मे खरीदते थे वो अब 1000 रुपए मे मिलेगा.ताकी खरीदार कम हो सके.

यहां पर जानकारी के लिए बता दे की जैसे ही किसी देश मे पैसे की वैल्यू इतनी नीचे गिरती है तो समझ जाओ भैया….. की ऐसे मे उस देश की अर्थ व्यवस्था का चरमराना तो तय है…

 

हम ये सब यूँ ही नहीं बोल रहे, बल्कि इसके जीते जागते सबूत भी धरती पर मौजूद है, और वो है जर्मनी और जिम्बावे 

इन दोनों देशो ने यही दिमाग़ लगाया था, 

 

दोस्तों प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई,क्योंकि जर्मनी ने युद्ध के हथियार लेने की अवज़ मे दूसरे देशो से खूब सारा उधार ले लिया था. अब ऐसे मे जर्मनी ने ज़ब अपने देश मे ढेर सारे not छाप कर देश की गरीबी दूर करने और उधार चुकाने की कोशिश की,   तो उनके देश की करेंसी की कीमतें बहुत नीचे गिर गई. जिससे अर्थव्यवस्था चरमरा गई.

 

वहीं दूसरी तरफ ज़िम्बावे ने भी वहीं गलती दोहराई, यहां के राष्ट्रपति ने अपने देश की गरीबी को दूर करने के लिए इतने ज़ादा नोट छाप डाले,  की  वहाँ हर कोई करोड़पति बन गया था. जिसका नतीजा ये हुआ की एक ब्रेड का पैकेट लेने के लिए भी झोला भर कर नोट ले जाने पड़ते थे, यानी वहां के पैसो की वैल्यू इतनी ज़ादा गिर गई की सरकार को एक लाख तक के नोट भी छापने पड़ गए लेकिन इनकी वैल्यू कोड़ियों के भाव थी.

फिर सरकार को ज़ब अपनी इस गलती का एहसास हुआ तो इस व्यवस्था और स्थिति को पटरी पर लाने मे सालो लग गए.

 

इसीलिए RBI ज़ादा not नहीं छाप सकती. 

 

चलिए अब बात करते है की ,RBI पैसे कैसे कमाती है.

दोस्तों RBI के पैसे कमाने के कई तरीके है,

सबसे पहला तरीका है foreign एक्सचेंज, जिसमे RBI बल्क मे कम क़ीमत पर विदेशी पैसा खरीद कर अपने पास रख लेती है और बाद मे उन्हें ज़ादा क़ीमत पर जरूरतमंद लोगो को सेल कर देती है जिससे RBI को अच्छी कमाई होती है.

 

RBI के पैसे कमाने का दूसरा तरीका, सरकारी bonds बेच कर पैसे कमाना है,

दरअसल कई बार सरकार को ज़ब पैसो की जरूरत होती है तो वह RBI के ही पास जाती है,

 

RBI से अरबो का cash लेने के बदले वह उतने ही मूल्य का सरकारी bond RBI को बेच देती है. अब RBI उन bond को आगे अच्छे दामों मे या तो बैंको को, या किसी financial institution को सेल कर देता है या उनकी नीलामी कर खूब सारा धन कमा लेता है.

 

इसके इलावा सरकार के और भी कई तरिके है जैसे बैंको को लोन दे कर उनसे अच्छा खासा इंट्रेस्ट वसूल कर पैसे कमाना इत्यादि.

तो दोस्तों अब तो आप ये समझ ही गए होंगे की RBI ki shuruat kaise hui | RBI ki duty kya hai | RBI jada note kyo nahi chapti.

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