Web 3.O क्या है | What is web 3.O explain in hindi
कई दशकों से अभी तक हम internet पर जो भी काम कर पा रहे थे वो सब web 2.o की मदद से सम्भव हो पा रहा था लेकिन अब जल्दी ही web 3.O आने wala है जिसकी मदद से ना सिर्फ गोपनीयता और सुरक्षा और ज़ादा बढ़ जाएगी बल्कि कंपनियों का कंट्रोल और मोनोपोली भी खत्म हो जाएगी.
- ये सब आखिर कैसे होगा?
- Web 3.O क्या है?
- Web 3.O के आने से internet की दुनियां मे क्या क्या बदलाव आएगा?
- Web 3.O digital दुनियां और crypto की दुनियां पर क्या प्रभाव डालेगी?
- Web 3.o के क्या फायदे व नुकसान होंगे.
- चलिए विस्तार से समझते है.
Table of Contents
Web 3.O क्या है | what is web3.O
Web 3.0 decentralized system पर आधारित एक ऐसी web technology होगी जिसमे लोग अपना डेटा खुद कंट्रोल कर पाएंगे यानी वो अपने data के खुद मालिक होंगे. क्योंकि यहां Web 2.0 की तरह डेटा किसी एक कंपनी या संस्था के पास नहीं होगा.
जिस तरह crypto world में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में क्रिप्टोकरेंसी का हिसाब किताब किसी एक कंपनी के पास न हो कर उन लोगों के पास होता है जो इस ब्लॉकचेन नेटवर्क से जुड़े होते है जो उसपर ट्रेडिंग व माइनिंग करते है.
यानी इस तरह के करोड़ो लोग है, तो उन सभी लोगो के डिवाइस मे एक दूसरे का data कुछ कुछ हिस्सों मे बटा हुआ है जिसे कलेक्ट कर पाना या पता लगा पाना नामुमकिन है.
ठीक इसी तरह Web 3.0 में भी ब्लॉकचेन की तरह ही डेटा किसी एक सर्वर पर ना हो कर हर यूजर के डिवाइस में होगा. हालांकि ये एन्क्रिप्टेड होगा, इसलिए कोई ये नहीं जान पाएगा कि किस यूजर का डेटा कहां है. ऐसे में अभी जिस तरह से सोशल मीडिया और इंटरनेट में कुछ कंपनियों की मोनॉपली है वो नहीं रहेगी.
Web 1.O kya hai?
Web 1.o की शुरुआत 1990 के दशक से आरम्भ हो गई थी. सुविधा और जानकारी के आभाव मे बहुत कम लोग ही इसका उपयोग कर पाते थे.
Web 1.O एक बहुत ही साधारण statik वेबसाईट के तौर पर थी जिसमे सिर्फ ब्राउज़ करके जानकरी को पढ़ पाते थे उसके इलावा और कुछ भी internet पर नहीं कर पाते थे.
उस समय internet की दुनियां मे यह एक बड़ी सफलता मानी जाती थी.
उस समय web 1.0 इतना विकसित नहीं था जिससे हम आज के web 2.o की तरह एक दूसरे से कनेक्ट हो पाए. ना तो खुद की कोई साईट बना पाते थे ना कोई कमेंट कर पाते थे, उन दिनों कोई सोशियल मीडिया नहीं हुआ करता था.
Web 1.O की नीव बेर्नेर्स – ली ने 1990 में तब रखी जब वो एक कंप्यूटर साइंटिस्ट थे, 1990 मे barners ने 3 fundamental technology को स्थापित किया जो आगे चलकर web की फाउंडेशन बने, जिसमे से सबसे पहला web पेज (” worldwideweb.app”) था
- HTML : हाइपर टेक्स्ट मारकअप लैंग्वेज, ये इस तरह की लैंग्वेज है जिससे एक web पेज डिज़ाइन के लिए यूज़ होता है.
- URL: ये एक तरह के address की तरह है जो बिपकुल unique होता है, जिसकी मदद से आप किसी की web साइट पर जाते है |
- HTTP: ये एक प्रोटोकॉल है ये आपको किसी वेबसाइट को access करने की permission देता है.
दोस्तों ये तीन TECHNOLOGY किसी भी तरह के इंटरनेट web ब्राउज़र इन्ही तीन टेक्नोलॉव्य पर आधारित है,
1990 के दशक मे, दुनिया का पहला web ब्राउज़र आया जैसे की, netscape nevigator और यहाँ से ही एक वेब ३ की शरुआत होती है किओ की यहाँ पर आप सिर्फ किसी कंपनी के द्वारा पोस्ट किये गए आर्टिकल न्यूज़ या वेबसाइट देख सकते थे, और ईमेल और Yahoo का यूज़ कर सकते थे, ये समय बहुत लिमिटेड था.
जैसे की आज आप सभी फेसबुक, ट्विटर , instagram की तरह कंटेंट नहीं पोस्ट कर सकते थे, पर ये एक नए युग की शरुवात थी, और पूरी दुनिआ revolution तरफ बढ़ रही थी |
Web 2.O
Web 2.O की शरुवात 2004 – 5 में हुई यहाँ पर static website की जगह dynamic websites ने ले ली. जहा पर आप वेबसाइट के साथ इंटरैक्ट कर सकते थे, और यही पे शरुवात होती है, सोशल मीडिया जैसे की फेसबुक, instagram , whatsapp , ट्विटर और youtube जैसे websites की जहा आकर आप वो सब कर सकते है जैसे की वीडियो, ऑडियो, पिक्चर ब्लॉग आदि बहुत सी चीजे कर सकते है यूजर अपना कंटेंट भी produce कर सकते है और यहां से पैसे भी कमा सकते है अगर आप कंटेंट क्रिएटर है तो.
“ जो आप ये ब्लॉग पढ़ रहे है ये web 2.O का सही example है , क्यो की हम आपके लिए ऐसे ही interesting articles लेकर आते है, इस लिए हम एक कंटेंट क्रिएटर है, पर ये सब web 1. 0 में पॉसिबल नहीं था,
Web 2.0 का उपयोग लगातार बढ़ने के कारण बहुत सी technology का जन्म हुआ जैसे की mobile, smartphone , I pad ios और android mobiles.
Web 2.o आने से user इंट्रेक्शन बढा है और बहुत सी पॉपुलर apps का विकास हुआ for example, Facebook (now Meta), Instagram, TikTok,Twitter , uber ,WhatsApp, and YouTube.
इन सभी apps की बढ़ती growth की वजह से आज Web 2.0 के कारन बहुत सी बड़ी companies देख पा रहे है जैसे की Apple , Amazon, Google, Netflix
और पूरी दुनिआ के लोगो ने इसका जबरजस्त फायदा उठाया है जिसके कारन लाखो करोडो लोगो को Parttime या फुल टाइम जॉब्स जैसे की driving , rented house, फ़ूड delivery और ऑनलाइन शॉपिंग काम करके पैसे कमाने का मौका मिला है, चाहे आप घर बैठे कोई खाना order या शॉपिंग के लिए amazon , flipkart यूज़ करना या फिर अपने हाउस को रेंट पर देना हो सब आप एक क्लिक में कर सकते है Web 2.0 की वजह से पूरी दुनिआ आपके मुट्ठी में है आप एक जगह बैठे कुछ भी कहि से भी मंगा सकते है
Web 3.0: decentralise web
Web 3.0 जिसको decentralise web भी कहा जा रहे है, अब ये decentralise क्या है, अगर आप technology के बारे मे थोड़ा न्यूज़ पढ़ते है तो आपको decentralise के बारे मे थोड़ी जानकारी जरूर होगी क्यो की ये cryptocurrency से भी जुड़ा हुआ है,
Decentralise का मतलब है की जिस चीज पर किसी एक मानव या संस्था का कंट्रोल ना होना चलिए एक example से समझते है जैसे की
अगर आपको एक web साइट बनानी है तो सबसे पहले आपको domain name और hosting की जरुरत होती है जो आप किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट जैसे की Go डैडी, name चीप, या फिर google डोमेन जैसी कम्पनीज प्रोवाइड करती है, पर ये एक centralise सिस्टम है मतलब आपके पुरे data, वेबसाइट का access एक सर्विस प्रोवाइडर के पास है, अगर वो चाहे तो आपकी वेबसाइट बंद भी कर सकती है और और आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे ये सब web 2.0 का पार्ट है,
लेकिन Web 3.0 पूरी तरह से decentralise है अब decentralise होने का मतलब आपका data किसी एक company के पास ना होकर थोड़ा थोड़ा सबके पास होगा, या किसी के पास नहीं होगा अब कोई एक company चाहे तो भी आपकी वेबसाइट अपनी मर्जी से बंद नहीं हो सकती क्यो की ये अब decentralise हो गया है|
Web 3.0 किस technology पर आधारित है|
दोस्तों web 3.0 एक मुख्य technology पर आधारित है जिसको हम BLOCKCHAIN (ब्लॉकचैन ) भी कहते है, block chain क्रिप्टो currency का base है,
ब्लॉकचैन पर data किसी एक company या सर्वर पर नहीं होता बल्कि पुरे ब्लॉकचैन नेटवर्क पर थोड़ा थोड़ा होता है, सो अगर कोई इस data मे किसी प्रकार के changes या फिर गलत चीज ऐड नहीं कर सकता क्यो की इसो हैक करना लगभग इम्पॉसिबल है
आपका data छोटे छोटे block के रूप मे block chain पर होता है और इसके owner सिर्फ वही होता है जिसके नाम पर ये register है मतलब सारा कण्ट्रोल आपके हाथ मे
रियल world example of web 3.0
जैसे की अब आपको पता है की web 3.0 ब्लॉकचैनtechnology पर आधारित है,
अब अपने बहुत सारे डोमेन के बारे मे suna होगा जैसे की google.com, डॉट in, डॉट नेट etc
ये सब web2.0 के top लेवल डोमेन name है और ये आज कल बहुत कॉमन है,
पर dot.xtld, dot.bitcoin, dot.nft, dot.wallet
दोस्तों in सबको NFT डोमेन भी कहते है ये इस तरह के top लेवल डोमेन है जिनको आप Godaddy, या फिर google domain से अभी के लिए नहीं खरीद sakte है,
इनका रिकॉर्ड ब्लॉकचैन के अंदर होता है, एक wallet address की तरह, बिलकुल unique,
इसका फायदा ये है की आपको renew करने की कोई जरुरत नहीं एक बार इसको लिया तो ये पूरी lifetime के लिए आपका| ” अब ये हुई ना काम की बात ”
अब आपको थोड़ा थोड़ा इंट्रेस्ट जरूर आ रहा होगा
और इसके फायदे यहाँ तक ही simit नहीं है बल्कि आप इस nft domain को अपने wallet address, सोशल मीडिया हैंडल या किसी और तरह भी यूज़ कर सकते है, nft domain का रिकॉर्ड सब ब्लॉकचैन पर स्टोर होता है
परinterpafileबात domain की पर क्या आप nft domain वाली वेबसाइट किसी भी नार्मल होस्टिंग या server पर होस्ट कर सकते है जवाब है नहीं decentralise domain की तरह decentralise होस्टिंग भी जरुरी है, server कोई एक server नहीं होगा ये decentralise server होगा जो नेटवर्क के हर सिस्टम पर मौजूद होगा जिनको एक सिस्टम manage करेगा जिसको ipfs (interplaetary file system) आपकी वेबसाइट की file पुरे नेटवर्क मे होंगी.
Web 3.O के क्या फायदे और नुकसान है?
अभी तमाम जानकारी पढ़ने समझने के बाद ये पता चलता है की web 3.o का सबसे बड़ा फायदा आपका data और पर्सनल information पहले से ज़ादा सुरक्षित हो जाएगा.
दूसरा फायदा यह होगा की digital world मे कम्पनियों की मोनोपोली खत्म होगी.
यदि नुकसान की बात करें तो इसका उपयोग ellegal activity को बढावा दे सकता है.क्योंकि इसमें कोई सरकारी संस्था क़ानून का कंट्रोल नहीं होगा. जिससे कई गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देना आसान ही जाएगा.
Advantage और benefits of web3.0
- Lifetime web domain फ्री एक time परचेसर karne पर
- Domain का यूज़ और भी कई तरीको से क्या जा sakta है
- Server less होस्टिंग
- Unhackable
- Privacy
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