होली पर निबंध | होली क्यों मनाई जाती है

होली पर निबंध | hindi essay on holi | होली क्यों मनाई जाती है.

सबसे पहले तो सबको happy holi,होली के महापर्व क़ी सभी को हार्दिक बधाई व मंगल कामना.आज हम होली के इस निबंध के माध्यम से जानेंगे होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है | होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है.hindi essay on holi fastivel.

भारत मे होली का पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास क़ी पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार 2022 मे होली का पर्व 18 मार्च दिन शुक्रवार को पड़ रहा है.

 

होली पर निबंध | 150 word essay on holi 

हर वर्ष क़ी तरह इस बार भी holi का पर्व भारत के कई शहरों मे धूम धाम से मनाया जाएगा.बड़ा ही हर्षो उल्लास भरा त्यौहार है होली.

होली-पर-निबंध

होली का पर्व ना सिर्फ भारत मे बल्कि विदेशों मे भी कई जगहों पर हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. विदेशों मे,विदेशी और भारतीय दोनों मिलकर बड़े नए अंदाज़ मे होली का पर्व बहुत खुशिपूर्वक मनाते है.

होली का यह महापर्व सतयुग, त्रेता और द्वापर युग से ही चला आरहा है. 

होली का त्यौहार hindu धर्म के बड़े त्योंहारो मे से एक है यह एक धार्मिक पर्व है. होली को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है.

होली वाले दिन लोग आपसी दुश्मनी भुला कर एक दूसरे को ग़ुलाल (रंग) लगाकर, गले मिकते है. इस दिन को बच्चे,जवान सबसे ज़ादा enjoy करते है.

बच्चे पानी से भरे गुब्बारे से लोगो पर निशाना लगाते है और रंग भरी पिचकारियों से एक दूसरे पर पानी फैकते हुए बड़े मजे से इस त्यौहार को मनाते है.

युवा लोग तो टोलियाँ बना कर ढ़ोल बजाते नाचते गाते होली  खेलते है. इस दिन बड़े पैमाने पर होली मनाते हुए लोग भाँग भी पीते है.इस दिन हर घर मे लोग तरह तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाते है.

होली का त्यौहार हमें आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर प्रेम से रहने,जात पात से ऊपर उठकर बिना किसी भेद भाव के हर त्यौहार को मनाने का सन्देश देता है.

 

होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है.

होली का त्यौहार सतयुग से चला आ हा है. लेकिन इस त्यौहार को मनाने के अलग अलग अंदाज़ इतिहास से जुड़ी घटनाओ पर निर्भर करती है.

होली क़ी शुरुआत सतयुग से हुई. इसके पीछे एक धार्मिक कथा जुड़ी है.इस कथा से एक बहुत ही ज्ञान भरी शिक्षा मिलती है. चलिए जानते है क्या है ये धार्मिक कथा.

एक हिरण्यकश्यप नाम का राजा होता था जो राक्षस कुल का था. हिरण्यकश्यप ने घोर तपस्या से एक ऐसा वरदान माँग लिया क़ी वह धरती पर अजय हो गया. उसे अपनी ताकत का इतना अहंकार हों गया क़ी वह स्वयं को भगवान समझ बैठा. अब वह नहीं चाहता था क़ी धरती का कोई मनुष्य भगवान विष्णु क़ी पूजा आराधना करें वह चाहता क़ी लोग उसकी पूजा करें उसके नाम  से हवन करें ताकी उसे और शक्ति प्रदान हों.ऐसे मे धरती पर जो कोई भी भगवान विष्णु क़ी पूजा करता वह सब को दर्दनाक मौत देता. जूस देख कर मजबूरी मे हर मनुष्य हिरण्यकश्यप को ही भगवान मानने लगा और उसी क़ी हाँ मे हाँ मिलाने लगा.

लेकिन हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम था प्रहलाद.  प्रहलाद भगवान विष्णु का परम् भक्त था. यह बात हिरण्यकश्यप के गले से नहीं उतरी, लोगो मे अपना ख़ौफ़ बरकरार रखने के लिये हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे प्रहलाद को कई बार जान से मारने क़ी कोशिश क़ी किन्तु हर बार भगवान विष्णु क़ी शक्ति व माया से प्रहलाद हमेशा बच जाता.

एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया. होलिका हों वरदान था क़ी वह अग्नि मे कभी नहीं जल सकती.किन्तु इस वरदान का ज़ब भी दरूपयोग होगा तब यह वरदान निरर्थक निशफल हों जाएगा.

किन्तु हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका बड़ी सी चिता पर प्रहलाद को अपनी गोदी मे लेकर बैठे गई.

चिता जलते ही प्रचण्ड अग्नि मे होलिका जल कर वहीं राख़ हों गई और भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु क़ी कृपा से पुनः बच गए.

बस इसी दिन को होलिका दहन के नाम से जाना जाने लगा.इसलिए इस दिन सुबह सबसे पहले होलिका दहन किया जाता है जो क़ी बहुत शुभ और मंगलकारी माना जाता गई. होली वाले दिन सुबह ऐसा करने से जीवन पर मंगलकारी प्रभावित पड़ता है.

 

होली को रंगों का त्यौहार क्यों कहा जाता है?

इसके इलावा होली को ग़ुलाल द्वारा एक दूसरे को रंग लगा कर गले मिलने क़ी प्रथा त्रेता युग यानी भगवान कृष्ण के समय से चली आरही है. भगवान कृष्ण द्वारा ही सबसे पहले होली के पर्व को रंगों द्वारा मनाया गया. भगवान कृष्ण अपने सभी मित्रो सहित बचपन मे अलग अलग रंगों यानी ग़ुलाल को एक दूसरे पर फेक कर खेलने लगते.

रंगों मे इतने घुल मिल जाते क़ी मैया यशोदा सहित अन्य सभी माताओ द्वारा अपने अपने पुत्रो को पहचानना मुश्किल हों जाता क़ी उनका पुत्र या पुत्री कौन है. सिर्फ यही नहीं जब भगवान कृष युवा वस्था पर पहुंचे तब वह बहुत रोचक तरीके से होली का पर्व मनाते जिसमे उनकी अती प्रिय माखन से भरी हंडिया ऊचाई पर टांग दी जाती. तब भगवान श्री कृष अपने मित्रो क़ी मदद से उस हांडी तक पहुँच कर उस हांडी को फोड़ देते या उतार लाते फिर वह माखन सब मिल बाट कर खाते. यह दृश्य बड़ा ही रोमांचक होता था.

बस तब से उसी दिन से इस प्रकार क़ी होली का नाम मटका फोड़ होली पड़ गया. इस तरह क़ी होली महाराष्ट्र, मुंबई, राजस्थान, उत्तरप्रदेश 

 

वृन्दावन क़ी होली 

भारत के ब्रिज, गोकुल,और वृन्दावन जैसे शहर तो होली के इस महापर्व के लिये बड़े मशहूर है. विदेशों तक से लोग वृन्दावन क़ी होली देखने और खेलने खिचे चले आते है.

यहां पर एक हफ्ते लगातार होली का पर्व मनाया जाता है. जिसमे मटकी तोड़ होली, लट्ठमार होली, जैसे तमाम प्रकार क़ी अलग अलग अंदाज़ मे मनाई जाने वाली होली है.

होली के पर्व मे कई शहरों मे मटका फोड़ होली के आयोजन भी करवाए जाते है जिसे एक बड़े पैमाने पर उत्तस्व के रूप मे एक खेल प्रतियोगिता केवरूप मे अंजाम दिया जाता है.

उँची ऊँची मंजिलों पर रस्सीयों के माध्यम से मट्टी क़ी दही हांडी लटका दी जाती है जो पूरी तरह दही से भरी होती है. बस उस मटकी को फोड़ना होता है. उसे फोडने के युवाओं क़ी अलग टीमें हिस्सा लेती है.हांडी फोड़ने वली टीम को बड़े इनाम से सम्मानित किया जाता है.

 

होली पर पर पकवान 

होली के त्यौहार मे भारत के अलग अलग शहरों मे घरो मे तरह तरह के लजीज पकवान बनाए जाते है. इनमे से होली पर्व पर बनाया एवं खाया जाने वाला सबसे मशहूर पकवान है गुझिया.जैसा क़ी आप image मे देख रहे हों इसी को गुझिया बोला जाता है.

होली-पर-निबंध

यह मैदे, का बनता है इसमें काजू बदाम खोया किशमिश शक़्कर डाला जाता है. यह ख़ाने मे बहुत ज़ादा लज़ीज़ होता है.

इसके इलावा, मट्ठी, हलवा, दाल भरी, पकोड़िया आदि अन्य प्रकार के स्नेक्स.

इसी तरह भारत के अलग अलग राज्य मे कुछ कुछ जगहों पर अलग प्रकार से मनाई जाने वली सेलिब्रेट क़ी जाने क़ी जाने होली देखने को मिलती है.

आज हमने इस होली पर निबंध मे जाना क़ी होली का त्यौहार कब मनाया जाता है, होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है. होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है.

हम अपने blog gyandarshan.Online पर निबंध के माध्यम से त्योहारों से जुड़ी जानकारी आप तक पहुँचाते रहते है.हमसे जुड़े रहे.

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