Essay of Dussehra in Hindi दशहरा पर निबंध
नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए बहुत ही खूबसूरत Essay of Dussehra in Hindi लेकर आए है.
आज हम दशहरा के इस निबंध के माध्यम से जानेंगे की –
- दशहरा और विजय दशमी का अर्थ क्या है?
- दशहरा क्यों मनाया जाता है
- दशहरा कैसे मनाया जाता है
Table of Contents
दशहरा पर निबंध | essay of dussehra vijaya dashami
दशहरा भारत एक धार्मिक पर्व है. यह पूरे भारत मे बड़ी ही धूम धाम एवं हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है.
विजय दशमी हर वर्ष अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन पूरे भारत मे सभी स्कूलों कॉलेजो, और कुछ सरकारी तथा प्राइवेट संस्थानों मे अवकाश (छुट्टी का दिन) होता है.
दशहरे को विजय दशमी भी कहा जाता है.
दशहरा शब्द दो शब्दों के मेल से बना है, दश +हरा यानी दस बुराइयों की हार. ठीक इसी तरह विजयी दशमी का अर्थ है दस बुराइयों पर विजय.
अतः पूरे भारत वर्ष मे इस महान पर्व को दशहरा एवं विजय दशमी के नाम से जाता है.
दशहरा /विजय दशमी क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार ज़ब भगवान श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी “माता सीता” के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए एक जगह कुटिया पर कुछ समय के लिए कुटिया बना कर ठहरे हुए थे तब वहाँ पर एक दिन लंका के राजा रावण की बहन सूर्पनखा अपनी दिव्य शक्तियों से अकास मार्ग से विचरण करती हुई उस के ऊपर से गुजर रही थी तो उसकी नजर भगवान राम पर पड़ी.
भगवान श्री राम का सूर्य की भांति चमकता हुआ सुंदर स्वरूप देख कर सूर्पनखा उनपर मोहित हो गई. सूर्पनखा ने तुरंत अपनी दिव्य शक्तियों से अपना राक्षसी स्वरूप बदल कर एक सुंदर स्त्री मे बदल गई.
भेश बदल कर सूर्पनखा भगवान श्री राम के समक्ष पहुंची और उनसे सम्मुख अपने संग विवाह करने जा का प्रस्ताव रखा.
भगवान श्री राम ने यह कह कर बात टाल दी की हम शादी शुदा है आप अपना यह प्रस्ताव हमारे भाई लक्ष्मण के सम्मुख रखे. सूर्पनखा ने ज़ब लक्ष्मण को देखा तो वह उन पर भी उनके अद्भुत स्वरूप को देख कर मोहित हो गई.
लक्ष्मण जी ने लाख कहने पर भी ज़ब सूर्पनखा का विवाह प्रस्ताव स्वीकार ना किया ती वो वह इसे अपना निरादर समझ कर क्रोधित हो गई अतः वह अपने असली राक्षसी स्वरूप मे आगई.
सूर्पनखा ज़ब माता सीता की ओर बढ़ने लगी तो इस लक्ष्मण जी क्रोधित हो उठे ओर उन्होंने अपने तेज़ बाणो से सूर्पनखा की नाक काट दी. नाक कटते ही सूर्पनखा दर्द से चीख उठी और वहाँ से अपने भाई रावण के पास पहुंची.
सूर्पनखा ने सारी बात राजा रावण को बताई. लंका का राजा रावण भगवान ब्रम्हा और शिव से मिले कई वरदानो का मालिक था. राजा रावण भगवान शिव का परम् भक्त था. रावण ने अपनी बहन की इस बेज्जती का बदला लेने की सोची.
बहन का बदला लेने के लिए रावण माता सीता को बल पूर्वक उठा कर लंका ले आया.
हनुमान जी ने माता सीता का पता लगाया और रावण को बहुत समझाया की माता सीता को लौटा दो. लेकिन रावण होनी ताकत के अहंकार मे चूर था.
अंततः भगवान श्री राम ने रावण से युद्ध करने के लिए हनुमान जी और किस्किंधा नरेश सुग्रीव के साथ मिल एक विशाल सैना तैयार की.
युद्ध मे भगवान श्री राम ने लंका के राजा रावण को पराजित कर माता सीता को पुनः प्राप्त किया.
तब से इस दिन को बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत के रूप मे इस महान पर्व को धूम धाम से मनाया जाता है.
इस दिन से एक और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है जिसमे कहा जाता है की इस दिन माँ दुर्गा ने राक्षसों का वध कर के धरती को राक्षसों के पाप एवं अत्याचार से मुक्त करवाया था.
अतः इस दिन की याद मे भी विजय दशमी का पर्व मनाया जाता है. यह पर्व खास कर कोलकाता मे सबसे बड़े पर्व के रूप मे मनाया जाता है कोलकाता मे इस पर्व को माँ दुर्गा पूजा उतत्सव के रूप मे धूम धाम से मनाया जाता है.
दशहरा /विजय दशमी कैसे मनाई जाती है?
विजय दशमी से 9दिन पूर्व भारत के कई हिस्सों, गाँवो, नगर और शहरों मे राम लीला आयोजन करवाया जाता है. राम लीला मे भगवान श्री राम के जीवन को दर्शाने से लेकर रावण वध तक के सभी दृश्य को संगत के सम्मुख एक नाटक मंच के माध्यम से पस्तुत किया जाता है.
रामलीला की तैयारी कई दिनों पहले ही आरम्भ कर दी जाती है.
इस नाटक मंच मे नाटक मंडली कलाकार, संगीत कार शामिल होते है. भगवान श्री राम के जन्म से लेकर रावण वध तक के सफर को 9 दिनों के छोटे छोटे हिस्सों मे बाँट दिया जाता है फिर उन्हें रोज रात 9 बजे से 12 बजे तक नाटक मंच पर नाट्य कार्यक्रम के रूप मे लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाता है.
इस नाट्य कार्यक्रम मे सभी कलाकार अपनी अपनी भूमिका निभाते है और नाटक मंच सभी पर अपनी अद्भुत कलाकारी का परिचय देते है.
शहरों के बड़े राम लीला अयोंजनों को सीधा टीवी चैनलो पर भी प्रसरण किया जाता है जिसजा करोड़ो लोग घर बैठे आनंद उठा पाते है.
दसवे दिन तमाम शहरों एवं गाँवो मे रामलीला प्रबंधक कमेटीयों द्वारा एक बड़े से मैदान मे रावण,मेघनाथ, और कुम्भकर्ण के बड़े बड़े पुतले बना कर उनमे बम फिट किये जाते और खड़ा कर दिया जाता है.इसकी सभी तैयारी एक दिन पहले से ही आरम्भ कर दी जाती है.
(मेघनाथ, रावण का बेटा था और कुम्भकरण रावण का छोटा भाई था)
दसवे दिन यानी दशहरे के दिन दिन के 12 बजे से शोभा यात्राएं निकली जाती है. जिसमे तमाम ट्रालिया होती है.कुछ ट्रालियों पर भगवान राम और रावण की तमाम सेनाए होती है और कुछ ट्रालियों पर भजन संगीत करते हुए लोग होते है.
सभी ट्रालियां एक कतार मे धीरे धीरे गली मोहल्लो मे घूमती हुई शाम को उस मैदान पर पहुँचती है जहाँ रावण के पुतले खड़े किये होते है.
अंततः सभी ट्रालिया नगरों का भर्मण करने के बाद जैसे ही मैदान पहुँचती वहाँ पहले से ही इस अद्भुत दृश्य को देखने जे लिए लोगों की भीड़ उमड़ी होती है. नगर पशासन द्वारा भीड़ को सँभालने का प्रबंध एवं कार्य क्रम को सही से चलाने के लिए उचित व्यवस्था की होती है.
कुछ देर तरह तरह के पटाखों का प्रदर्शन किया जाता है. खूब तरह तरह की अतिश बाज़ीयां आसमानो की तरफ छोड़ी जाती है. यह सभी दृश्य इतना अद्भुत नजारा पेश करता है जिसे वहाँ मौजूद तमाम लोग अपने mobile से वीडियो रिकॉडिंग कर लेते है.
इसके बाद भगवान राम द्वारा सभी पुतलो मे जलते हुए बाणो से आग लगा दी जाती है. इसके बाद उस मैदान मे लगे विशाल मेले मे लोग खाते पीते है सामान खरीदते है और खूब मनोरंजन करते है.
दशहरा पर निबंध निष्कर्ष
तो दोस्तों पूरे भारत वर्ष मे दशहरे /विजय दशमी का महा पर्व इस तरह पूरे उल्लास पूर्वक मनाया जाता है .
तो दोस्तों आज Essay of Dussehra in Hindi दशहरा पर निबंध मे हमने जाना की दशहरा /विजय दशमी का क्या अर्थ है? क्यों और कैसे मनाया जाता है.
उम्मीद करता हूं Essay of Dussehra in Hindi दशहरा पर निबंध आपको बहुत पसंद आया होगा.
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