Janmashtami 2021 कब है | व्रत के नियम | पूजा विधि

shri krishna janmashtami 2021  – नमस्कार दोस्तो ! सबसे पहले तो आप सब को आने वाले जन्मअष्टमी की बहुत बहुत बधाई | happy janmashtami 2021 | दोस्तो हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव पूरे भारत सहित विदेशों मे भी धूम धाम से मनाया जाएगा |

भगवान श्रे कृष्ण के भक्तो के लिए यह दिन बहुत खास होता है साल भर भगवान कृष्ण की भक्ति मे डूबे हुए कृष्ण भक्त इस दिन को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है | वेदेशों से भी बहुत से लोग इस पर्व को देखने और मनाने के लिए  मथुरा और वृन्दावन आते है | राजस्थान ,गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य तो पूरा रोशनी से जगमगा उठते है | चलिये जानते है Janmashtami 2021 kab hai?

Janmashtami 2021 Date | जन्माष्टमी समय की शुरुआत 

 हिन्दू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू मान्यता अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। तब से आज तक भगवान श्री कृष्ण के इसी जन्मोत्सव को पूरे भारत वर्ष मे बड़ी धूम धाम से मनाया जाते आरहा है |

 

janmashtmi kab hai |किस दिन  है जन्माष्टमी? Janmashtami 2021 

इस बार साल 2021 में जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त को मनाया जा रहा है । क्योकि इस वर्ष अष्टमी तिथि की शुरुआत 29 अगस्त  रात 11 बजकर 25 मिनट से प्रारम्भ होकर 31 अगस्त को दोपहर  2 बजे पर समाप्त हो रही है  |

इस दिन रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 30 अगस्त को सुबह 6 बजकर 39 मिनट  पर होगा और इसकी समाप्ति 31 अगस्त को सुबह 9 बजकर 44 मिनट पर  होगी।

janmashtami

Janmashtami 2021 पूजा का समय 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी  पूजा का समय 30 अगस्त की रात्री 11 बजकर 59 मिनट पर आरंभ होकर 12 बजकर 46 मिनट पर समाप्त हो जाएगा |

 

कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी 

जन्माष्टमी यानी भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म दिन  पूरे भारत मे बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | इस दिन लोग व्रत रखते है और भगवान कृष्ण के जन्म के बाद व्रत खोलते है | जन्माष्टमी की तैयारियां 2 से तीन दिन पहले ही प्रारम्भ हो जाती है | जन्माष्टमी  का उत्सव घरों मे , गाँव, नगरों , कस्बों , और शहरो के हर छोटे बड़े मंदिरों मे  जन्माष्टमी  का भव्य आयोजन किया जाता है |

इस दिन मंदिरों को खूब सजाया जाता है | इस दिन मे लोग घरो और मंदिरो मे हवन का आयोजन भी करवाते है | जन्म के एक दिन पहले से ही मंदिरों मे  शाम से लेकर जन्म होने तक खूब कीर्तन भजन और सत्संग करते है |

इस दौरान कई मंदिरो अथवा जगहो पर भगवान श्री कृष्ण के नाट्य कार्य करमो का भी बहुत खूबसूरत आयोजन करवाया जाता है जिसमे बड़े बड़े कलाकार अपनी खूबसूरत परतिभा से आयोजन मे चार चचाँद लगा देते है |

जन्म होने के बाद भक्तो मे प्रशाद बाँट कर उतत्सव की समाप्ती की जाती है |

जन्माष्टमी  वाले दिन हर सरकारी संस्थाओं मे छुट्टी होती है |

 

माखन की मटकी फोड़ने का महा आयोजन 

इस दिन भारत के कई राज्यों ,शहरों मे माखन की मटकी फोड़ने का भी आयोजन भव्य आयोजन किया जाता है जिस पर बड़े बड़े इनाम रखे जाते है | यह आयोजन एक प्रतिस्पर्धा के रूप मे करवाया जाता है | एक मटकी को बहुत ऊची जगह पर बांध दिया जाता है | फिर अलग अलग कलाकारो की पूरी टीम इस मटकी को फोड़ने का प्रयास करती है |

लेकिन यह इतना आसान नहीं होता क्योकि जब खिलाड़ी मटकी फोड़ने के लिए एक दूसरे के ऊपर पैर रख कर नियम बद्ध तरीके से मटकी तक पहुँचने का प्रयास करते है तब बहुत से लोग अपनी घरो बालकनी और छतों से उन खिलाड़ियो के ऊपर पानी फेकते है जिस वजह से यह खेल और भी जादा रोमांचक और मुश्किलों भरा हो जाता है | इस खेल प्रतियोगिता को देखने के लिए बहुत लोगो की भीड़ पहुँचती है | इस आयोजन मे बहुत से पुलिस जवानो को भी तैनात किया जाता है |

जो टीम इस मटकी को फोड़ने मे सफल होती है उस टीम को कई पुरुषकार और धनरशी इनाम के रूप मे देकर प्र्तिभागियों का उत्साह बढ़ाया जाता है ओर उनका सम्मान किया जाता है |

 

 

जन्म अष्टमी नाम कैसे पड़ा | पौराणिक कथा 

भगवान श्री कृष्ण को जन्म देने वाली माता का नाम  माँ देवकी है और  पिता का नाम श्री वशूदेव है |भगवान श्री कृष्ण जी को पाल पोष का बड़ा करने पिता का नाम  नन्द बाबा  और माता का नाम माँ  यशोदा है  |

कहा जाता है की जब जब मथिरा के राजा  महा शक्तिशाली कंस का अतत्याचार धरती पर बहुत जादा बढ़ गया तब एक आकाशवाणी हुई की हे कंस तेरे पापो का घड़ा जल्द ही भरने वाला है तुझे जिस ताकत और शक्तियों का घमंड है उस ताकत के सृजनहार जल्दी ही धरती पर तुम्हारी बहन देवकी के गर्भ से अवतरित होंगे |

इस आकाशवाणी ने कंस को अपनी मौत की फिक्र सताने लगी | कंस ने अपनी बहन देवकी और अपने बहनोई वासुदेव जी दोनों को करगार मे बंद करवा दिया |  

समय बीतता गया कंस तक जब खबर पहुची की देवकी ने एक बच्चे को जन्म दिया है तभी कंस ने आव देखा ना ताव तुरंत जा कर उस अत्याचारी ने देवकी के बच्चे को खत्म कर दिया |

इस तरह आगे भी चलता रहा , कंस देवकी के कुल 7 बच्चो  को मार चुका था |  फिर चातुर्मास की शुक्ल पक्ष मे भगवान ने माँ देवकी के गर्भ से आठवीं संतान के रूप मे जन्म लिया | 

इसीलिए इस दिन को जन्म अष्टमी कहा जाता है | जन्म अष्टमी का अर्थ होता है आठवा जन्म |

 

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