भारत की स्वतंत्रता और बटवारे का इतिहास

bhaarat kee svatantrata aur batavaare ka itihaas | भारत की स्वतंत्रता और बटवारे का इतिहास, आज हम इस post मे विस्तार से जानेंगे की भारत अंग्रेजो की 250 साल की गुलामी से आज़ाद कैसे हुआ और फिर भारत और पाकिस्तान का विभाजन कैसे हुआ?

भारत के राज्य और राजधानियां

भारत की स्वतंत्रता और बटवारे का इतिहास

इतिहास के पन्नों में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा, काले अक्षरों में अंकित है। एक ओर जहाँ भारत की आधे से ज़ादा आबादी,अंग्रेजी हुकूमत से आजाद होने का जश्न मना रही थी, तो वहीं दूसरी ओर अखंड भारत का विभाजन हो रहा था।

जाति और धर्म के नाम पर सिक्ख हिंदू और मुसलमान, एक दूसरे के खून के प्यासे हो रहे थे।

भारत-की-स्वतंत्रता-और-बटवारे-का-इतिहास

 1947 में दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन हुआ था, जहां 1.5 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा था। इतिहास की लड़ाई में महात्मा गांधी, सरदार पटेल से लेकर जवाहरलाल नेहरू तक अनगिनत लोगों के नाम शामिल है।

इन सभी क्रांतिवीरों व स्वतंत्रता सेनानियों के दम पर ही, आज हम लोग अपने घरों में चैन की नींद सो पा रहे है। आजादी की लड़ाई के बारे में आप सभी ने आजतक, काफी कुछ सुना होगा और स्कूल-कॉलेज में इतिहास की किताबों में पढ़ा भी होगा।

लेकिन आजादी के बारे में ऐसी कई बाते है, जो हमारे इतिहास में या इतिहास की किताबों मे बताई ही नहीं जाती है।

तो दिल थाम कर बैठ जाओ, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको भारत की आजादी और देश के विभाजन के बारे में कई ऐसी रोचक बाते बताने जा रहे है , जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

1947 का बटवारा और भारत की आजादी 

पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों ही, 15 अगस्त को आजाद हुए थे। लेकिन पाकिस्तान फिर भी अपना स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को मनाता है। इस बारे में वैसे तो कोई भी ठोस सबूत नहीं मिलता, कि पाकिस्तान एक दिन पहले अपना स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाता है। जबकि मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने भाषण में 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी है।

लेकिन कहा जाता है कि भारत के अंतिम वायसरॉय माउंटबेटन को, भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में आजादी के जश्न में शामिल होना था। इसीलिए, जहाँ पाकिस्तान के कराची में 14 अगस्त को आजादी की ख़ुशी का कार्यक्रम आयोजित किया गया तो वहीं भारत के संसद भवन में यह कार्यक्रम 15 अगस्त को आयोजित हुआ, और इन दोनों ही कार्यक्रम में लॉर्ड माउंटबेटन उपस्थित रहे थे।

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आज इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजधानी है। लेकिन आजादी के वक्त कराची को पाकिस्तान की राजधानी घोषित किया गया था।

आजादी के 20 साल बाद, 14 अगस्त 1967 को, पाकिस्तान ने अपनी राजधानी कराची से इस्लामाबाद शिफ्ट कर ली।

पाकिस्तान जब आजाद हुआ, तो उस देश के पास अपनी कोई करंसी नहीं थी। पाकिस्तान की सरकार ने भारतीय रुपयों पर अपनी मोहर लगाई और एक साल तक, भारतीय रूपयों का इस्तेमाल ही पाकिस्तान में होता रहा। सन 1948 में पाकिस्तान ने पाकिस्तानी रुपए की छपाई शुरू की। 

भारत और पाकिस्तान का बंटवारा बिल्कुल भी आसान नहीं था। दोनों देशों के बीच नोट, सिक्के, साइकिल, टेबल, कुर्सियां, किताबे, टाइपराइटर जैसी चीजों को लेकर काफी हंगामा हुआ था

और इन सभी चीजों का भी आधा आधा बंटवारा किया गया था। उस समय भारत के वायसरॉय के पास 12 शाही घोड़े की गाड़ियां मौजूद थी। इनमें से 6 गाडियां गोल्ड प्लेटेड थी, तो 6 गाड़ियों पर चांदी की परत चढ़ी हुई थी।

पाकिस्तान और भारत,दोनों ही सोने की परत वाली शाही गाड़ी अपने पास रखना चाहते थे। अंतिम फैसला लेने के लिए दोनों देशों के बीच में सिक्का उछालकर फैसला किया गया था, जिसमें भारत को जीत हासिल हुई। दोनों देशों को 3 चांदी की और 3 सोने की घोड़ा गाड़ी क्यों नहीं दी गई, इस बारे में इतिहासकार कुछ नहीं जानते। 

जिस समय भारत और पाकिस्तान का विभाजन हो रहा था, तब कुछ मुसलमानों ने ये मांग रखी, कि ताजमहल पाकिस्तान का हिस्सा होना चाहिए, क्योंकि ये एक मुसलमान शासक द्वारा बनवाया गया था।

इसलिए भारत के ताजमहल को ध्वस्त कर देना चाहिए और पाकिस्तान में नया ताजमहल बनना चाहिए।

 लेकिन इस मामले को बहुत ज्यादा तूल नहीं मिली और ऐसी मांग को अनसुना कर दिया गया।

 वहीं भारत के कुछ हिंदू विद्वानों ने कहा था कि सिंधू नदी से ही हिंदुस्तान की उत्पत्ति हुई है। सिंधू नदी हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है, और बंटवारे के समय यह नदी हिंदुस्तान में ही रहनी चाहिए। हिंदू पंडितों की इस बात पर भी बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया और रेडक्लिफ लाइन खीचें जाने के बाद, सिंधू नदी पाकिस्तान के हिस्से में चली गई। 

भारत और पाकिस्तान के बीच जो सीमा रेखा है, उसे रेडक्लिफ लाइन के नाम से जाना जाता है। यह लाइन Cyril Redcliff द्वारा निर्धारित की गई थी। इस लाइन को खींचे जाने के पीछे भी कई रोचक किस्से है।

कहा जाता है कि भारत के बंटवारे से कुछ दिन पहले ही साइरिल रेडक्लिफ को ब्रिटेन से भारत बुलाया गया था। साइरिल ना तो इससे पहले कभी भारत आए थो और ना इस लाइन के खीचें जाने के बाद उन्होंने हिंदुस्तान में कदम रखा। उन्हें भारत की संस्कृति, यहां के भूगोल, नदी, पहाड़ों, धर्म, जाति संप्रदाय आदि के बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी। तो इस तरह बिना किसी जानकारी वाले व्यक्ति को अंग्रेजी अधिकारियों ने भारत पाकिस्तान सीमा बंटवारा करने की जिम्मेदारी सौंप दी।

साइरिल ने पाकिस्तान को बीच में से ही दो हिस्सों में बांट दिया और उन्होंने अपनी रिपोर्ट 15 अगस्त से कुछ दिन पहले ही लॉर्ड माउंटबेटन को दे दी थी। लेकिन इस रिपोर्ट को सार्वजनिक, 17 अगस्त 1947 को आजादी के दो दिन बाद किया गया।

इतिहासकारों का कहना है, कि यदि 15 अगस्त से पहले ये रेखा निर्धारित हो जाती तो लाखों लोगों की जान बच सकती थी।

क्योंकि 15 अगस्त को लोगों को ये नहीं पता था कि कौन-सा हिस्सा पाकिस्तान में रहेगा और कौन-सा हिस्सा भारत में।

इसी बात को लेकर हिंदू मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे थे। साइरिल रेडक्लिफ द्वारा खींची गई लाइन से ना तो लॉर्ड माउंटबेटन खुश थे, और ना ही नेहरू, जिन्ना, सरदार पटेल जैसे बड़े नेता। इस बात से साइरिल रेडक्लिफ काफी नाराज हो गए थे, और उन्होंने 2000 पाउंड की फीस भी ठुकरा दी थी। 

भारत में अंग्रेजों के प्रति बढ़ते विद्रोह को देखते हुए 20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत की आजादी की घोषणा कर दी थी और आजादी की तारीख पहले 3 जून 1948 तय की गई थी।

लेकिन भारत में जब हिंदू मुसलमानों के बीच दंगे बढ़ने लगे, तो लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत को जल्दी आजाद करने का फैसला कर लिया। उन्होंने आजादी का दिन 15 अगस्त तय किया, क्योंकि इसी दिन 2 साल पहले 1945 को जापान ने allied देशों के सामने आत्मसमर्पण किया था।

लॉर्ड माउंटबेटन को जिस समय हिंदू मुसलमानों के दंगों पर ये ध्यान देना चाहिए था, की भारत पाकिस्तान का बंटवारा किस प्रकार हो रहा है, , वे उस कीमती समय में दोनों देशों के झंडे तय करने जैसे फिजूल कार्यों में अपना वक्त जाया कर रहे थे।

भारत के विभाजन के वक्त हुए लाखों लोगों की मौत का जिम्मेदार लॉर्ड माउंटबेटन को कहना गलत नहीं होगा। यह भी कहा जाता है कि 14 अगस्त को जब देश भर में दंगे अपनी चरम सीमा पर थे, उस समय माउंटबेटन अपनी पत्नी एड्विना के साथ बैठकर, हॉलीवुड फिल्म माई फेवरेट ब्रूनेट देख रहे थे। 

14 अगस्त की रात को जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही, देश को संबोधित कर दिया था और उनकी एतिहासिक स्पीच, हिस्ट्री विद डेस्टिनी को पूरे देश ने सुना था।

लेकिन आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी उस जश्न में शामिल नहीं हुए थे। गांधी जी उस समय हिंदू मुसलमान दंगो के विरोध में बंगाल में अनशन पर बैठे हुए थे। 

15 अगस्त के दिन सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि कुछ अन्य देशों के लोग भी आजादी का जश्न मनाते है। कोरिया को जापान से आजादी 15 अगस्त 1945 को मिली थी।

बहरीन ने 15 अगस्त 1971 को इंग्लैंड से आजादी प्राप्त की थी। और कांगो रिपब्लिक, फ्रांस से 15 अगस्त 1960 को आजाद हुआ था।  

तो दोस्तों ये थे भारत की आजादी और विभाजन से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां, जिनके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना होगा।

आज की इस वीडियो में आपको कौन-सी बात सबसे मजेदार लगी, हमें कमेंट करके जरुर बताएं। वीडियो अच्छी लगी हो तो इसे लाइक और शेयर करना ना भूलें। आज के लिए इतना ही। आपसे फिर मिलेंगे एक नई वीडियो और ढेर सारी रोचक जानकारी के साथ। 

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