Pankhavala | पंखे का इतिहास 200 साल पहले

दोस्तों आज हम Pankhavala पंखावाला, का इतिहास यानी पंखे के इतिहास के बारे मे विस्तार से जानेंगे और समझेंगे की भारत मे पंखे की शुरुआत कैसे हुई..

अंग्रेजों ने भारत में 200 साल से अधिक समय तक हुकूमत की है और इस दौरान उन्होंने भारत का करोड़ों अरबों रूपये का ना सिर्फ खजाना लूटा, बल्कि मासूम भारतीय लोगों पर तरह तरह के जुल्म भी किए।

अंग्रेज जब भारत आए तो उन्हें यहां सबसे बड़ी समस्या गर्मी की लगी थी। लेकिन वे अपनी हर समस्या को दूर करने के लिए मासूमों का सहारा लिया करते थे। जिस समय ब्रिटिशर्स भारत आए थे, उस समय तक बिजली से चलने वाले पंखों का आविष्कार नहीं हुआ था।

अंग्रेजों को जब भारत की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई तो उन्होंने कुछ लोगों को पंखा चलाने के लिए काम पर रखा। उन लोगों को pankhavala नाम दिया गया था। लेकिन पंखे वालों की नौकरी इतनी आसान नहीं हुआ करती थी। उन्हें अंग्रेजों द्वारा बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता था।

Pankhavala

pankhavala  | history of fans in hindi 

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे blog gyandarshan24 में और आशा है आप सभी अच्छे होंगे। आज की इस जानकारी में हम आपको बताएंगे कि अंग्रेज अपने एशो आराम और सुख-सुविधांओं के लिए किस हद तक गिर जाया करते थे।

दोस्तों आपने अंग्रजों की वो क्रूरता पहले कभी नहीं देखी होगी, जो हम आपको इस आर्टिकल में दिखाने वाले है। इसीलिए आर्टिकल को आखिर तक पढ़ना.

200 साला पुराना pankhavala इतिहास 

आज के समय में जब भी हमें गर्मी लगती है तो हम एक स्विच दबाकर पंखा चालू कर लिया करते है। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब पंखे जैसी कोई चीज भारत में नहीं हुआ करती थी।

भारतीय लोग हर मौसम को झेलने के आदि हुआ करते थे। लेकिन जब अंग्रेज भारत आए तो उन्हें यहां का मौसम रास नहीं आया। अपनी सहूलियत और सुख सुविधा के लिए उन्होंने पंखों का निर्माण कराया, जो वुडन फ्रेम और कपड़े की मदद से बनाए जाते थे।

आप तस्वीरों में देख सकते है कि किस तरह के पंखे उस जमाने में इस्तेमाल किए जाते थे। इन्हें चलाने के लिए कुछ लोगों को काम पर रखा जाता था, जिन्हें pankhavala नाम दिया गया था।

पखे वाले का काम होता था कि वह पूरे दिन बिना रूके एक रस्सी की मदद से पंखा चलाता रहे।

उसे किसी भी समय रूकना नहीं होता था। क्योंकि अगर पंखे वाला कुछ सेकेण्ड्स के लिए भी रस्सी खींचना बंद कर देता तो इससे अंग्रेजी शासकों के आनंद में खलल पैदा हो जाता था।

इस तरह के पंखे उस समय लग्ज़री सिंबल माने जाते थे। और अंग्रेजी अधिकारियों के बंगलों में, प्रशासनिक कार्यालयों और कोर्ट रूम जैसी जगहों पर ये पंखे लगाए जाते थे। एक पंखा चलाने के लिए दो या फिर तीन आदमियों की भी जरूरत पड़ती थी।

इस काम के लिए अधिकतर शक्तिशाली और बहरे लोगों को काम पर रखा जाता था। इसके पीछे की वजह ये थी कि पंखा चलाने वाले की बाजुओं में दम होना चाहिए, तभी हवा अच्छी आएगी। और बहरे लोगों को काम पर रखने की वजह ये थी कि इससे अंग्रेज आसानी से अपनी गुप्त बाते कर सकते थे और उनकी बातचीत किसी बाहरी व्यक्ति तक भी नहीं पहुंच पाती थी।

यदि कोई पंखा वाला बहरा नहीं होता था तो उसके कान में रूई डालकर कानों को अच्छी तरह से बंद कर दिया जाता था। या फिर पंखे वाले को कमरे से बाहर बिठाया जाता था और कमरे की दीवार पर एक छेद करके उसमे से रस्सी पार कर दी जाती थी और कमरे के बाहर बैठकर ही पंखे वाला व्यक्ति अपना काम करता रहता था।

Pankhavala का काम बहुत मुश्किल 

एक पंखे वाले की जॉब इतनी आसान नहीं होती थी, जितनी आप सोच रहे हैं। शायद आपको लग रहा होगा कि ये काम मजदूरी करने या फिर माल ढोहने से तो अच्छा ही है, क्योंकि इसमें दिनभर एक कोने में बैठकर बस रस्सी खींचनी होती थी। लेकिन यदि रस्सी खींचते समय कोई पंखा वाला थक जाता था और कुछ सेकेण्ड्स के लिए भी पंखा चलाना बंद कर देता था तो अंग्रेजों द्वारा उसे बेरहमी से पीटा जाता था।

पंखे वाले को पूरे दिन कुछ खाने पीने नहीं दिया जाता था। अक्सर ऐसा होता था कि पंखे वाला व्यक्ति काम करते करते थक जाता था और खाना ना मिलने के कारण बेहोश हो जाता था, तो उस समय भी अंग्रेजों को दया नहीं आती थी और उस व्यक्ति को वैसी ही हालत में छोड़कर अन्य व्यक्ति को पंखा चलाने के काम पर लगा दिया जाता था।

कुछ आला अधिकारियों के घर में दर्जनों पंखे वाले मौजूद रहते थे। उन्होंने अपने ड्राइंग रूम में, रसोई में, डाइनिंग हॉल में, बेडरूम में और यहां तक कि स्नानघर में भी पंखे लगा रखे होते थे और सभी कमरों के पंखे चलाने के लिए अलग अलग लोगों को नियुक्त किया जाता था। पंखे वाले की नौकरी के लिए हमेशा गरीब तबके के लोगों को रखा जाता था, जिनके ऊपर अंग्रेज आसानी से अपनी मनमानी चला सके।

दिन भर भूखे-प्यासे एक कोने में बैठकर रस्सी खींचने का काम कितना ऊबाउ होता होगा और किस प्रकार की मानसिक पीड़ा से उस समय भारतीय मजदूरों को गुजरना पड़ता होगा, ये तो सिर्फ वही जानते है जिन्होंने अनुभव किया है। क्योंकि ये उस दौर की बात है, जब कोई मानसिक पीड़ा के बारे में बात भी नहीं किया करता था।

हाथ से पंखा चलाने की प्रथा अंग्रेजों के जमाने में कोई नई नहीं थी। कृत्रिम हवा की शुरूआत सबसे पहसे अश्शूर और मिस्र के राजघरानों द्वारा की गई थी। उस दौर में बड़ी बड़ी पत्तियों से हवा की जाती थी और हवा करने के लिए एक ग्रुप को काम पर रखा जाता था।

एशिया में सबसे पहले जापान में हाथ से चलाने वाले अस्तित्व में आए थे। लगभग छठी शताब्दी में पहली बार जापान में हाथ के पंखों का चलन शुरू हुआ था, जिन्हें अकोमोगी (Akomeogi) कहा जाता था। आज भी जापान के कई संग्रहालयों में ये पंखे रखे हुए है। वहीं मिडिवल पीरियड के दौरान यूरोप के कई देशों में हस्तचलित पंखो का चलन शुरू हुआ और धीरे-धीरे ये पूरे यूरोप और एशिया में लोकप्रिय हो गए।

लेकिन हमेशा से ही सिर्फ उच्च घराने और बड़े अधिकारी ही इन पंखों का इस्तेमाल किया करते थे। क्योंकि पंखे चलाने के लिए मजदूरों की आवश्यकता पड़ती थी और केवल अमीर और ताकतवर लोग ही छोटे लोगों पर हुकूमत कर उनसे अपनी सेवा कराया करते थे।

Pankhavala

19वीं शताब्दी के अंत में बिजली से चलने वाले पंखों का आविष्कार हुआ और 20वीं शताब्दी में भारत में बिजली के पंखे पहली बार अस्तित्व में आए।

आज स्कूलों में बच्चों को ये तो पढ़ाया जाता है कि अंग्रेजों ने भारत पर 200 सालों तक राज किया, लेकिन इतने सालों में उन्होंने भारतीयों पर कितने जुल्म ढाए है, इस बारे में ना के बराबर जानकारी किताबों में दी जाती है।

आज भारत के युवा पढ़ लिखकर अमेरिका, लंडन जाने के सपने देखते है। यदि उन्हें अंग्रेजों की सच्चाई और क्रूरता के बारे में बता दिया जाए तो शायद भारत का युवा कभी पश्चिमी देशों की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखेगा।

जिन अंग्रेजों ने भारत पर दो सदी तक राज किया, आज एक बार फिर युवा उन्हीं लोगों की नौकरी करने के लिए विदेश जा रहे है। एक बार बाहर जाने का मन बनाने से पहले उन हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों और शूरवीरों के बलिदानों को याद करना चाहिए, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

मां भारती को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ाद कराने के लिए ना जाने कितने ही योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गए। उन सभी शहीदों को हम भावपूर्ण नमन करते है।

दोस्तों आशा है आपको ये वीडियो पसंद आई होगी। इस वीडियो को देखने के बाद आपकी आंखे जरूर खुली होगी और अंग्रेजों की बर्बरता पर गुस्सा भी जरूर आ रहा होगा। यदि आज भारत आज़ाद ना हुआ होता तो शायद आप और हम में से बहुत से लोग आज भी अंग्रेजों की गुलामी कर रहे होते और उनके लिए पंखा चलाने जैसे काम कर रहे होते।

तो दोस्तों ये था pankhavala यानी पंखे के इतिहास की पूरी जानकारी.

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