how divided pakistan from india | india pakistan partition

आज हम जानेंगे india pakistan partition की मुख्य वजह क्या थी.. how divided pakistan from india, इस समय पूरा भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश को आजाद हुए लगभग 75 वर्ष पूरे हो गए है।

15 अगस्त 1947 को भारत, अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था।

 इस आजादी के लिए,  भारत को 200 सालों का लंबा इंतजार करना पड़ा था। भारत माता के ना जाने कितने ही वीर सपूतों ने, अपने देश को पराधीनता की बेड़ियों से स्वतंत्र कराने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। 

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14 अगस्त 1947 की रात, भारत की आजादी का पैगाम लेकर आई थी। एक ओर जहाँ देश की आधी आबादी, आजादी का जश्न मना रही थी, तो वहीं पंजाब और बंगाल जैसे राज्य दंगों की आग में झुलस रहे थे।

14 अगस्त की रात को भारत के इतिहास में, काली रात का दर्जा भी प्राप्त है, क्योंकि यही वो दिन था, जब अखंड भारत दो हिस्सों में बंट गया था।

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जहां हिंदू मुस्लिम भाई भाई के नारे लगाए जाते थे, वहीं देश हिंदू और मुसलमान के नाम पर बंट गया।

14 अगस्त की रात को और क्या क्या हुआ था?

कैसे भारत का विभाजन हुआ था?

क्यों महात्मा गांधी आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए थे और एक ही दिन आजाद होने के बावजूद भी, पाकिस्तान 14 अगस्त को ही क्यों अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है? 

 

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इन सब सवालों के जवाब हम आपको आज की artical में देंगे, और बताएंगे कि आखिर, 14 अगस्त की रात को ऐसा क्या हुआ था, जिसने भारत का इतिहास, हमेशा के लिए बदल दिया था। 

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महात्मा गांधी के जनआंदोलन और सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने, अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाकर रख दी थी।

अंग्रेज समझ गए थे,कि अब, ज्यादा समय तक भारत को गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता। फरवरी 1947 को ब्रिटेन द्वारा, लॉर्ड माउंटबेटन को,भारत का अंतिम वायसराय नियुक्त किया गया,उन्हें ये जिम्मेदारी दी गई, कि भारत जाकर आपको व्यवस्थित तरीके से देश को आजाद करना है।

अंग्रेजों की हमेशा से ये नीति रही थी, कि वे जिस भी देश को आजाद करते, वहां के लोगों में फूट डालकर उसका विभाजन कर देते थे।

और ऐसा ही अंग्रेजों ने भारत में भी किया। भारत में लंबे समय तक हिंदू मुसलमान सिख ईसाई सभी धर्मों के लोग, आपसी भाईचारे और प्रेम के साथ रहते थे।

लेकिन बंगाल में, सन 1905 में अंग्रेजों ने डिवाइड एंड रूल का गंदा खेल शुरू किया, जो बाद में,भारत पाकिस्तान के विभाजन पर आकर खत्म हुआ। 

लॉर्ड माउंटबैटन ने भारत की आजादी के लिए,3 जून 1948 का दिन तय किया था। लेकिन, भारत की आजादी के साथ ही,   देश में बंटवारे की मांग भी उठने लगी।

 जगह जगह बंटवारे को लेकर दंगे होने लगे। मोहम्मद अली जिन्ना देश के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते थे।

 लेकिन महात्मा गांधी ने पंडित जवाहरल लाल नेहरू को वचन दिया था, की वे उन्हें ही भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाएंगे।

जिसके बाद जिन्ना ने भारत के एक बहुत बड़े हिस्से को *पाकिस्तान* नाम से अलग देश बनाने की मांग उठा दी . ।

देश में हिंदू मुसलमानों को लेकर दंगे शुरू हो गए। सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान और बंगाल में देखने को मिल रहा था।

लगातार बढ़ती हिंसा और दंगों के बीच लॉर्ड माउंटबेटन ने आजादी की तारीख, 3 जून 1948 की बजाय 15 अगस्त 1947 तय कर दी। 

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14 अगस्त की रात दिल्ली में तेज बारिश हो रही थी। लाखों की संख्या में लोग रायसिना हिल पर इकट्ठा हो रहे थे।

 रात के लगभग 10 बजे, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और वायसराय माउंटबेटन सहित कई बड़े नेता वहां पहुंचे।

वहां मौजूद हर किसी की आंखों मे, आजादी की चमक नजर आ रही थी। लोग जमकर जश्न मना रहे थे कि इतने लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार उन्हें आजादी मिल रही है।

 रात के 11 बजकर 11 मिनट पर, जवाहरलाल नेहरू ने अपना भाषण शुरू किया। उन्होंने कहा At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom. नेहरू जी की स्पीच के बाद रात के ठीक 12 बजे शंखनाद के साथ भारत आजाद हुआ। साथ ही पहली बार, भारत का तिरंगा शान के साथ लहराया गया।

उसी रात, भारत का विभाजन भी हुआ और पाकिस्तान नाम का नया मुल्क बना। 

अगली सुबह जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री की शपथ ली और उनके साथ 14 अन्य लोगों ने मंत्री पद और गोपनियता की शपथ ली। लेकिन उस समय कोई भी राष्ट्रगान नहीं गाया गया था। क्योंकि जन गण मन भले ही 1911 में लिखा जा चुका था, लेकिन, उसे राष्ट्रीय गान का दर्जा सन 1950 में मिला था।

16 अगस्त को लाल किला पर नेहरू और उनकी कैबिनेट ने तिरंगा फहराया था। 17 अगस्त को 1500 ब्रिटिशर्स के साथ, पहली टीम अपने देश रवाना हुई।

 भले ही अंग्रेजों ने 200 सालों तक भारत को कितना ही लूटा हो और तरह तरह के जुल्म हम भारतीयों पर ढाए हो, लेकिन अतिथि देवो भवः की परंपरा हमेशा से हमारे खून में रही है।

सभी ब्रिटिशर्स को पूरे सम्मान के साथ, बारातियों की तरह विदा किया गया। एक साल बाद 27 अगस्त को अंग्रेजों की अंतिम टीम रवाना हुई और उन्हें भी बैंड बाजे के साथ विदा किया गया। 

अब बात करते है कुछ तथ्यों की। जैसे क्यों 15 अगस्त का दिन ही आजादी के लिए चुना गया।

यह दिन माउंटबेटन ने चुना था। क्योंकि 1945 को इसी दिन जापान ने allied देशों के सामने आत्मसमर्पण किया था और माउंटबेटन उस समय एलाइड देशों के कमांडर थे।

 वहीं भारतीय ज्योतिष आचार्यों ने कहा कि भारत के लिए 15 अगस्त का दिन अच्छा नहीं है। माउंटबेटन भी वह दिन बदलने के लिए तैयार नहीं थे।

 अंत में 14 अगस्त की रात 12 बजे का समय आजादी का तय किया गया.

पर इस आजादी के जश्न में महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे। नेहरू जी और सरदार पटेल ने गांधी जी को पत्र लिखकर कहा था कि जिस आजादी के लिए आप इतने सालों से संघर्ष कर रहे है, वह हमें मिल रही है, और आप ही हमारा मार्गदर्शन करने के लिए यहां नहीं है।

असल में उस समय गांधी जी बंगाल में अनशन कर रहे थे। वे हिंदू मुसलमानों के बीच हो रहे दंगों से काफी व्यथित थे।

महात्मा गांधी ने कहा कि इतनी हिंसा के बाद जो आजादी मिल रही है, इस आजादी की कल्पना मैने नहीं की थी। ये तो सत्ता के लालची लोगों द्वारा ली गई आजादी है। और जहां हमारे देश के दो भाई आपस में लड़ रहे हो और देश बंट रहा हो, वहां मैं किसी भी प्रकार का जश्न कैसे मना सकता हूं। 

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अब सवाल आता है कि जब भारत और पाकिस्तान एक ही दिन आजाद हुए थे तो पाकिस्तान एक दिन पहले अपना स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाता है।

असल में इसके पीछे कोई भी सटीक लॉजिक नहीं है। भारत और पाकिस्तान बंटवारे का एलान 14 अगस्त की रात 12 बजे हुआ था और दोनों देशों के बीच रेड क्लिफ लाइन 17 अगस्त तक खींची गई थी। पाकिस्तान ने 1948 को भी 15 अगस्त को ही अपनी आजादी की पहली सालगिरह मनाई थी।

मोहम्मद जिन्ना ने अपने भाषण में भी 15 अगस्त को ही आजादी की बात कही थी। लेकिन कुछ लोगों ने पाकिस्तान के आला अधिकारियों के सामने 14 अगस्त को आजादी का जश्न मनाने का प्रस्ताव पेश किया था।

यह प्रस्ताव कौन लाया, इस बारे में कोई नहीं जानता। और इस तरह से पाकिस्तान की घड़ी को 24 घंटे पीछे कर दिया गया।

वहीं इसकी एक वजह ये भी बताई जाती है कि माउंट बेटन ने 14 अगस्त को ही पाकिस्तान के कराची में लोगों को आजादी की बधाई दे दी थी। और भारत में ये समारोह 15 अगस्त की सुबह आयोजित हुआ था। लेकिन सच क्या है, इस बारे में कोई भी ठोस दस्तावेज मौजूद नहीं है। 

तो दोस्तों ये थी 14 अगस्त 1947 की उस काली रात की कहानी, जिसने भारत और पाकिस्तान का बंटवारा कर दिया था।

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 यह इतिहास का सबसे बड़ा बंटवारा माना जाता है, जिसमें लगभग 1.5 करोड़ लोग विस्थापित हुए थे और लाखों लोगों की दंगों में जान चली गई थी। इस दिन जान गंवाने वालों की याद में 14 अगस्त को, विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का एलान भी,भारत सरकार द्वारा किया गया है। 

तो उम्मीद करते है की आप समझ गए होंगे की भारत पाकिस्तान के विभाजन (india pakistan partition) की मुख्य वजह क्या थी…

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FAQ:-


15 अगस्त 1947 को भारत में क्या हुआ था?

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था, जो भारत के लिए सबसे खास दिन था.


14 अगस्त 1947 की रात में क्या हुआ था?

14 और 15 अगस्त 1947 की उस रात को पूरे देश में बड़ा ही खुशनुमा माहौल था, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में आजादी के जश्न के जश्न की अलग ही छठा देखने को मिल रही थी। लोग आधी रात को सड़कों पर थे। लोग सड़कों पर जश्न मन रहे थे तो वहीं 14 अगस्त की मध्य रात्रि यानी रात 12 बजे को भारत की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी गई।

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