Hanuman chalisa meaning in hindi

Hanuman chalisa meaning in hindi | hanuman chalisa in हिंदी | हनुमान चालीसा अर्थ – दोस्तों आज हम आपको ना सिर्फ हनुमान चालीसा का अर्थ (hanuman chalisa meaning) बताएंगे बल्कि रोज या हर मंगलवार को हनुमान चालीसा पढ़ने से जीवन पर और मन पर कितने अद्भुत और सकारात्मक प्रभाव पड़ने लगते है ये भी बताएंगे.

सिर्फ हनुमान ही एक ऐसे देवता है जो श्री राम चंद्र जी के कार्यों को सफल करने, धरती पर रहकर धरती के लोगो का कल्याण करने,हेतु श्री राम जी ने वरदान दिया की आप अनंत काल तक धरती पर ही रहेंगे |

नमस्कार दोस्तों 🙏🏻 स्वागत है आपका अद्भुत ज्ञान व ताकत के भंडार हनुमान चालीसा मे. आज हम हनुमान चालीसा के अर्थ, इनकी महिमा और इनसे मिलने वाले फायदे के बारे मे बात करेंगे और साथ मे यह भी जानेंगे की हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही तरीका क्या और किन बातो का ध्यान रखना आवश्यक है.

हनुमान चालीसा का अर्थ जानने के बाद आप खुद कहेँगे की वाकई हनुमान चालीसा ज्ञान व ताकत असीम स्त्रोत है..

हनुमान चालीसा से मन को अद्भुत ऊर्जा प्राप्त होती है.

Hanuman chalisa क्या है?

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण भगवान हनुमान को समर्पित एक भक्तिगीत है, जिसे भारतीय कवि तुलसीदास (Tulsidas) ने रचा था। यह गीत आवधी भाषा में लिखा गया है और इसमें 40 श्लोक (चालीसा का अर्थ होता है “चालीस” यानि 40) हैं।

इस तरह हनुमान की स्तुति करते हुए उनके गुणगान मे गाए गऐ ये 40 श्लोक ही चालीसा कहलाए जिन्हे हनुमान चालीसा कहते है.

हर श्लोक मे इतनी ताकत है जो भी इनकी स्तुति सच्चे दिल से करता है उसके हौसला हिम्मत ताकत एवं एज अलग ही ऊर्जा की अनुभूति होने लगती है. और तो और निरंतर नियम से हनुमान चालीसा से जीवन मे सकारात्मक बदलाव आते लगते है मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते है.

 हनुमान चालीसा को हिन्दू धर्म के भक्तों में व्यापक रूप से पढ़ा जाता है और विशेष रूप से भगवान हनुमान के भक्तों के बीच पॉप्युलर है।

हनुमान चालीसा न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि यह आदर्श और मार्गदर्शन का स्रोत भी है। प्रत्येक श्लोक में गहरा अर्थ होता है और भगवान हनुमान के चरित्र, भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति, और उनकी अविश्वसनीय कर्मों के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करता है। हनुमान चालीसा का पूरा अनुवाद बहुत बड़ा हो सकता है, लेकिन मैं इसके मुख्य विषयों की संक्षेप भाषा में प्रदान कर सकता हूँ:

 

  1. **मंगलाचरण**: चालीसा हनुमान जी को पुकारते हुए उनका आशीर्वाद, सुरक्षा, और मार्गदर्शन मांगने से शुरू होता है।

 

  1. **हनुमान जी की प्रशंसा**: श्लोक भगवान हनुमान के शारीरिक रूप का वर्णन करते हैं, उनकी ताकत, गति, और भगवान राम के प्रति उनकी अत्यधिक भक्ति को महत्वपूर्ण बनाते हैं।

 

  1. **विजय और महाकार्य**: चालीसा कई प्रसिद्ध कर्मों का वर्णन करती है, जैसे कि उनका समुद्र पार करना लंका पहुँचना, लंका का दहन, और संजीवनी वनस्पति को पाने के लिए।

 

  1. **भगवान राम के प्रति भक्ति**: गीत के माध्यम से हनुमान की अविच्छेद्य भगवान राम के प्रति भक्ति को बढ़ावा दिया जाता है। वह भगवान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं।

 

  1. **सुरक्षा और आशीर्वाद**: भक्त हनुमान से विभिन्न बाधाओं, परेशानियों, और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा की विनती करते हैं। वे अपने आशीर्वाद के लिए भी प्रार्थना करते हैं ताकि वे एक धार्मिक और धर्मिक जीवन जी सकें।

 

  1. **बुराई पर विजय**: हनुमान चालीसा अच्छाई (धर्म) की बुराई (अधर्म) पर जीत का महत्व और धर्मिक और श्रेष्ठ जीवन जीने का महत्व दिलाती है।

 

चलिए अद्भुत ज्ञान व ताकत के भंडार से भरे हनुमान चालीसा के हर श्लोको के अर्थ को समझते है.

|| जय श्री राम ||

हनुमान चालीसा अर्थ | Hanuman chalisa meaning in hindi

 

दोहा – 

श्रीगुरु चरन सरोज रज,निज मनु मुकुरु सुधारि

बरनउँ रघुबर बिमल जसु,जो दायकु फल चारि

बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरौं पवन-कुमार

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं,हरहु कलेस बिकार ||

 

अर्थ – तुलसीदास जी कहते है, की मै श्री गुरु महाराज जी के धूल को अपनी मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के उस निर्मल यश का वर्णन करता हु,जो चार प्रकार के फल अर्थात,धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला है.हे पवन कुमान, हे हनुमान जी, मै स्वयं को बुद्धिहीन मान कर,आपका स्मरण करता हूँ,आप मुझे बल बुद्धि और ज्ञान दीजिये.और मेरे सभी विकार व दुःखो का नाश कर दीजिये.

 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

अर्थ – सागर जैसा अथाह ज्ञान और गुण रखने वाले हनुमान जी आपकी जय हो, हे कपिश्वर आपकी जय हो,तीनो लोको, स्वर्ग लोक भू लोक,पाताल लोक मे आपकी कीर्ति व्यापक रहे.

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रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

अर्थहे पवनसुत, हे अंजनी नंदन,हे राम दूत, आपके बल की कोई तुलना नहीं है.आप सभी शक्तियों के धाम है. 

 

महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।

अर्थ –   हे महावीर, आपका पराक्रम महान है,आप खराब बुद्धि को दूर करते है और अच्छी बुद्धि के सहायक है.

 

कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा।।

अर्थ –   आपका रंग स्वर्ण के समान चमकीला है.आपके वस्त्र सुंदर है,आपके कानो मे कुंडल शोभाएमान है.और आपके घूँघराले बाल है. 

 

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै।

अर्थ –   आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा विराजमान है.आपके कांधे पर जनेऊ सजा है जो खूब शोभा देती है.

 

संकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

अर्थ –    हे शंकर के अंश, हे शंकर के अवतार,हे केसरी के नंदन, आपके पराक्रम और महान यश की वंदना संसार भर मे होती है.

 

विद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।।

अर्थ –    हे शंकर के अंश, हे शंकर के अवतार,हे केसरी के नंदन, आपके पराक्रम और महान यश की वंदना संसार भर मे होती है.

 

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।

अर्थ –  आप श्री राम कथा सुनने मे आनंद लेते है,रस लेते है,श्री राम,सीता जी, लक्ष्मण जी आपके हिर्दय मे बसे हुए है.

 

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

अर्थ –   लंका मे ज़ब सीता जी के सामने सूक्ष्म रूप मे प्रगट हुए लेकिन ज़ब लंका जलाने की बारी आई , तो आपने भयानक रूप धारण कर लिया.

 

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज संवारे।।

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अर्थ –   आपने विकराल रूप धारण करके सभी राक्षसों को मार डाला और श्री राम चंद्र के सभी उदेश्यों को सफल किया.

 

लाय सजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

अर्थ –  आपने लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए ज़ब संजीवनी बूटी लाई,और उनके प्राण बचाए, तो श्री राम जी ने हर्षित होकर,ख़ुशी से आपको हिर्दय से लगा लिया..

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रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

अर्थ –   श्री राम जी ने आपकी प्रशंसा की,और कहा की आप मेरे लिए भरत के समान ही प्रिय भाई है..श्री राम चंद्र जी ने यह कह कर आपको हिर्दय से लगा लिया की आपके यश का हज़ार मुखो से वर्णन करने जैसा है

 

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते।

अर्थ –  तुलसीदास जी कहते है, हनुमान जी! ज़ब सभी ऋषि मुनि,ब्रम्हा आदि  देवता, मिलकर आपके यश का वर्णन नहीं कर पाते, तो मेरे जैसा कोई कवि कैसे आपका वर्णन कर सकता है.

 

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।

लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

अर्थ –   हनुमान जी आपने ही सुग्रीव पर उपकार करके उन्हें श्री राम से मिलवाया, जिसके कारण सुग्रीव राजा बने, और सारा संसार यह भी जानता है,की आपकी बात मानकर विभीषण भी लंका के राजा बने.

 

जुग सहस्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

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अर्थ हे हनुमान जी, जो सूर्य कई युगो कई हज़ारो योजन दूर है उस सूर्य को आपने मीठा फल समझ कर पल भर मे लपक लिया मुख मे धर लिया ..तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं की आपमें श्री राम चंद्र जी की अंगूठी को मुख मे रख कर पल भर मे समुद्र को लाँघ लिया होगा.

 

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

अर्थ –   इस संसार मे जो जो, कठिन काम है, जो दुर्गम काम है..वो आपकी कृपा से सरल हो जाते है.

 

राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डर ना।।

अर्थ श्री राम चंद्र जी के द्वार पर,आप ही रक्षक रखवाले है,जिसमे आपकी आज्ञा के बिना किसी प्रवेश नहीं मिल सकता..और आप किसी के रक्षक बन जाए तो उसे किसी बात का भय नहीं रह जाता..

 

आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।।

अर्थ –   आपके सिवाय आपके वेग आपके तेज़ को कोई नहीं रोक सकता कोई नहीं थाम सकता है..कोई नहीं टाल सकता, आपकी गरजना से तीनो लोक कांप जाते है.. आपका नाम इतना शक्तिशाली है की आपका नाम आते ही भूत प्रेत पिसाच सब डर के भाग जाते है.

 

नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

अर्थ –     हे वीर हनुमान जी, आपका निरंतर जप करने से 

सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ाए मित जाती है.

हे हनुमान जी, जो भी मन कर्म वचन तीनो से आपका ध्यान करता है उनको सभी संकटो से आप छुड़वा लेते है .

 

सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोइ अमित जीवन फल पावै।।

अर्थ –  तपस्वी राजा श्री राम चंद्र जी के सभी कार्यों को आपने ही तो पूरा किया है.आपने ही तो उसे सफल किया है,जिस पर आपकी कृपा हो जाए, फिर वह चाहे कोई भी मुश्किल से मुश्किल कार्य हो वह पूरा कर लेता है, एवं उसकी हर इच्छा पूरी होती है और आपकी कृपा का फल ऐसा मिलता है जो कभी समाप्त नहीं होता.

 

चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु-संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।।

अर्थ –   चारो युगो मे आपका प्रताप फैला हुआ है, जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाश मान है, हे श्री राम के दुलारे, आप सज्जनो की रक्षा करते है.और दुष्टो का नाश करते है.

 

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।।

अर्थ –   आपको माता जानकी ने एक ऐसा वरदान दिया है,की आप जिसे चाहे उसे आठो सिद्धियो और नवो निधियों को आशीर्वाद रूप मे प्रदान कर सकते है.

 

राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

अर्थ –   आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है,जिससे आपके राम राम का एक ऐसा अद्भुत रसायन है,जिससे असाध्य से असाध्य रोग  भी ठीक हो सकते है.आपका भजन करने श्री राम प्राप्त हो जाते है और जन्म जनमन्त्र के दुख दूर हो जाते है.

 

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

अर्थ – और अंत समय मे श्री रघुनाथ जी के धाम मे मनुस्य चला जाता है.और यदि फिर भी जन्म लेने का मौका मिले,तो वह राम भक्त ही कहलाता है

 

और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

अर्थ – हे हनुमान जी आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है फिर अन्य किसी देवता की आराधना करने की जरूरत ही नहीं रह जाती..

 

संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

अर्थ – हे वीर हनुमान जी,जो आपको सुमिरन करता है उसके सब संकट कट जाते है..सब पीड़ाए मिट जाती है,

हे स्वामी हनुमान जी  आपकी जय हो, जय हो, जय हो.आप मुझ पर एक गुरु के समान कृपा कीजिये.

 

जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई।।

अर्थ –जो कोई हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ कर लेता है,वह सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त हो जाता है. 

 

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

अर्थभगवान शंकर ने यह ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया है,- तुलसीदास जी कहते है,भगवान शंकर साक्षी है,की जो इसे पढेगा उसे सिद्धि प्राप्त होगी.

 

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

अर्थ –तुलसीदास जी कहते है, हे नाथ, आप सदैव मेरे हिर्दय मे डेरा डाले रहे निवास करे…

दोहा –

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप |

राम लखन सीता सहित हिर्दय बसहु सुर भूप ||

अर्थ – तुलसीदास जी कहते है,की हे मंगल मूरति हनुमान जी,आप श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण भैया सहित मेरे हिर्दय मे निवास करिये.

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