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गरुनपुराण के अनुसार – मरने के बाद का सफर
कैसा होता है ?-religious stories in hindi
religious stories in hindi || dharmik kahaniyan (धार्मिक कहानियाँ) – हिन्दु पुराणो मे कई ऐसी चीज़े है जिसे किसी ने देखा तो नहीं लेकिन फिर भी उसके मिले कुछ सबूतों ओर बूढ़े बुज़ुर्गो कि बातो से इन पर लोगो का विश्वास होता है.
ऐसे बहुत चीज़ो के बारे मे आपने भी कही ना कही से सुना या फिर काल्पनिक तौर पर देखा तो होगा.
तो इन्ही मे से एक है यमराज का लोक जिसे पुराणों मे नाम दिया गया है यमलोक. तो आज हम आपको अपने इस आर्टिकल मे यमलोक के बारे मे बताएंगे.
जी हा! सइंटिफीक्ली यह बात तो सच्च है कि कौन जनता है या किसने देखा है कि मारने के बाद आत्मा कहाँ जाती है या कहाँनहीं यह तो वो मुर्दा ही बता सकता है .
लेकिन वो कैसे बताएगा. (जी हा विज्ञान भी आत्मा को मानता है और साबित कर चूका है..
बस फरक इतना है कि वो इसे एक एनर्जी या ऊर्जा बोलते है और हम आम लोग इसे आत्मा या रूह मानते है.)
तो इन्ही रूह कि एक ऐसी दुनिया के बारे मे बताएँगे. जहाँ पर पापी आत्माओं को उनके किये गए पापो के अनुसार.
मतलब गरुणपुराण के अनुसार यमलोक मे यातनाए दी जाती है..ओर यातनाए भी ऐसी कि सुन कर रूह काँप उठे.
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि संसार का सबसे बड़ा सत्य यही है कि कोई भी व्यक्ति खुद को मरता हुआ नहीं देखता। व्यक्ति दूसरों को मरता हुआ देखता है तो उसे कुछ पल के लिए दुःख होता है उस समय वह घबराता भी है कि उसे भी एक दिन मरना होगा।दोस्तों मौत कब दबे पांव आकर किसे ले जाए यह तो कोई भी नहीं जानता। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने जीवन को पानी में रखे कच्चे घड़े के समान कहा है जो पल-पल पानी में घुलता जाता है और कब पानी में पूरी तरह घुलकर नष्ट हो जाए कहा नहीं जा सकता।हर जीव चाहे वह पशु हो या मानव सभी को एक दिन शरीर त्यागकर परलोक जाना ही पड़ता है। परलोक का सफर बड़ा ही कष्टकारी और दुखद होता है। मरने के बाद का सफर जीवन और मृत्यु के समय के भयंकर कष्ट से भी भयंकर है। जिसके बारे में गरुड़ पुराण और कठोपनिषद् में बताया गया है
यमलोक मे वही आत्माए घसीट कर लाइ जाती है जो पापी होती है. जिन्होंने बहुत पाप किया होता है ओर जो गरुणपुराण के अनुसार दोसी पाई जाती है|
यमलोक के देवता यमदेव यानी यमराज है. . गरुड़ पुराण कहता है किसी व्यक्ति की मृत्यु आनी होती है तब यम के दो दूत पहले से ही व्यक्ति के आस-पास पहुंच जाते हैं।
आत्मा जैसे ही शरीर से निकलती है जीवात्मा को एक नई ही दुनिया नजर आने लगती है।
यम के दूत जीवात्मा को अपने पाश में बांध लेते हैं और अपने साथ यमपुरी लेकर चलते हैं। यम के दोनों दूत बड़े ही डरावने और क्रूर हैं और जिन रास्तों से यह जीवात्मा को लेकर जाते हैं वह खतरनाक और बहुत ही दुखदायी है।
पुराण के अनुसार धरती से जब आत्मा यमपुरी के लिए चलती है तो उसे 16 गांवों का सफर तय करना होता है।
जीवन में अपने कर्म के अनुसार मनुष्य को इन सभी गांवों में अलग-अलग प्रकार के कष्टों का सामना करते हुए अंत में यमपुरी पहुंचना होता है।
यमपुरी के इन गांवों के नाम हैं इन गांवों के नाम हैं सौम्यपुर, सौरिपुर, गन्धर्वपुर, शैलगाम, क्रौंचपुर, विचित्र भवन, बह्वापदपुर, दुःखपुर, नानाक्रन्दपुर, सुतप्तभवन, रौद्रपुर, पयोवर्षणपुर, शीताढयपुर और बहुभीतिपुर।
यमपुरी के इन गांवों में आत्मा ऐसे तड़पती है religious stories in hindi
भगवान विष्णु ने गरुड़ से कहा है कि इन गांवों के मार्ग में न तो विश्राम के लिए वृक्ष की छाया है और न कहीं भोजन का प्रबंध, जिससे की जीवात्मा को राहत मिले।
मार्ग में प्रलयकाल के समान कई सूर्य चमकते हैं जिससे पिण्ड से बना शरीर तपता रहता है। पीने के लिए जल की एक बूंद भी मार्ग में कहीं उपलब्ध नहीं है।
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इस मार्ग में एक असिपत्र नाम का वन है इस वन में कौआ, उल्लू, गीद्घ, मधुमक्खी, मच्छर तथा कई जगह जंगल की आग है।
इन सभी से पीड़ा पाते हुए प्रेतआत्मा कभी मल-मूत्र एवं रक्त के कीचड़ में गिरता है तो कभी अंधेरे कुएं में गिरकर छटपटता है।
वन के पेड़ों के पत्ते तलवार जैसे हैं जससे जीवात्मा घायल होता है और अपने परिजनों को याद करके रोता है।religious stories in hindi – dharmik kahaniyan
आत्मा के पापो कि सजा चित्रगुप्त जी तय नही करते. आत्मा को किन किन पापों के लिए क्या क्या सजा दी जानी चाहिए ये सिर्फ और सिर्फ गरुणपुराण तय करता है. उसी मे ही इन सब सजाओ का विस्तार से वर्णन किया गया है.
चलिए जानते है गरुण पुराण के अनुसार कैसा है यमलोक.
गरुणपुराण मे जब गरुण ! भगवान विष्णु से पूछते है कि इन तीनो लोको मे यमलोक का कितना क्षेत्र है?
इनका विस्तार से मुझे बताइये कि किन किन पापो कि क्या क्या सजाए होती है? तथा किन शुभ कर्म के प्रभाव से उसे
स्वर्गलोक नसीब होता है?
यमलोक –
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तब भगवान विष्णु पक्षीराज गरुण का जवाब देते हुए बोलते है – पक्षी राज ! यमलोक का विस्तार (क्षेत्रफल ) 86000 योंजन है. (दोस्तों यह दूरी को मापने कि एक तरकीब तरीका है –
यह दूरी को मापने कि एक प्राचीन वैदिक इकाई है) हम आपको बता दे कि आज के समय से तुलना करें तो एक योंजन 1000 किलोमीटर के बराबर माना जाता है. वही यमलोक के मार्ग कि बात करें तो विष्णु जी गरुण जी को समझते हुए बोलते है कि यमलोक का मार्ग धरती से ही होकर गुज़रता है.
यमलोक का यह मार्ग pighle हुए जलते हुए लावा कि तरह है जो देखने मे महा भयंकर है. यमलोक के मार्ग काटो से भरा हुआ है.. और भूमि मानो अग्नि लावा कि तरह गर्म है. यहाँ ना तो कोई वृक्ष कि छाया है ओर ना ही जल दिखाई देता है.दूसरी तरफ कुछ ओर आगे जाकर दर्दनाक ठंड से जीव आत्मा काँप उठती है. इस मार्ग पर जाने वाली आत्मा दया कि भीख मांगते है.religious stories in hindi – dharmik kahaniyan
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विष्णु जी कहते है गरुणपुराण के अनुसार जिसका जैसा पाप होता है उसे उतनी ही यातना झेलनी होती है.
वही दूसरी तरफ जिसके कर्म अच्छे होते है उसके लिए यह मार्ग कठिन नहीं होता उसे यह मार्ग स्वर्ग कि तरह प्रतीत
होता है.
पुण्य आत्माए जिसने धरती पर जी भी वस्तु का दान दिया होता है उसे वो इस मार्ग पर उपस्थित मिलती है. ऐसी पुण्य आत्माए स्वर्ग जाती है ओर उनका अप्सराऐ तथा गन्धर्व स्वागत करती है.
पुराण ये भी बताती है कि यमलोक कि रचना विश्वकर्मा ने कि है विश्वकर्मा कि बेहद कठोर तपस्या से यह भूलोक बना है
विषणु जी यमलोक की यवख्या करते हुए उसके महापथ के बारे बताते हुए कहते है की यमलोक के 4 द्वार है यमलोक की दक्षिण और दक्षिण – पशिचम मे यमराज की पूरी है जिसे हम यम पूरी है यमराज की यमपुरी कहते है जो बज़्र की तरह शक्तिशाली और अभेद है इसमे यमराज की आज्ञा के बिना प्रवेश कर पाना असंभव है |
यहाँ न सिर्फ बड़े से बड़ा असुर बल्कि देवता तक भी यमराज की आज्ञा के बिना यमलोक मे प्रवेश नहीं पा सकते है।religious stories in hindi – dharmik kahaniyan
यम पूरी मे प्रवेश के लिए 4 द्वार है यमपुरी बिजली के समान चमकती हुई तथा सूर्य के समान तेज़ प्रतीत होती है ।
इस यमपुरी मे यमराज और उनके सभी दूतो के भवन है यमपुरी के बीचों बीच चित्रगुप्त का दिव्य और आलीशान भवन है ये भवन बड़ा ही मनोहर और ध्वजो से सज़ा हुआ है आने जाने वाले सैंकड़ो गलियो वाले इस भवन मे लगातार वाद्य यंत्रो की आवाज़ गूँजती रहती है ।
इस भवन सैंकड़ो जलते हुए दीपाक भवन की शोभा बढ़ाते है यह भवन मे परम मुक्ता मणियों से बना हुआ एक सिंहासन है जिस पर बैठकर चित्रगुप्त जी सभी प्राणियों के कर्मो का लेखा जोझा लिखते है।
यमराज का महल
इसके बाद भगवान विषणु गरुण को यमराज के महल के बारे मे बताए हुए कहते है की यमराज का भवन सोने के समान चमक वाला है , हजारो योजन मे बने इस भवन को लाखो मणियो और पताकाओ से सजाया गया है.
500 योजन मे हजारो खंभो के ऊपर बना यह भावव्य महल साथ ही साथ लगातार बजने वाली ध्वनिया इस महल को संगीतमय बनती है ।
इसके साथ साथ यमराज की सभा और उनके सिंहासन का वर्णन भी किया गया है जिसे गरुनपुरान मे विष्णु जी इसे यमराज का मंदिर भी कहते है ।इस मंदिर मे शंखो की ध्वनि लिए ठंडी हवा बहती है इस मंदिर मे घंटे और नागारों की ध्वनि हमेशा गूँजती रहती है ।
यहा पर अलग अलग प्रकार के पुस्प (फूल) हजारो की मटर्रा मे लगे है जो पूरे भवन खुशबूदार रखती है ।
शीतल और गर्म यहाँ दोनो प्रकार जल प्रवाहित होते रहते है ।
10 योजन के नीले बादलो के समान एक सिंहासन पर स्वयम धर्मराज विराजमान होते है उनके मस्तक पर बेहद आकर्सक मुकुट सज़ा रेहता है और यमराज के चारों ओर अपसराए तथा गंधर्व उनकी सेवा मे लगी रहती है
इस मंदिर मे यमराज की सभा लगती है | गरुनपुराण के अनुसार इस मंदिर मे वही जीव आत्मा जा सकती है जो धर्म के मार्ग पर चलती हो , कभी असत्य न कहती हो , शांत स्वभाव की हो , व्रत -पूजा -दान पुण्य – और अच्छे कर्म करती हो ऐसे जीव आत्माओ को ही यमराज की सभा का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिलता है ,
यमराज ऐसी के साथ मित्र के समान आचरण करते है उन्हे सिंहासन देते है और नमसकर करते है ।
इस सभा मे चित्रगुप्त सहित कई महान गण ऋषि मुनि ज्ञानी तपस्स्वी रहते है.
तो दोस्तो सनातन धर्म को मानने वाले इस पर विश्वास और निष्ठा भक्ति भाव रखने वाले ही इसे मानते है है वरना न मानने वालो के लिए महज एक कल्पना ही है ।religious stories in hindi – dharmik kahaniyan
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Great Story Bro sach me bahut achi story hai bhai
Thank u ji