duniya ke saat ajoobe | 7 wonders of the world

duniya-ke-saat-ajoobe – 7 wonders of the world – नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सब का एक बार फिर से ज्ञान से भरी इस पोस्ट मे.खूब रिसर्च करने के बाद  आज हम आपको दुनियां के नए और पुराने दोनों 7 अजूबो (seven wonders of the world ) के बारे with image विस्तृत जानकारी और रोचक फैक्ट्स से रूबरू करवाएंगे. 

 

duniya ke saat ajoobe 7 wonders of the world

इस आर्टिकल मे आपको इन सवालों का जवाब विस्तार से दिया जाएगा. 

  • पुराने सात अजूबे कौन कौन से थे? उनके नाम 
  • सात नए अजूबे कौन कौन से है? 
  • इन्हे अजूबा क्यों कहा गया और क्यों इन्हे अजूबो की श्रेणी मे जगह दी गई. 
  • 7 अजूबो की विशेस्ताएं. (Importance of wonders of the world)

 

7 अजूबो के चुनाव की कहानी सबसे पहले कहाँ से शुरू हुई? 

विश्व भर मे ऐसे स्थानों को जो प्राकृतिक तथा मानव द्वारा निर्मित अद्भुत सरचना, सांस्कृतिक धरोहरों, तथा अद्भुत कलाकृतियों के बेजोड़ नमूनों को वैश्विक स्तर पर एक ऐसा उत्तम स्थान प्रदान करना जिन्हे युगो तक याद रखा जाए. 

बस इसी सोच को लेकर ऐसा विचार  2200 साल पहले हेरोडोटस और कल्लिमचुस को आया था इन्होने सबसे पहले अजूबो की सूची तैयार की थी जिसमे से विश्व के 7 अजूबो का चुनाव करना था. 

 

 

पुराने 7 अजूबो के नाम कुछ इस प्रकार है  –old 7  wonders of the world

  1. ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गिज़ा
  2. हैंगिंग गार्डन ऑफ़ बेबीलोन
  3. स्टेचू ऑफ़ ज़ीउस अट ओलम्पिया
  4. टेम्पल ऑफ़ आर्टेमिस
  5. माउसोलस का मकबरा
  6. कोलोसुस ऑफ़ रोडेज
  7. लाइटहाउस ऑफ़ अलेक्सान्दिरा

 

👉7 नए अजूबो को चुनने का इतिहास new 7 wonders of the world

यहां पर मैं 7 नए अजूबे शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहा हूं क्योंकि यह अजूबो की दूसरी बार बनाई गई नई सूची है. इससे पहले विश्व भर के जो 7 अजूबे हुआ करते थे वो अब के समय मे खत्म हो चुके है. जिस वजह से नए सात अजूबो की सूची तैयार की गई. 

दुनिया के नए सात अजूबे सबसे पहले 1999 में 7 अजूबों को चुनने की पहल शुरू की गई . यह पहल स्वीटजरलैंड से शुरू हुयी और इसके लिए बाकायदा एक foundation बनाया गया , इस फाउंडेशन ने एक नई साईट बनवाई , जिसमें विश्व की 200 धरोहरों की एक लिस्ट बनाई गई .

 इसके बाद इसमें वोटिंग इन्टरनेट और मोबाइल द्वारा की गई इन नए सात अजूबों की घोषणा 7 जुलाई 2007 को लिस्बन , पुर्तगाल में Canadian – Swiss Bernard Weber के नेतृत्व में एक सर्वेक्षण के बाद की गई थी और जिसे न्यू 7 वंडर्स फाउंडेशन द्वारा ज्यूरिख , स्विट्जरलैंड में आयोजित की गई . दुनिया भर में संगठन द्वारा पोल में इंटरनेट के माध्यम से या टेलीफोन द्वारा 100 मिलियन वोट डाले गए .

ये दुनियां अजूबो और अचम्भो से भरी पड़ी है. आए दिन नए नए निर्माण होते रहते है और पुराने निर्माण विश्व धरोहर मे शामिल होते रहते है. 

ईश्वर द्वारा रचित ये प्रकृति तो दुनियां का सबसे बड़ा अजूबा तो है ही. मगर इसके इलावा कुछ इंसानी कृत्य भी ऐसे है. जो आपको अचम्बे मे डाल देंगे. आज की इस पोस्ट मे हम बात करेंगे मनुष्यों द्वारा निर्मित कुछ ऐसे अचम्भो की. 

 

जिन्हे  7 wonders of the world  यानी की दुनियां की 7 अजूबो की लिस्ट मे शामिल किया  गया है. 

इस लिस्ट मे सबसे पहले नंबर पर हैGreat wall of chaina – चीन की महान  दीवार

जैसा की आप इमेज मे देख पा रहे है |

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ये तो लगभग हर कोई जानता है चीन की ये दीवार बहुत ज़ादा लम्बी है इतनी लम्बी की अंतिरिक्ष से भी यह दीवार दिखाई देती है. चलिये जानते है इस दीवार के पीछे का क्या इतिहास है |

लेकिन यह बात बहुत कम लोग ही जानते है की इस दीवार की लम्बाई कितनी है. The great चाइना वाल 20 फुट चौड़ी तथा 6 हज़ारो 400 किलोमीटर लम्बी है. 

6 हज़ार 400 किलोमीटर मे फैली इस दीवार को किसी एक शासक ने नहीं बनाया. समय और जरूरत अनुसार अपने अपने शासन काल मे हर शासक ने इस दीवार को बनाना जारी रखा.

जाहिर सि बात है की इतना बड़ा निर्माण कार्य कोई 10 या 20 सालों की बात तो नहीं होगी. आपको जानकर आश्चर्य होगा की इस दीवार को बनाने का कार्य पांचवी सदी से शुरू होकर सोलहवीं सदी तक चलता रहा. 

जिसमे कुछ लोगो का तो जीवन ही इस दीवार को बनाने मे बीत गया था. अब ऐसे मे सवाल ये उठता है की. इतनी मेहनत और इतना खर्चा करके आखिर इतनी लम्बी इस दीवार को बनाने की जरूरत ही क्यों पड़ी. 

असल मे इस दीवार का निर्माण कार्य चीनी साम्राज्य पर  बाहरी आक्रमणकारियों से बचाव एवं रक्षा के लिए किया गया था. आपको जानकर हैरानी होगी की इस दीवार को बनाने मे 25 से 30 लाख लोगो ने अपना खून पसीना एक कर दिया था. 

ये दीवार कोई आम दीवार नहीं बल्कि मिट्टी पत्थरो से बनी किला नुमा दीवार है. जिस पर आने जाने के लिए ऊपर सीढ़िया लगी हुई है. 

और इतनी अद्भुत मानव रचना होने की वजह से ही. इसे  दुनियां के 7 अजूबों (7 wonders of the world)  मे शामिल किया गया. 

 

 

दूसरे नंबर पर है पेट्रा . जॉर्डन देश की ऐतिहासिक नगरी है पेट्रा

जैसा की आप इमेज मे देख पा रहे है |

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लाला रंग की चट्टानों को तराश कर बनाई गई है. यह पूरा शहर लाला रंग की चट्टानों को काट कर ही बनाया गया है. 

इतना ही नहीं यह शहर जल वाहन प्रणाली के लिए भी प्रसिद्ध है. इसका निर्माण कार्य 1200 ईसा पूर्व मे प्रारम्भ किया गया था. 

पेट्रा अपनी आकर्षक वस्तु  कला के लिए जाना जाता है. यहां पर तरह तरह की इमारते है. जो की लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है. 

इन सारी ही इमारतों पर बेहद खूबसूरत नक्कासी की गई है. यहां पर 138 फीट ऊंचा मंदिर है. जो की पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. इसके इलावा यहां नहरे, पानी के तालाब, और खुला स्टेडियम भी है. 

पेट्रा होर नामक एक विशालकाय पहाड़ की ढलान पर बना हुआ है. नबातियों ने इसे छठी शताब्दी ईसा पूर्व मे अपनी राजधानी के तौर पर स्थापित किया था. समय समय पर आने वाले विनाशकारी भूकंप ने पेट्रा की कुछ इमारतों को नुकसान जरूर पहुंचाया. मगर इसके बावजूद भी

यह अपने आप मे एक अद्वितीय स्थान है. यही वजह है की इसे यूनेस्को द्वारा ना सिर्फ विश्व  धरोहर मे शामिल किया गया बल्कि इसे विश्व के दुनियां के 7 अजूबों (7 wonders of the world) मे भी शामिल किया कर लिया गया. 

विश्व का तीसरा अजूबा है 👉माचू पीचू 

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यह समुद्रतल से 2 हज़ार 400 मीटर की ऊचाई पर स्थित पेरू देश का यह क्षेत्र यहां की सभ्यताओं से सम्बंधित एक ऐतिहासिक स्थल है. 

इस जगह की ख़ूबसूरती को देख कर ही आप समझ गए होंगे की यह अमेरिकी देश पेरू का एक ऐतिहासिक स्थल क्यों है? माना जाता है की यहां इनकी सभ्यता का राज़ हुआ करता था. 

इस जगह का निर्माण यहां स्थित राजा के साथ मिलकर सभी गाँवो  के तमाम कारीगरों ने मिलकर 1430 ईस्वी के आस पास किया था. 

मगर इसके 100 साल बाद ही स्पेनियों ने इस स्थान पर आक्रमण कर इसे जीत लिया था. लेकिन कुछ समय बाद इस स्थान को यू ही छोड़ कर चले गए थे. 

मीचू पीचू सभ्यता दो हज़ार 500 मील तक फैली हुई थीं.  माचू पीचू पेरू देश द्वारा लम्बे समय से संरक्षित किया हुआ एक ऐतिहासिक स्थल रहा है. 

पंद्रहवी शताब्दी मे इतना भव्य और सुंदर निर्माण कार्य इन गाँवो की इस इंजीनियरिंग की कौशल को दर्शाती है. इन गाँवो ने यहां पत्थरो से महल, मंदिर, विशाल इमारते, और कई बनियादी ढाचों का निर्माण किया था. 

सबसे खास बात यह की इन गाँवो के कारीगरों ने लोहे या स्टील जैसी किसी भी धातू से बने औज़ार अथवा उपकरण का उपयोग किये बिना ही इतना बड़ा निर्माण कार्य पूरा किया है. जो की अपने अपने आप मे एक अद्भुत कला की जीती जागती सच्चाई पेश करता है. 

सिर्फ यही नहीं दोस्तों पहाड़ों की मजबूत चट्टानों को कई वर्षो तक तोड़ कर तराश कर एक ऐसी बेहतरीन कारीगरी के साथ ऐसी बेजोड़ इमारत का बुनियादी ढाँचा खड़ा किया गया जो कई भूकंप के आने से यह टूटने की बजाय खुद मे  उछाल पैदा करती है और इधर उधर अपनी जगह से खिसक जाती है तथा बाद मे फिर से अपनी जगह पर आजाती है. इसी बजह से माचू पीचू 500 तक भी वैसे का वैसा ही है. जो की अपने आप मे एक अद्भुत बात है. 

इसी कुशल इंजीनियरिंग के कारण ही माचू पीचू को दुनियां के 7 अजूबों (7 wonders of the world) मे शामिल किया गया है |

 

चौथा अजूबा है कोलोजियम

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दुनियां के 7 अजूबों 7 wonders of the world

इटली देश के रोम मे स्थित रोमन साम्राज्य का यह एप्म्फी थियेटर उस समय का भी और अब तक का भी विश्व का सबसे बड़ा एम्फी थियेटर है. 

एप्म्फी थियेटर यानी की एक ऐसा अखाड़ा, ऐसा रंग मंच, या एक ऐसा स्टेडियम है जहाँ पर अलग अलग तरह के खेल करतब किये जाते है. 

इस विशाल अंडाकार भवन का निर्माण 70 से 72 ईस्वी के मध्य शासक वेस्पियन ने प्रारम्भ किया था. 80ईस्वी मे सम्राट टाइटल ने पूरा किया. 

कोलोजियम एप्म्फी थियेटर की क्षमता 50 से 80 हज़ार लोगो तक की है. जो की उस समय के हिसाब से बहुत ज़ादा थी. और इसीलिए इसे प्राचीन काल की बेहद अद्भुत इंजीनियरिंग का नमूना माना जाता है. 

24 हज़ार स्क्वायर मीटर के क्षेत्र मे फैले से कोलोजियम मे, जानवरो की लड़ाई खेल कूद, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्क्रम, और अन्य कई तरह के कार्क्रम भी आयोजित किये जाते थे. 

इसे अगर हम खुनी अखाड़ा कहेँगे तब भी यह गलत नहीं होगा. क्योंकि यहां मनोरंजन के लिए ही खूनी लड़ाइयां लड़ी जाती है. 

माहौल को जादे से ज़ादा रोमांचक बनाने के लिए यहां पर इंसानों को जनवरो से लड़वाया जाता था. एक अनुमान के अनुसार इस स्टेडियम मे 5 लाख पशु और 10 लाख मनुष्य मारे गए. 

पौराणिक कथाओं पर आधारित नाटक भी यहां पेश किये जाते थे. हालांकि बीच मे इसे  सार्वजनकि प्रयोग के लिए बंद कर दिया गया था. 

मगर बाद मे कार्यशालाओं और धार्मिक कार्यों के लिए इसे प्रयोग किया जाने लगा. 

इस विशाल स्टेडियम को रेत और कंक्रीट से बनाया गया है. आज भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं के कारण इसका कुछ हिस्सा क्षति ग्रस्त जरूर हुआ है. पर इसकी भव्यता आज  भी बरकरार है. और पर्यटकों को आज भी आकर्षति करती रहती है. 

यह अपने आप मे एक अद्वितीय स्थान है. यही वजह है की इसे यूनेस्को द्वारा ना सिर्फ विश्व  धरोहर मे शामिल किया गया बल्कि इसे विश्व के दुनियां के 7 अजूबों (7 wonders of the world) मे भी शामिल किया कर लिया गया. 

 

पांचवे नंबर पर है आगरा का ताजमहल

जैसा की आप इमेज मे देख पा रहे है | duniya ke saat ajoobe

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आगरा शहर भारत देश के दिल्ली राज्य  मे बसा है. ख़ूबसूरती और प्यार की मिसाल समेटे यह भव्य ऐतिहासिक ईमारत बहुत ही अद्भुत कलाकृति और इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है. 

शाहजहाँ ने सन 1632 मे इसे अपनी बेगम मुमताज़ के लिए बनाया था. माना जाता है की ताजमहल के अंदर शाहजहा और मुमताज़ की कब्र है |

ताजमहल आज प्यार की बेहद खूबसूरत निशानी के तौर पर भी समझा जाता है. 

42 एकड़ के क्षेत्र मे बने इस मकबरे मे आपको फ़ारसी, तुर्की, और इस्लामिक वास्तुकला का अद्भुत तालमेल देखने को मिलेगा. सफ़ेद संगमरमर के पत्थरो पीआर बेहद सुंदर नक्काशी की गई है |

भूकंप और प्राकृतिक आपदा को ध्यान मे रखते हुए इनकी चारो मीनारों को बाहर  की तरफ थोड़ा सा झुका हुआ बनाया गया है. ताकी तेज़ भूकंप के समय ये मीनार मकबरे पर ना गिर के बाहर की तरफ गिरे. 

इस भव्य ईमारत को बनने मे पूरे 22 साल लगे थे.एक एक चीज बहुत ही तराश कर और फुर्सत से बनाई गई है.जिसकी छवि देखते ही बनती है. और हर किसी के दिल मे उतर जाती है. 

कई लोगो ने इसे बनाते बनाते अपने प्राण भी गवा दिये थे. इसे बनाने के लिए 20 हज़ार मजदूर और कारीगर लगातार लगे रहते थे. अलग अलग देश से बेहद कीमती पत्थर मँगवाए गए थे जो इस इमारत की खूबसूरती मत चार चाँद लागते है | 

इतना ही नहीं, ताजमहल के डिजाइन को तैयार करने के लिए शाहजहाँ ने अलग अलग देश के बेहतरीन आर्चीटेक्चरो, कुशल वास्तु कलाकारों और कारीगरों को भारत बुलवा कर इस भव्य ईमारत को तैयार किया गया. 

ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए तो जाना ही जाता है लेकिन एक बहुत ही ऐतिहासिक वजह भी है जिसके चलते ताजमहल चर्चा का विषय रहा है. 

वो ये की ताजमहल पूरा बनने के बाद  शाहजहांपुर ने इसे बनने वाले सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे ताकी ऐसी भव्य ईमारत देश मे दूसरी जगह ना बना सकें. ऐसा खूबसूरत मकबरा और कही ना बन सकें. 

ताजमहल उस समय की  अद्भुत इंजनीयरिंग – वस्तु कला और खूबसूरत इमारत (मकबरा) की जीती जागती हकीकत की वजह से इसे न सिर्फ 7 अजूबो मे शामिल किया गया बल्कि विश्व धरोहर मे भी जगह मिली |

 

छठे नंबर पर है क्राइस्ट  रिडीमर Christ the Redeemer Statue ( Rio de Janeiro )

जैसा की आप इमेज मे देख पा रहे है |

Christ the Redeemer Statue

यह ब्राज़ील के रियो मे स्थित ईसा मसीह का स्टेचू है. 2019 से पहले यह दुनियां के सबसे बड़े स्टेचू मे शामिल था. लेकिन अब यह ख़िताब भारत का स्टेचू of यूनिटी को मिल चुका  है. 

आधार सहित लगभग 40 मीटर लम्बे और 30 मीटर चौड़े इस स्टेचू का वजन 635 टन के लगभग आका गया है. 

यदि फीट के हिसाब से बात करें तो, मूर्ति का आधार 31फीट ऊंचा है. इस प्रकार इसके आधार को मिलाकर इस स्टेचू की कुल ऊचाई 130 फीट तक पहुंच जाती है. 

ईसा मसीह का यह स्टेचू तिजुका फारेस्ट नेशनल पार्क मे कारकोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है. जहाँ से पूरे शहर का अद्भुत दृश्य  बड़ी आसानी से नज़र आता है. जैसा की image मे दिखाया गया है. 

इसे कंक्रीट और सॉफ्टजोन से बनाया गया है. इसका निर्माणकार्य सन 1922 से शुरू हो कर सन 1931 के बीच समाप्त हुआ. 

7 जुलाई 2007 को इस स्टेचू को 7 अजूबो मे शामिल कर लिया गया. 

 

अब सातवा अजूबा है चीचेन इत्ज़ा . duniya ke saat ajoobe

जैसा की आप इमेज मे देख पा रहे है |

chichen -tza 7 wonders of world

 

चीचेन इत्ज़ा एक प्रकार शहर है जो मैक्सिको देश का विश्व प्रसिद्ध और ऐतिहासिक शहर है यहां जो प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर है उसका नाम मायन मंदिर है. 

इस मंदिर कार निर्माण 600 ईसा पूर्व मे हुआ था. 

चीचेन इत्ज़ा 500 किलोमीटर के दायरे मे फैला हुआ एक ऐतिहासिक  शहर है. 

वहीं चिचेन इत्ज़ा के माया मंदिरो की बात की जाए तो यह मंदिर 5 किलोमीटर के एरिया मे फैला हुआ है. 

पर्यटकों की बात की जाए तो यहां हर साल लाखो पर्यटक घूमने आते है. 

चिचेन मेक्सिको देश के युकांतन राज्य मे स्थित एक ऐतिहासिक शहर है. यहां पर कई सारे मंदिर पिरामिड्स, और खेल के मैदान बने हुए है. हर पिरामिड के चारो ओर सीढ़िया बनी हुई है. 

जिनके चारो ओर से सीढ़िया बनी हुई है. हर तरफ से 91सीढ़िया है. यानी कुल 364 +1 =365सीढ़िया है जो की साल के 365 दिनों को रिप्रेजेंट करती है. 

 

यहां पर कई सारे प्राकृतिक कुएँ होने की वजह से इसे चिचेन कहा जाता है. जिसमे यहां की भाषा के अनुसार “ची” का मतलब होता है =मुहाना 

“चेन” का मतलब होता है कुआँ. 

वहीं इत्ज़ा एक जातीय वंश समूह का नाम है. अब इन सभी का अर्थ निकल कर आता है, कुएँ के मुहाने पर. 

प्राचीन सभ्यता को संरक्षित किये हुए यह जगह अपने आप मे अद्वितीय है. यही वजह है की इसे नए सात अजूबो मे शामिल किया गया है.

तो दोस्तो यह थे duniya ke saat ajoobe  7 wonders of the world की जानकारी | यहा पर हमने जाना की

  • पुराने सात अजूबे कौन कौन से थे? उनके नाम 
  • सात नए अजूबे कौन कौन से है? 
  • इन्हे अजूबा क्यों कहा गया और क्यों इन्हे अजूबो की श्रेणी मे जगह दी गई. 
  • 7 अजूबो की विशेस्ताएं. (Importance of wonders of the world)

तो duniya ke saat ajoobe 7 wonders of the world की इस अद्भुत जानकारी को जादा से जादा लोगो तक पहुंचाओ |

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