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prerak kahani |संसार की शक्ति

prerak kahani  – नमस्कार  दोस्तो !आज की प्रेरक कहानी आपको इस बात से अवगत करवाएगी की संसार मे कोई तो एसी शक्ति है जो समय और कर्म के चक्र को चला रही है |

ये वक़्त  तथा कर्म का चक्र तय करेगा हमारे द्वारा किया जाने वाला कोई भी कार्य अच्छा था या बुरा | अब ऐसा नहीं है की सब कुछ पहले से निश्चित है |लेकिन इस बात को भी नहीं झुठलाया जा सकता की  भाग्य -किस्मत जैसी चीजे भी संसार मे कही न कही अगजिस्ट करती है| आपने ये कहावत तो सुनी ही होगी  की दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम |

यानि हम सब इंसान तो मात्र एक जरिया है करने करने वाला तो वो ईश्वर ही है वही परम शक्ति है |

तो चलिए इस prerak kahani को  आखिर तक पढ़ते है और समझते है कर्म का खेल |

prerak kahani  – ईश्वर अवश्य ही देता है

prerak kahani

एक बहुत अमीर सेठ  तिरुपति बाला जी का बहुत बड़ा भक्त था. जिस वजह से वो रोज सुबह, अपनी कार से तिरुपति बाला जी मंदिर जाता. 

वह जब भी मंदिर जाता, मंदिर की सीढ़ियों पर दो भिखारी बैठा करते थे.अब  सेठ ज़ब भी सीढ़ियों से आता जाता तब पहला भिखारी बोलता –  “हे ईश्वर, तूने सेठ को बहुत कुछ दिया है, मुझे भी दे दे.!”

दूसरा भिखारी कहता: “ऐ सेठ जी .! ईश्वर ने तुझे बहुत कुछ दिया है, मुझे भी कुछ दे दे.!”*

यह सुन पहला भिखारी दूसरे भिखारी से कहता -ईश्वर से माँग वह सबकी सुनने वाला है।* वो ही सबको देता है. वहीं सबका ध्यान रखते है. हम पर एक दिन उनकी किरपा होगी. 

अरे देने वाला ये सेठ कौन होता है. सब्र रखो और दिल से ईश्वर की भक्ति करो. तभी दूसरा  भिखारी बोलता है – चुप कर – मुर्ख. 

सेठ (अमीर आदमी) ने पीछे से इन दोनों भिखारियों की बात सुन ली. सेठ  पहले वाले भिखारी की बातों से थोड़ा प्रभावित हो गया जिस वजह से उसने दूसरे वाले भिखारी के बारें सोचा… और ये विचार किया की देखते है ईश्वर की  किरपा पहले वाले भिखारी पर कैसे होती है. 

अमीर आदमी  ने अपने मंत्री को बुलाया और कहा, “कि मंदिर में दाईं तरफ जो भिखारी बैठता है वह हमेशा ईश्वर से मांगता है तो अवश्य ईश्वर उसकी ज़रूर सुनेगा।*

लेकिन जो बाईं तरफ बैठता है वह हमेशा मुझसे फ़रियाद करता रहता है, तो तुम ऐसा करो, कि एक बड़े से बर्तन में खीर भर के उसमें स्वर्ण मुद्रा डाल दो और वह उसको दे आओ.!*

 *मंत्री ने ऐसा ही किया.. अब वह भिखारी मज़े से खीर खाते-खाते दूसरे भिखारी को चिड़ाता हुआ बोला: “हुह… बड़ा आया ईश्वर देगा..’, यह देख राजा से माँगा, मिल गया ना.?”*

खाते खाते जब पहल;ए भिखारी का पेट भर गया, तो इसने बची हुई खीर का बर्तन उस दूसरे भिखारी को दे दिया और कहा: “ले पकड़… तू भी खाले, मूर्ख..”* इतना कह कर पहला भिखारी वहाँ से चला गया 

अगले दिन जब अमीर व्यक्ति आया तो देखा कि बाईं तरफ वाला भिखारी तो आज भी वैसे ही बैठा है लेकिन दाईं तरफ वाला भिखारी ग़ायब है।*

अमीर व्यक्ति नें चौंक कर उससे पूछा: “क्या तुझे खीर से भरा बर्तन नहीं मिला?”*

भिखारी: “जी मिली थी मालिक , क्या स्वादिस्ट खीर थी, मैंने ख़ूब पेट भर कर खायी.!”*

अमीर व्यक्ति बोला  –  “फिर..?”*  उसके बाद क्या हुआ ?

 भिखारी: “फ़िर जब मेरा पेट भर गया तो वह जो दूसरा भिखारी यहाँ बैठता है मैंने उसको दे दी, मुर्ख हमेशा कहता रहता है: ‘ ईश्वर देगा, ईश्वर देगा तो मेंने कहा, “ले बाकी की बची हुई तू खा लेना—“*

राजा सब समझ गया  मुस्कुरा कर बोला: “अवश्य ही, ईश्वर ने उसे दे ही दिया.!”

 

तो दोस्तो इस कहानी से ये बात साबित होती है की करने करने वाला वो ईश्वर ही है  हम इंसान तो मात्र एक जरिया है उस अमीर इंसान के मन मे एसी सोच पैदा होना उसके बाद पहले भिखारी से दूसरे भिखारी तक  |किसको कितना मिलेगा ? कब मिलेगा ?  ये इंसान का कर्म का चक्र निश्चित करेगा |  इन्सान का भाग्य भी उसके किए जाने वाले पुरषार्थ यानि कर्म से बनता है |

वो अमीर इन्सान चाहता तो डायरेक्ट जा कर उस भिखारी सोने के सिक्के दे सकता था लेकिन ईश्वर की मर्जी और उसकी माया कोई नहीं समझ सकता |

 

तो मित्रो ये prerak kahani आपको कैसी लगी ? कमेन्ट करके जरूर बताना | ऐसी ही और भी प्रेरक कहानिया जरूर पढ़े |

 

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