Osho biography in hindi | ओशो जीवन परिचय – इस दुनिया में आजतक ना जाने कितने फिलोसोफर और धर्मगुरू हुए है, लेकिन जब भी सबसे विवादित धर्मगुरूओं की बात आती है तो उनमें ओशो का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
आपने भी ओशो नाम आजतक कई बार सुना होगा। ओशो सिर्फ एक धर्म गुरू नहीं थे, बल्कि लोगों की नज़रों में वे भगवान थे।
साथ ही उन्हें सेक्स गुरू, आचार्य रजनीश, नव सन्यासी आंदोलन के प्रणेता जैसे ना जाने कितने नामों से जाना जाता है।
ओशो रजनीश के जीवन के बारे में जितना जाना जाए, उतना कम है।
कहा जाता है कि उन्होंने अपनी जिन्दगी में 1 लाख से अधिक किताबे पढ़ डाली थी। साथ ही 10 हज़ार घंटो से अधिक के व्याख्यान ओशो ने दिए है।
लेकिन ओशो आखिर इतने बड़े धर्मगुरू बने कैसे। क्यों उनका जीवन इतना ज्यादा विवादों में रहा है। लोगों ने उन्हें सेक्स गुरू कहना क्यों शुरू कर दिया था और ओशो की मौत का राज क्यों आज भी एक रहस्य बना हुआ है,
तो दिल थाम कर बैठ जाओ, आज हम इन सभी रहस्यो से पर्दा उठाने जा रहे है साथ ही ओशो के जीवन के कुछ ऐसे किस्से भी आपको बताएंगे जो आपको हैरानी मे डाल देंगे.
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ओशो का जन्म | osho biography in hindi
11 दिसंबर, 1931 को मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा गांव में, एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ था।
बाबूलाल जैन और सरस्वती जैन के घर में जन्मे इस नन्हे बालक का नाम, चंद्रमोहन जैन रखा गया।
आपको जानकर हैरानी जरूर होगी कि यह बालक अपने जन्म के बाद तीन दिन तक ना तो रोया था, और ना ही हंसा था। बच्चे के माता पिता के साथ साथ डॉक्टर्स भी उस समय हैरान हो गए थे। लेकिन तीन दिन बाद, वह बच्चा आखिरकार रो पड़ा और उसके बाद जाकर सभी ने चैन की सांस ली।
ओशो के माता पिता काफी व्यस्त रहते थे, जिस कारण उन्होंने अपने बचपन के कुछ साल, नाना नानी के घर रहकर ही व्यतीत करें।
7 साल की उम्र में ओशो के नाना का देहांत हो गया था, जिसके बाद वे वापस अपने माता-पिता के पास रहने चले आए।
ओशो बचपन से ही काफी जिज्ञासु किस्म के व्यक्ति थे। हर बात को लेकर उनके मन में एक नया सवाल पैदा हो जाता था। उनके सवालो के कारण स्कूल के अध्यापक भी काफी परेशान होते थे।
महात्मा गाँधी से मिले ओशो
जब ओशो 10 साल के थे, तो महात्मा गांधी से मिलने के लिए एक रेलवे स्टेश पर उन्होंने, 13 घंटे तक इंतजार किया और गांधी जी से मुलाकात कर 3 रुपए, उनकी दान पेटी मे भी डाले।
उस समय देश अंग्रेजी हुकूमत के विरूद्ध आजादी की लड़ाई लड़ रहा था।
केवल 12 साल की उम्र में ओशो अकेले ही रात के समय , शमशान घाट चले जाया करते थे।
वे हमेशा सोचते थे कि आखिर मरने के बाद इंसान जाता कहां पर है और इंसान का क्या होता है। बड़े बड़े लोग रात के समय शमशान घाट जाने से आज भी डरते है, लेकिन ओशो की तो बात ही अलग थी।
ओशो की लाइफ स्टाइल
ओशो बचपन से ही लग्ज़री और आलीशान लाइफ जीना चाहते थे। कहा जाता है कि एक बार उन्होंने जिद्द करी कि वे हाथी पर बैठकर ही स्कूल जाएंगे, आखिरकार उनकी जिद के आगे माता-पिता को झुकना ही पड़ा।
ओशो जब पैदा हुए थे तो उनकी कुंडली देखकर भविष्यवाणी की गई थी, कि 21 साल की उम्र तक उनके जीवन में हर सात साल बाद, मौत का योग बनेगा, और अगर ओशो 21 साल से अधिक जी गए, तो उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है।
ये बात ओशो जानते थे और जब वे 14 साल के हुए, तो अपने जन्मदिन पर एक हफ्ते तक मंदिर में बैठकर,उन्होंने अपनी मौत का इंतजार किया।
लेकिन ओशो को कुछ नहीं हुआ। ओशो बचपन में कुछ बाबाओं के साथ रहा करते थे, जिनका नाम मग्गा बाबा, पागल बाबा और मस्तो बाबा था। ये तीनों बाबा भले ही काफी महान थे, लेकिन ओशो के तेज के आगे नतमस्तक हो जाया करते थे।
ओशो को एक पेड़ से भी काफी लगाव था। और वह एक पीपल का पेड़ हुआ करता था। ओशो का कहना है कि उस पेड़ के साथ उन्हें अपनापन महसूस होता है, ..और वैसा लगाव उन्हें किसी इंसान के साथ कभी महसूस नहीं हुआ।
ओशो को हुई ज्ञान की प्राप्ति
ओशो जब 21 साल के हुए तो उसी पेड़ के नीचे बैठकर सन 1953 में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई।
अब ओशो परमज्ञानी बन चुके थे। दुनिया के सभी तत्वों का सार उन्हें समझ आ गया था। लेकिन इसके साथ साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। फिलोसॉफी में एमए करने क बाद वे जबलपुर के एक कॉलेज में LECTURER बन गए।
अब वे अलग अलग धर्मों और विचारधाराओं के प्रति लोगों को अपना ज्ञान देने लगे थे।
ओशो ने दुनिया के सभी धर्मों का अध्ययन किया हुआ था और इसीलिए हर धर्म की खासियत और खामियां वे अच्छे से जानते थे। अब वे लोगों को धर्म की सच्चाई बताने लगे थे। इसके अलावा संभोग यानी सेक्स के प्रति वे खुलकर अपने विचार प्रकट करने लगे थे।
ओशो हमेशा कहते थे कि सन्यासी बनने के लिए घर छोड़ना जरूरी नहीं है। दुनिया और संसार में रहकर भी मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। ओशो ने अपनी ज़िन्दगी में एक लाख से अधिक पुस्तकों का ज्ञान अर्जित किया था।
उनके पिता का कहना था कि पहले उनके घर में लाइब्रेरी हुआ करती थी, लेकिन एक समय ऐसा आय़ा, जब लाइब्रेरी में उनका घर होने लगा।
ओशो के घर में हज़ारों की संख्या में किताबे मौजूद रहती थी। ओशो औसतन 2 से तीन किताबे रोज़ाना पढ़ा करते थे और कभी कभी तो एक ही दिन में 6 किताबे भी पढ़ लिया करते थे।
ऐसा सिर्फ कोई सिद्ध महापुरूष ही कर सकता है।
DYNAMIC MEDITATION सेंटर की शुरूआत
सन 1962 में ओशो ने नौकरी छोड़ दी और अपना पहला ध्यान शिविर का आय़ोजन किया।
इस शिविर में ओशो, लोगों को एक विचित्र ज्ञान देते थे। उनकी वाणी में ऐसी खास बात थी कि लोग उनकी ओर स्वयं ही खींचे चले आते थे। धीरे धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी थी। 1968 मे वे जबलपुर छोड़कर मुंबई आ गए और यहां पर उन्होंने अपने पहले DYNAMIC MEDITATION सेंटर की शुरूआत की। आपको जानकर हैरानी होगी कि ओशो के पिता ने अपने बेटे यानी ओशो से दीक्षा ले ली थी और उनके अनुयायी बन गए थे।
1970 के दशक में ओशो ने खुद का नाम बदलकर आचार्य रजनीश कर लिया। सन 1974 में मुंबई से उन्होने अपना आश्रम पूणे में शिफ्ट किया, जो भारत में उनका सबसे प्रमुख आश्रम माना जाता था।
इसके बाद से ओशो ने संभोग के बारे में लोगों को जागरूक करना शुरू किया। वे कहते थे कि संभोग की शक्ति से भी समाधि की प्राप्ति हो सकती है। संभोग को बुरा कभी नहीं मानना चाहिए। कहा जाता है कि उनके पूणे के आश्रम में हर भक्त को छूट थी कि वह जैसे चाहे रह सकता है। कपड़े पहनना या ना पहनना किसी के लिए अनिवार्य नहीं था।
लोग अपनी मर्जी से सेक्स पार्टनर चुन सकते थे। ओशो के ऊपर लिखित कुछ किताबों में तो ये भी लिखा है, कि उनके आश्रम में हर व्यक्ति महीने में, 90 बार संभोग किया करता था।
ओशो के बढ़े फॉलोवर्स
सन 1979 में ओशो के फोलोअर्स की संख्या 1 लाख तक पहुंच गई थी।
लेकिन इसके साथ ही उनके ऊपर कई प्रकार के आरोप लगने शुरू हो गए थे। उनके विरोधियों ने उन्हें सेक्स गुरू कहना शुरू कर दिया। साथ ही ये खबर भी फैलने लगी कि उनके आश्रमों में सेक्स का धंधा किया जाता है और ड्रग्स का इस्तेमाल भी बड़ी मात्रा में किया जाता है।
इसके बाद ओशो ने अमेरिका में अपना आश्रम खोलने का प्लान बनाया। 1981 में 65 हज़ार एकड़ जमीन पर ओशो के लिए एक आश्रम बनाया गया, जिसका नाम रजनीशपुरम रखा गया था।
15 हज़ार लोगों ने अपना घर और जमीन ओशो को समर्पित कर दी थी। अब आचार्य रजनीश ने खुद को भगवान ओशो का दर्जा दे दिया था।
अमेरिका के ओरेगोन में स्थित आश्रम में जाने के बाद ओशो का लाइफस्टाइल पूरा बदल गया। उनके पास 100 रॉल्स रॉयस गाड़ी थी, लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं थे। वे 365 रॉल्स रॉयस खरीदना चाहते थे, जिससे वे पूरे साल अलग अलग गाडियों में घूम सके। महंगी घड़िया और कपड़े, उनकी पहचान बन गई थी।
लोग उन्हें अमीरों का बाबा कहकर तंज कसते तो ओशो जवाब में कहते कि दुनिया में गरीबों के तो बहुत से बाबा है, मुझे अमीरों का बाबा ही बने रहने दीजिए। अमेरिका में बड़े बड़े डॉक्टर्स इंजीनियर्स और नेता,उनके अनुयायी बन गए।
12 दिनों तक रहे जेल मे ओशो
ओशो के बढ़ते प्रभाव के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति, रोनाल्ड रीगन घबरा गए, जिसके चलते उन्होंने ओशो और उनके आश्रम के खिलाफ झूठे केस बनाने शुरू कर दिए।
इसके बाद 12 दिनों तक ओशो को जेल में भी रखा गया। कहा जाता है कि इस दौरान ओशो को स्लो पॉइजन भी दिया जाने लगा था। जेल से छूटने के बाद ओशो कई अन्य देशों में भी गए, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति के कारण उन्हें किसी देश ने शरण नहीं प्राप्त हुई , जिसके बाद अंत में वे वापस अपने पुणे के आश्रम में आ गए।
ओशो जब भी प्रवचन करते या व्याख्यान करते थे, तो कभी भी उनकी जुबान लड़खड़ाती नहीं थी। वे क्या बोल रहे है, इसको लेकर वे काफी स्पष्ट और आत्मविश्वास से भरपूर होते थे।
अनेकों लोग अपनी सेक्स लाइफ और रिलेशनशिप की सलाह लेने उनके पास आया करते थे। ओशो की 10 लाख किताबे आज भी हर साल बिकती है।
जर्मनी की एक महिला को ओशो अपनी पिछले जन्म की प्रेमिका बताया करते थे। ओशो की मौत से 30 दिन पहले ही उस प्रेमिका की मौत हुई थी।
इसके अलावा मां आनंद शीला, ओशो की निजी सचिव थी और दोनों के बीच काफी विवाद भी रहा था।
ओशो ने शीला पर आश्रम के फंड में हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोप लगाए, सिर्फ यही नहीं,आश्रम में हत्या करने की साजिश का आरोप भी शीला पर लगाया गया।
इसके बाद शीला ने 39 महीने जेल में बिताए। जेल से बाहर आने के बाद शीला ने ओशो के खिलाफ कई विवादस्पद बाते कही, आश्रम के बारे में कई खुलासे किए। पिछले 2 दशक से शीला स्विटज़रलैंड में ही रह रही है।
ओशो का देहांत
19 जनवरी 1990 को,पूणे के आश्रम में अचानक ओशो की मौत हो गई। लेकिन उनकी मौत कैसे हुई, ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
वैसे तो उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जाता है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि उनकी हत्या की गई थी।
उनकी मौत की रिपॉर्ट तैयार करने वाले डॉक्टर गोकुल गोकानी ने कहा, कि 19 जनवरी को उनके पास फोन आया कि आश्रम में किसी की तबियत खराब है। और जब वे आश्रम पहुंचे तो पता चला कि ओशो की ही बात की जा रही थी।
लेकिन दो घंटे तक डॉक्टर ओशो की जांच नहीं कर पाए थे और ना ही उन्हें कमरे में जाने दिया। बाद में कुछ अनुयायी ज़ब कमरे से बाहर आए और कहा कि भगवान ओशो का देहावसान हो गया है।
उनकी बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भी नहीं भेजा गया और तुरंत ही उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।
डॉक्टर के अनुसार ओशो के अनुयायियों ने उनपर दबाव बनाया, कि वे अपनी रिपोर्ट में मौत का कारण हार्टअटैक ही लिखे, जबकि ओशो की बॉडी देखकर लग रहा था कि उन्हें जहर दिया गया है।
इस तरह सदी के सबसे बड़े धर्म गुरू कहे जाने वाले ओशो रजनीश,उर्फ इंडियाज़ ग्रेटेस्ट बुकमैन का अंत हो गया था।
विनोद खन्ना सहित बॉलीवुड और हॉलीवुड के कई सितारे ओशो को अपना धर्मगुरू मानते थे। आज भी ओशो के चाहने वालों की संख्या लाखों करोड़ों में है और दुनिया के कोने कोने में उनके अनुयायी मौजूद है।
ओशो की 10 लाख किताबे केवल भारत में हर साल बेची जाती है। ओशो पर ना जाने कितनी डॉक्यूमेंट्रीज़, फिल्में बन चुकी है और किताबे लिखी जा चुकी है।
ओशो एक साधारण व्यक्ति तो नहीं थे, ये बात तो स्पष्ट है। लेकिन वे भगवान थे या नहीं, इसके बारे में हर किसी के विचार अलग है।
दोस्तों उम्मीद करते है कि ओशो के बारे में ये सारी जानकारी आपको पसंद आई होगी। इस जानकारी को लाइक करें और अधिक से अधिक शेयर अवश्य करें।
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