Karwa chauth vrat कथा पूजा विधि 2023

करवा चौथ – Karwa chauth vrat कथा पूजा विधि 2023- इस बार करवा चौथ 31 क्टूबर दिन बुधवार को पड़ रहा है. हर वर्षों की तरह इस बार भी करवा चौथ हर्षो उल्लास के साथ धूम धाम से मनाया जाएगा.

करवा चौथ पूजा समय  – इस बार करवाचौथ  रात 09 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ होगी और 01 नवंबर को रात 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगी

करवा चौथ 2023 पूजा का मुहूर्त:  करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस स्मी दौरान आप करवा माता की विधि अनुसार मंदिर मे या घर पर कथा सुन पूजा अर्चना कर लें |

करवा चौथ व्रत 2023

करवा चौथ: एक प्यार भरा परंपरागत त्योहार करवा चौथ, भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है जो विशेष रूप से परिवारिक सुख-समृद्धि और पति-पत्नी के बीच एक गहन और विशेष संबंध को शुभ करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार नवमी तिथि को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है और विशेष रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में प्रचलित है। यह त्योहार समुद्र तक लबारियों और त्योहारी आयोजनों के साथ मनाया जाता है। इसके चारों ओर खुशियों और खुशी की भावना छाई रहती है।

 

करवाचौथ पूजा विधि 

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करवाचौथ पूजा एक हिन्दू त्योहार है जो भारतीय महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और उनकी सुख-सौभाग्य की कामना करने के लिए करती हैं. यह पूजा चौथ तिथि को की जाती है, जो आमतौर पर चैत्र और कार्तिक मास में पड़ती है. यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, लेकिन आजकल यह अन्य क्षेत्रों में भी मनाया जाता है.

करवाचौथ पूजा की विधि कुछ इस प्रकार होती है:

1. उपवास (व्रत): पूजा की तैयारी के रूप में महिलाएं उपवास रखती हैं, जिसमें वे दिन भर बिना भोजन के रहती हैं. यह उपवास सूर्यास्त से सुबह तक चलता है.

2. सर्वसुदक्षिण अर्घ्य: सुबह सूर्योदय के समय, महिलाएं सर्वसुदक्षिण अर्घ्य देती हैं, जिसमें वे सूर्य देव की पूजा करती हैं.

3. करवाचौथ काथा: महिलाएं एक कथा सुनती हैं जो करवाचौथ के व्रत की महत्वपूर्ण कहानी होती है.

4. पूजा थाली: महिलाएं एक पूजा थाली तैयार करती हैं, जिसमें रोली, चावल, दीपक, अगरबत्ती, मिठाई, करवा (लोटा), और अन्य पूजा सामग्री शामिल होती है.

5. पति की पूजा: शाम को, महिलाएं अपने पति की पूजा करती हैं. वे पति के सामने बैठकर अर्घ्य देती हैं, फिर करवा और दीपक की पूजा करती हैं.

6. प्राथना: महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और खुशी की कामना करती हैं, और उनके पास बच्चों की भी इच्छा करती हैं.

7. पति की सेवा: करवाचौथ के दिन, महिलाएं अपने पति की सेवा करती हैं और उनके लिए व्रत का विधान पूरा करती हैं.

8. चाँद पूजा: रात को, महिलाएं चाँद की पूजा करती हैं, जिसे देखकर व्रत टूटता है.

9. पति का सहायता: पति की सहायता से व्रत का विधान पूरा किया जाता है, जैसे कि उनकी अर्थिक सहायता और प्यार.

यह त्योहार महिलाओं के लिए पति की लम्बी आयु और सुख-सौभाग्य की कामना करने का मौका होता है, और वे इसे बड़े ध्यान से मनाती हैं.

करवाचौथ की एक और पूजा की विधि :

करवाचौथ पूजा एक हिन्दी पर्व है जो विशेष रूप से पतिव्रता पत्नियों के लिए होता है। यह पर्व भारत में विभिन्न राज्यों में विशेष आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो वृत्तिक चतुर्थी के रूप में भी जानी जाती है।

करवाचौथ पूजा की विधि के लिए सामग्री –

1. माता और भगवान की मूर्ति या तस्वीर
2. करवाचौथ व्रत कथा की पुस्तक
3. गंगाजल (पवित्र जल)
4. पूजन सामग्री (रोली, चावल, कुमकुम, अगरबत्ती, धूप, दीप, मिश्री, फूल, नारियल, सुपारी, लाल रुमाल, कलश, काजल, गुड़, फल, पान और सुपारी)
5. व्रत के अनुकूल आहार (फल, फलों की मिठाई, फलों का चावल, चने की दाल, नारियल की खीर, पूरी, आलू और अन्य व्रत के खाद्य पदार्थ)

1. **संप्रेषण (सूचीकरण):** सुबह उठकर नहाने के बाद व्रत करने वाली स्त्रियों को माता और भगवान के सामने बैठना चाहिए।

2. **व्रत की शुरुआत:** पूजा की शुरुआत माता और भगवान की पूजा से होती है। व्रत कथा को सुनना भी विशेष महत्वपूर्ण है।

3. **अंगूठी चढ़ाना:** व्रत कथा के समापन के बाद व्रतिनी अपने पति के अंगूठे पर सिन्दूर लगाती हैं। यह पति के दीर्घायु और सुख-संपत्ति के लिए होता है।

4. **पूजा विधि:** अब माता और भगवान की पूजा करें। इसमें पुष्प, दीप, धूप, अगरबत्ती, फल, फूल, सुपारी, नारियल, फलों की मिठाई आदि शामिल हो सकते हैं।

5. कथा की पुनः पाठशाला: सूर्यास्त के बाद फिर से व्रत कथा की पुनः पाठशाला की जाती है।

6. पानी का अर्घ्य: फिर पति की पूजा करते हुए व्रतिनी पानी का अर्घ्य अर्पित करती हैं।

7. पति के चांदनी और चुंबन: अब पति की पूजा के बाद व्रतिनी उनके चांदनी और फूलों का आभूषण करती हैं और उनको चुंबन करती हैं।

8. खान-पीन: व्रत की समापनी में व्रतिनी अपने पति को व्रत के अनुकूल खाद्य पदार्थ खिलाती हैं।

करवाचौथ पूजा विधि विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखती है, और यह उनके पति की दीर्घायु और सुख-संपत्ति की कामना के साथ एक दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है।

करवा चौथ का महत्व:

करवा चौथ का त्योहार पतिव्रता पत्नियों के लिए एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन पत्नियाँ व्रत रखती हैं और सूर्यास्त होने के बाद पानी और फल के एक बर्तन के चाकू द्वारा आकाश की ओर देखती हैं। इसके बाद उन्हें पति के साथ पूजा करनी होती है जिसमें उन्हें देवी पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करनी होती है। इस त्योहार का उद्देश्य पति के लंबे और सुरक्षित जीवन की कामना करना होता है।

 

करवा चौथ के आयोजन:

करवा चौथ का आयोजन विशेष रूप से सुंदर और उत्सवपूर्ण होता है। लोग खास तौर पर सुंधरते हैं, विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे वस्त्र पहनते हैं और खास तौर पर चूड़ियाँ, बिचुए और सिंदूर धारण करती हैं। साथ ही, इस दिन के लिए विशेष तरह की पूजा सामग्री तैयार की जाती है जैसे कि करवा, सिक्के, बर्तन आदि।

करवा चौथ के बाद सभी साथी-साथियों और दोस्तों के साथ मिलकर भोजन करते हैं और व्रत का आयोजन भी करते हैं। आमतौर पर यह भोजन सस्ते से शुरू होता है, जो व्रत रखने वाली पत्नियों के द्वारा उबाली हुई चना और गहू के दानों से तैयार किया जाता है। इसके बाद उन्हें पति द्वारा खाने का आशीर्वाद दिया जाता है।

करवा चौथ के इस खास त्योहार से साझा किए जाने वाले अद्भुत और सजीव विचारों से विश्वास है कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को और भी विशेष बनाता है और प्यार और समर्थन की भावना को बढ़ाता है।

 

करवा चौथ व्रत कथा

करवाचौथ की कथा भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है और यह व्रत पतिव्रता पत्नियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे भारतीय नारी की विशेष भक्ति और पतिव्रता भावना का पर्व माना जाता है। यह व्रत करने से पत्नियों की देवी जानकी ने अपने पति भगवान श्रीराम की लंबी उम्र की प्रार्थना की थी।

कथा इस प्रकार है:

कई वर्ष पहले की बात है, अयोध्या नगर में एक ब्राह्मण थे जिनका एक बेटा था। उसकी पत्नी का नाम भूषणा था और वह बहुत पतिव्रता थी। वह अपने पति की बहुत भक्त थी और हमेशा उनके लिए उत्तम प्रार्थनाएँ करती थी।

एक दिन, करवाचौथ का व्रत आने वाला था। उस दिन भूषणा ने अपनी पतिव्रता भावना के साथ उपवास करने का निश्चय किया। उसने सुबह से ही निराहार रहकर व्रत की शुरुआत की थी।

पास आने वाली विवाहित स्त्रियाँ भूषणा के घर में इकट्ठी हो गईं। सभी ने व्रत की पूजा के बाद चांद को देखा और अपने पतियों का आशीर्वाद लिया। भूषणा भी अपने पति का आशीर्वाद लेने के लिए उदासीन रूप से चांद को देख रही थी।

तभी एक चोटी बच्ची ने भूषणा के पास आकर रुकी। उसने कहा, “दादी, आप इतने उदास क्यों हैं?” भूषणा ने कहा, “बेटा, आज मेरे पति की लंबी उम्र के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रही हूँ।”

बच्ची ने हंसते हुए कहा, “दादी, चांद तो आपके लिए गरीब है, लेकिन उसके लिए बहुत अमीर व्यक्ति हैं।”

भूषणा ने समझाया, “बिल्कुल बेटा, तुमने सही कहा।”

उसके बाद उसने पति के साथ व्रत रखा और चांद को देखकर उन्होंने अपने पति का आशीर्वाद लिया। भगवान की कृपा से उनके पति की लंबी आयु हुई और वे खुशहाल रहे।

इस कथा से सीख

करवाचौथ की इस कथा से हमें पतिव्रता भावना, पत्नी का पति के प्रति प्रेम और उनकी लंबी उम्र की कामना की महत्वपूर्णता का संदेश मिलता है। यह त्योहार भारतीय समाज में पति-पत्नी के आपसी संबंध को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।

करवाचौथ  का व्रत क्यो रखा जाता है ?

करवाचौथ व्रत भारतीय महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और उनकी सुख-सौभाग्य की कामना करने के लिए करती हैं .

 

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