Happy navratri 2023 date | नवरात्री पूजा विधि और कथा

आप सभी को नवरात्री की हार्दिक शुभ कामनाए  Happy navratri 2023 date | chaitra navratri | navratri images | navratri colours | navratri kab se shuru hai | हिंदू पंचांग के अनुसार साल में नवरात्रि चार बार मनाया जाता है, जिसमें चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि के अलावा दो और गुप्त नवरात्रि के नाम शामिल है।

इन सभी नवरात्रियों कों मनाने का सनातन धर्म में अलग-अलग महत्व है, और इनमें सबसे ज्यादा महत्व चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि को दिया जाता है। पंचांग के अनुसार 2023 में शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि से शुरू हो जाएगी, जिसकी समापन तिथि दशमी को होगी।

तो चलिए जानते हैं, 2023 में नवरात्रि कब है, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि की शुरुआत कब से होगी? शारदीय नवरात्रि का महत्व क्या है? शारदीय नवरात्रि क्यों मनाया जाता है? शारदीय नवरात्रि का समापन तिथि क्या है? जानेंगे इसके बारे में सब कुछ विस्तार से आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें-

 

शारदीय नवरात्रि 2023 तिथि | navratri 2023 date

पंचांग के अनुसार shardiya Navratri 2023 की शुरुआत अश्वनी माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है, प्रतिपदा का शुभ मुहूर्त 14 अक्टूबर रात्रि 11:24 से शुरू होगा और 15 अक्टूबर दोपहर 12:32 तक रहेगा।

बता दे शारदीय नवरात्रि 2023 15 अक्टूबर सें शुरू होगा,और 23 अक्टूबर दिन मंगलवार को समाप्त हो जाएगा। वही दशहरा यानी की विजयदशमी 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना होगी,और भक्त 9 दिनों तक उपवास रखेंगे,विधिपूर्वक मां दुर्गा की आराधना करेंगे।

 

navratri 2023 कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, shardiya Navratri 2023 का पहला दिन 15 अक्टूबर 2023 को हैं, वही कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 11:48 से 12:36 तक है। इसके अलावा, नवरात्रि के अन्य तिथियां भी निम्नलिखित इस प्रकार हैं:

 

16 अक्टूबर 2023 – मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन)

17 अक्टूबर 2023 – मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन)

18 अक्टूबर 2023 – मां कुष्मांडा (चौथा दिन)

19 अक्टूबर 2023 – मां स्कंदमाता (पांचवा दिन)

20 अक्टूबर 2023 – मां कात्यायनी (छठा दिन)

21 अक्टूबर 2023 – मां कालरात्रि (सातवां दिन)

22 अक्टूबर 2023 – मां महागौरी (आठवां दिन)

23 अक्टूबर 2023 – महानवमी (नौवां दिन) – शरद नवरात्र व्रत पारण

24 अक्टूबर 2023 – मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)

 

navratri 2023 कलश स्थापना कैसे करें नियम

  1. कलश स्थापना करने के लिए नवरात्रि की शुरुआत में प्रतिपदा के दिन सुबह उठकर स्नान कर लें, फिर उसके बाद मंदिर को साफ सुथरा करके, सर्वप्रथम गणेश जी का नाम ले।
  2. फिर मां दुर्गा का नाम लेकर अखंड ज्योति प्रज्वलित करें, मिट्टी के बने हुए कलश में जौ के बीज को बोए और तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं।
  3. लोटे में मौली बांधकर, गंगाजल, सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र, और अक्षत मिलाएं, फिर कलश पर अशोक या आम के पांच पत्ते चढ़ाएं।
  4.  नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मौली से बांधें, और इसे जौ के पात्र में रखकर नवरात्रि के नौ व्रतों का संकल्प लें। 

 

navratri 2023 कलश स्थापना में लगने वाली सामग्री

 shardiya Navratri 2023 में कलश स्थापना में लगने वाली सामग्री के नाम निम्नलिखित इस प्रकार है-

जिसमें मां दुर्गा के आसन के लिए लाल वस्त्र, मौली धागा, गंगाजल,सवा रुपया,दूब, सुपारी, सुगंधित तेल, कपूर, रौली, साबूत सुपारी, इलायची, साबुत चावल, चुनरी,सिंदूर,आम का पत्ता, फूलों की माला, लौंग, श्रृंगार बॉक्स, नारियल, इत्यादि सामग्री कलश स्थापना के अनुसार उपयोग की जाती है और नवरात्रि के पूजा अनुष्ठान के अगले नौ दिनों के लिए स्थापित की जाती है।

 

navratri 2023 शारदीय नवरात्रि मनाने का महत्व

हिंदू धर्म में shardiya Navratri मनाने का अत्यधिक महत्व है, जो निम्नलिखित इस प्रकार है-

मां दुर्गा की पूजा: नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य मां दुर्गा की पूजा और आराधना करना है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री नाम शामिल हैं।

 

धर्मिक महत्व: नवरात्रि हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान लोग अपने धार्मिक आदर्शों का पालन करते हैं और मां दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण का प्रदर्शन करते हैं।

 

धार्मिक सामूहिकता: नवरात्रि एक सामूहिक और सांस्कृतिक त्योहार है, जिसमें परिवार और समुदाय के लोग एक साथ होकर पूजा अर्चना करते हैं, और आपसी मेल मिलाप का आनंद लेते हैं।

 

समाजिक मूल्य: नवरात्रि एक समाजिक मूल्यों का प्रतीक है,जो  सामाजिक सद्भावना, सामरस्य, और एकता को प्रमोट करता है। इसके साथ ही यह समाज में सौहार्द और आपसी मेल-जोल की भावना को बढ़ावा देता है।

 

नये कार्य का संकेत: नवरात्रि के बाद दशमी, या विजयादशमी, आता है, जिसे नये कामों और प्रोजेक्ट्स की शुरुआत के रूप में माना जाता है। लोग इस दिन, नये कार्यों में सफलता प्राप्त करने हेतु मां दुर्गा से आशीर्वाद लेते हैं।

 

नवरात्रि के दौरान किन कार्यों से बचना चाहिए?

बता दे नवरात्रि के दौरान दाढ़ी बनवाना, बाल कटवाना, नाखून काटना, अशुभ माना जाता है, इसलिए इन कामों से बचना चाहिए। इसके अलावा नवरात्रि के नौ दिनों तक लहसुन,प्याज मांस मदीराऐ का सेवन करना भी वर्जित है। क्योंकि ऐसा करने से मां दुर्गा क्रोधित होती हैं।

 

9 दिनों तक नवरात्रि व्रत रखने वाले भक्तगणों को नींबू काटने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे बालि समान माना जाता है। जानवरों के चमड़े से बने हुए, बैग, बेल्ट, पर्स का भी इस्तेमाल करने से बचना चाहिए क्योंकि इस अशुभ माना गया है।

 

नवरात्रि के दौरान साफ सुथरे कपड़े पहनाना चाहिए, साथ ही जो लोग नवरात्र में 9 दिनों तक व्रत रखते हैं, उन्हें नमक और अनाज का सेवन करने से बचना चाहिए। नवरात्र में केवल फलाहार को प्राथमिकता देनी चाहिए।

 

शारदीय नवरात्रि के दौरान अपशब्द कहना मां दुर्गा के आदर्शों के खिलाफ है, इसलिए नवरात्रि के पवित्र दिनों में ऐसा करने से बचना चाहिए। और आपको एक शुद्ध और पवित्र वातावरण में रखने का प्रयास करना चाहिए, जिससे आपकी पूजा और आध्यात्मिक साधना में भी सफलता मिल सके।

 

शारदीय नवरात्रि क्यों मनाया जाता है इसकी कहानी | नवरात्री की कथा 

शारदीय नवरात्रि का मनाने का मुख्य कारण हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की पूजा करना है, इस दौरान दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा होती है। बात करें shardiya Navratri kyon manaya jata hai, तो इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कहानी है।

 

कथा के अनुसार, एक असुर शक्ति महिषासुर का उत्थान ब्रह्मा की आशीर्वाद से हुआ था। उसने ब्रह्मा से ब्रह्मासुर बनने का वर मांगा था, जिसके वह अमर हो गया और अपनी अद्वितीय शक्तियों के साथ अपने अहंकार में डूब गया। इसके बाद महिषासुर अपनी शक्ति का दुरूपयोग करने लगा, इंद्रदेव को युद्ध में परास्त करके स्वर्गलोक पर कब्जा कर लिया,और इसके साथ ही तीनों लोकों पर कब्जा करने के बाद देवताओं को परेशान करने लगा।

 

 ब्रह्मा से शक्ति प्राप्त करने के बाद महिषासुर इतना शक्तिशाली हो चुका था, देवतागण अपनी शक्तियों से उसका सामना नहीं कर पा रहे थे। देवताओं के ऊपर हो रहे अत्याचार और महिषासुर के अत्यंत अहंकार के कारण, त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, और महेश) ने मिलकर एक बड़ा निर्णय लिया। त्रिमूर्ति ने मिलकर आदि शक्ति मां पार्वती का रूप धारण किया, जिन्होंने अपने आदिपूर्वक शक्ति से मां दुर्गा का रूप धारण किया। मां दुर्गा की उपस्थिति ने एक बड़े युद्ध की शुरुआत की, 9 दिनों तक मां दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया और अंत में मां दुर्गा की विजय हुई। 

 

इन नौ दिनों के दौरान,मां दुर्गा ने अपने नौ रूपों का प्रदर्शन किया, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री शामिल थीं। मां दुर्गा की शक्ति, सौरभ, और पराक्रम के आगे महिषासुर की शक्ति कुछ भी नहीं थी, और उसकी पराजय हो गई। मां दुर्गा ने उसे अपनी त्रिशूल से मार दिया, इसके परिणामस्वरूप महिषासुर की मृत्यु हो गई, और उसकी शक्तियाँ देवताओं को मिली। इसी विजय के शुभ अवसर पर नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है, जो बुराई पर अच्छाई के विजय को दर्शाता है।

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Conclusion –

आज हमने जाना नवरात्री पूजा विधि के बारे जो संपूर्ण रूप से,शारदीय नवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो मां दुर्गा के महत्व के बारे में बताता है, और लोगों उनकी शक्तियों के प्रति आदर और भक्ति का अदान-प्रदान करते है। इसके अलावा, यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक महोत्सव है जो समाज में एकता, सामंजस्य, और सामाजिक सद्भावना की भावना को बढ़ावा देता है और मानवता के मूल मूल्यों को दर्शाता है।

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