isaac newton biography in hindi | न्यूटन का जीवन परिचय

isaac newton biography in hindi –दोस्तों Isaac Newton का नाम तो आप सभी ने सुना होगा, जिन्होंने एक सेब के पेड़ के नीचे बैठकर, ग्रैविटी का आविष्कार कर दिया था। लेकिन कैसे सिर्फ सेब के गिरने से उन्हें ग्रैविटी का अहसास हो गया था।

अक्सर देखा जाता है कि विज्ञान और धर्म के विशेषज्ञ, आपस में किसी ना किसी बात को लेकर बहस करते रहते है,

लेकिन न्यूटन एक ऐसे महान वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अपने जीवन के 15 साल पूरी तरह से धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में समर्पित कर दिए थे।

न्यूटन सिर्फ एक वैज्ञानिक नहीं थे, बल्कि author, mathematician, philosopher, theologian, historian और एक Astronomer भी थे।

 न्यूटन ने पारस पत्थर बनाने की भी काफी कोशिश की थी और वे जादू टोने में भी विश्वास किया करते थे।

 बहुत कम लोग ये बात जानते है कि न्यूटन ने भविष्यवाणी की थी कि साल 2060 के बाद दुनिया का अंत हो जाएगा।

आपको जानकर हैरानी होगी कि न्यूटन, इतने ज्यादा गुस्सैल स्वभाव के थे, कि 10 साल से भी कम उम्र में उन्होंने अपनी मां और सौतेले पिता को, घर में जिंदा जला देने की धमकी दे डाली थी।

न्यूटन की मौत के लगभग 300 साल बाद भी,  आज दुनिया उनके बारे में बहुत कम जानती है।

 न्यूटन की लाइफ, और डार्क सीक्रेट्स के बारे में कई किताबे लिखी जा चुकी है, लेकिन उन किताबों की जानकारी आम लोगों को नहीं दी जाती।

तो आज की इस आर्टिकल में हम आपको न्यटन की लाइफ के उन पहलुओं के बारे में बताएंगे, जिन्हें जानने के बाद आपको लगेगा कि न्यूटन एक फिलोसोफर से ज्यादा psychopath थे। हम ऐसा क्यों कह रहे है, ये तो आपको वीडियो देखने के बाद, खुद ही समझ आ जाएगा।

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isaac newton biography in hindi.

सन 1643 में महान एस्ट्रोनोमर गैलिलियो की मौत के चार दिन पहले 4 जनवरी, 1643 को इंग्लैंड में एक महान वैज्ञानिक का जन्म हुआ था। जिनका नाम रखा गया Isaac Newton.

 

 न्यूटन की मां का नाम  (हैना असिस्कोफ Newton था। न्यूटन के जन्म से पहले ही उनके पिता का देहांत हो गया था इसीलिए न्यूटन की मां ने उनके पिता Isaac के नाम पर ही बच्चे का नामकरण कर दिया।

न्यूटन के माता पिता की शादी 1642 मे हुई थी। लेकिन शादी के 6 महीने बाद ही 70 वर्षीय उनके पिता का निधन हो गया था।

जन्म के समय न्यूटन काफी कमजोर और दुबले पतले थे। न्यूटन की मां ने 3 साल तक तो उनकी देखभाल की, लेकिन बाद में उनकी माँ ने डेव स्मिथ नाम के एक अमीर शख्स से शादी कर, अलग दुनिया बसा ली।

न्यूटन की जिम्मेदारी अब उनके नाना-नानी पर आ गई थी। माता पिता का साया उठ जाने से न्यूटन,… काफी अकेला महसूस करने लगे थे।

वे अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलना पसंद नहीं करते थे। हर समय चिड़चिड़ा महसूस करते थे। बेहद कम उम्र में ही न्यूटन डिप्रेशन का शिकार होने लगे थे।

सन 1661 में न्यूटन अपना हाई स्कूल पूरा होने के बाद ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए Cambridge यूनिवर्सिटी चले गए और ट्रिनिटी कॉलेज में एडमिशन ले लिया।

वे कॉलेज की पढ़ाई तो किया ही करते थे, लेकिन वे नई चीजे सीखने को लेकर इतने उत्सुक थे, कि उन्होंने अरस्तु, प्लैटो, गैलिलियो, Descartes, केपलर जैसे वैज्ञानिकों के बारे में सब कुछ पढ़ लिया था। इन सभी के आविष्कारों, और रिसर्च से न्यूटन काफी प्रभावित भी थे।

सन 1666 में जब न्यूटन पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे, तभी इंग्लैंडल में plague बीमारी ने अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते ये बीमारी विकराल होती गई। इससे बचने के लिए यूनिवर्सिटी के सभी स्टूडेंट्स को उनके घर भेज दिया गया।

अब न्यूटन अपने घर आ गए और अब वो कहानी आती है, जो हमें बचपन से सुनाई जाती रही है। एक दिन न्यूटन अपने घर के बाहर आंगन में बैठे थे कि अचानक उनके ऊपर एक सेब आकर गिरा और तभी उन्होंने सोचा कि ये सेब आखिर नीचे ही क्यों गिरा है, ऊपर की तरफ क्यों नहीं गया?

न्यूटन समझ गए कि पृथ्वी के अंदर कोई तो ऐसी शक्ति जरूर  है, जो सभी चीजों को खींचने का काम करती है। 

लेकिन क्या वाकई में न्यूटन के ऊपर सेब गिरा था, इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं है। बहुत से रिसर्चर्स ने कहा कि न्यूटन ने अपनी बालकनी में खड़े होकर सेब को गिरते हुए देखा था,  तो कुछ लोगों का मानना है, सेब गिरने की कहानी बाद में एक फ्रेंच ऑथर द्वारा बनाई गई है। असल में ग्रैविटी का आविष्कार न्यूटन ने अपने दिमाग में एक thoughtful experiment के जरिए किया था।

गणित की तो उन्हें बारीकी से समझ थी ही। न्यूटन ने सोचा कि अगर एक पहाड़ी पर खड़े होकर,  एक तोप की मदद से गोला चलाया जाए,  तो वह कुछ दूर जाकर जमीन पर गिर जाएगा।

लेकिन उसमें अगर ज्यादा फोर्स लगाई जाएगी तो वह अधिक दूर तक जाएगा। और अगर उस गोले को लगातार फोर्स मिलती रहेगी, तो वह कभी पृथ्वी पर गिरेगा ही नहीं, बल्कि पृथ्वी के एक कॉन्सटैंट ऑर्बिट में पहुँच कर पृथ्वी के चक्कर लगाता रहेगा।

और फोर्स ना मिलने पर पृथ्वी की शक्ति गोले को नीचे गिरा देगी, यानी अपनी ओर खींच लेगी,  बस यहीं से उन्हें ग्रैविटी के बारे में असली आइडिया आया। 

प्लेग के बाद कॉलेज दोबारा खुले और कैमब्रिज यूनिवर्सिटी से न्यूटन ने अपनी पोस्ट ग्रैजुएशन पूरी कर ली।

इसके बाद न्यूटन Royal Society के मेंबर बने,और यहां पर उनकी मुलाकात Robert Hooke से भी हुई, जिनका नाम बायोलॉजी में आपने शायद सुना भी होगा। रोयल सोसाइटी में इंग्लैंड के कई बड़े महान वैज्ञानिक शामिल थे।

 अभी तक सभी का मानना था कि सूरज से आने वाली सफेद लाइट बिल्कुल प्योर होती है और उससे कोई भी लाइट बनाई जा सकती है।

लेकिन 1671 में न्यूटन ने डिस्पर्ज़न ऑफ लाइट के एक्सपेरीमेंट, रोयल सोसाइटी के अन्य मेंबर्स के सामने पेश किए।

उन्होंने बताया, कि सूर्य की रोशनी प्योर नहीं होती, बल्कि वह 7 रंगों के मिश्रण से बनी होती है, जिन्हें इंद्रधनुष के दौरान देखा भी जा सकता है। न्यूटन की ये बात सभी वैज्ञानिक तो मान गए, लेकिन रॉबर्ट हुक ने उनका दावा मानने से इन्कार कर दिया।

असल में रोबर्ट हुक खुद को सर्वश्रेष्ठ समझते थे। रोबर्ट हुक द्वारा नकारे जाने पर न्यूटन निराश हो गए। उन्होंने कई बार रोबर्ट को समझाने की कोशिश की, लेकिन रोबर्ट ने न्यूटन की नहीं सुनी। अब न्यूटन दुखी और उदास रहने लगे। वे सब कुछ छोड़कर घर आ गए और मन की तसल्ली के लिए बाइबिल पढ़ना शुरू कर दिया। 

कई साल तक न्यूटन बाइबिल पढ़ते रहे। लेकिन बाइबिल की भी सारी बातो को न्यूटन कभी सच नहीं मानते थे। उनका मानना था कि बाइबिल में कई ऐसी मनगढ़त बाते लिखी है, जिससे लोग चर्च और ईसाई धर्म की ओर अधिक आकर्षित हो सके और इनसे प्रभावित हो सके.

1680 तक न्यूटन बाइबिल के सभी वर्सेस को पढ़ते रहे। इस दौरान उन्होंने ब्लैक मैजिक और एस्ट्रोलॉजी के बारे में भी जानकारी हासिल की। बताया जाता है कि न्यूटन फिलोसोफर स्टोन बनाना चाहते थे।

इसे आप पारस पत्थर के नाम से जानते होंगे। ये एक ऐसा पत्थर होता है, जिसकी मदद से किसी भी धातु को सोने में बदला जा सकता है। और अगर इस पत्थर के चूरे को घोलकर कर पी जाए तो वह सदा के लिए अमर हो जाएगा। एक महान वैज्ञानिक द्वारा इस तरह की चीजों पर समय ज़ाया करना आज भी बहुत से लोगों को यकीन नहीं होता।

इस दौरान न्यूटन ने कई ऐसी रिसर्च की, जो उन्होंने कभी दुनिया के सामने पेश ही नहीं कि, क्योंकि उन्हें लगता था कि रोबर्ट हुक की तरह ही दुनिया, उनके एक्सपेरीमेंट्स को स्वीकार नहीं करेगी।

 1680 में पृथ्वी के नज़दीक से एक बड़ा कॉमेट यानी एस्टेरॉयड गुजरा, जो लगभग 10 दिनों तक नज़र आया और बाद में सूर्य की तरफ चला गया। लेकिन कुछ महीने बाद मार्च 1681 को फिर से एक एस्टीरॉयड नज़र आया। सभी को लगा कि ये कोई दूसरा एस्टीरॉयड है, लेकिन न्यूटन ने कहा कि ये वही एस्टीरॉयड है, जो कुछ महीने पहले देखा गया था। ये सूर्य की ग्रैविटी से बेंड होकर वापस आया है। इसके बाद कई साल तक उन्होंने ग्रैविटी को Mathematically प्रूफ करने का प्रयास किया।

सन 1687 में Philosophic Naturally Principia Mathematica में उन्होंने ग्रैविटी को मैथ्स की मदद से साबित भी करके दिखा दिया। 

31 मार्च सन 1727 को बीमारी और गॉल ब्लैडर में स्टोन के कारण न्यूटन की मौत हो गई थी।

 न्यूटन ने अपने जीवन में शादी ही नहीं की थी, या ऐसा भी कहा जा सकता है कि उन्होंने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। न्यूटन अपनी पूरी ज़िन्दगी वर्जिन ही रहे।

उनकी मौत के बाद भी उनके घर से एक संदूक में कई नोट्स बरामद हुए, जिसमें उन्होंने कई कैलकुलेशन की हुई थी।

साथ ही एक पेपर पर उन्होंने लिखा था कि 2060 के बाद दुनिया का अंत हो जाएगा। 2003 में बीबीसी ने पहली बार इस बात का खुलासा किया था, जिसके बाद पूरी दुनिया में ये बात फैल गई थी।

 अखबार और चैनलों पर इस तरह की खबरे आने लगी थी, THE END OF WORLD IN 57 YEARS, PARTY LIKE IT’S 2060 and WORLD WILL END IN 2060.

कहा जाता है कि बाइबिल के आधार पर ही न्यूटन ने 2060 में दुनिया खत्म होने की भविष्यवाणी की थी।

 तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि न्यूटन ने लोगों के अंदर आशा जगाने के लिए ऐसा कहा था कि 2060 से पहले दुनिया खत्म नहीं होगी लेकिन इसे मीडिया ने मसाला लगाकर पेश किया। 

न्यूटन के लिखे हुए नोट्स बाद में नीलाम किए गए और उनके ऊपर आधारित कई किताबे भी लिखी जा चुकी है।

यह भी कहा जाता है कि न्यूटन ने इस बात की भविष्यवाणी की थी इज़राइल पर एक बार फिर यहूदी राज करेंगे। न्यूटन ने अपनी लाइफ में 40 लाख से अधिक शब्द लिखे थे।

एप्पल कंपनी ने अपना पहला लोगों, सेब के पेड़ के नीचे बैठे न्यूटन से प्रेरित होकर ही बनाया था। जिस पेड़ के नीचे बैठकर न्यूटन ने ग्रैविटी की खोज की थी, वह 1815 मे नष्ट हो गया था। बाद में उसी स्थान पर उसी पेड़ का एक वंशज पौधा लगा दिया गया, जो आज भी मौजूद है।

न्यूटन के बारे में ये भी कहा जाता है कि वे ASPERGER SYNDROME से पीड़ित थे, यानी जो सामाजिक तौर पर असहज महसूस करता हो। और इसी कारण वे अपनी रिसर्च को दुनिया के सामने दिखाना नहीं चाहते थे। 

दोस्तों न्यूटन के बारे में ये सब बाते कितनी सच है, और कितनी झूठ है, इसका फैसला हम आपके ऊपर छोड़ देते है।

 लेकिन इस बात में कोई दोराय नहीं,  कि जब तक दुनिया रहेगी, तब तक न्यूटन की गिनती हमेशा इतिहास के महान वैज्ञानिकों में की जाती रहेगी।

 

न्यूटन की थ्योरीज़ और आविष्कार ने साइंस को देखने का नज़रिया बदला है।

और आज ग्रैविटी जैसे आविष्कारों की मदद से ही इंसान चांद और मंगल ग्रह पर कदम रखने में कामयाब हो पाया है।

दोस्तों उम्मीद करते है कि आपको न्यूटन की ज़िन्दगी से जुड़ी ये सब बाते जरूर पसंद आई होगी। न्यूटन के बारे में आपको कौन-सी बात जानकर सबसे ज्यादा हैरानी हुई और न्यूटन की किस बात से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, इस बारे में हमें कमेंट करके जरूर बताएं। आज के लिए इतना ही दोस्तों। आपसे फिर मिलेंगे एक नई वीडियो और ढेर सारी रोचक जानकारी के साथ।तब तक के लिए जयहिंद.

 

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