vietnam war history hindi

Vietnam war history in hindi – दोस्तों आज हम अपने इस लेख मे वियतनाम war के पूरे इतिहास के बारे मे जानेंगे..

पिछले 70 सालों से अमेरिका भले ही विश्व में महाशक्ति के तौर पर पहचाना जाता है, लेकिन जैसे कई बार एक छोटी सी चींटी भी बड़े हाथी की नाक में दम कर देती है।

ठीक वैसा ही कुछ हुआ था वियतनाम वॉर के दौरान भी। दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश माने जाने वाले अमेरिका को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ता था।

छोटे से वियतनाम को फतह करने में,….. अमेरिका ने 5 लाख से अधिक सैनिक तैनात कर दिए थे। वियतनाम वॉर के दौरान अमेरिका ने वियतनाम पर 26 करोड़ से भी अधिक बम फेंके थे।

ये द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की गई कुल बमबारी से भी कई गुना अधिक है। लेकिन इतना सब करने के बाद भी अमेरिका को क्यों हार का सामना करना पड़ा?

क्यों अमेरिका ने अपनी सेना को वापस बुला लिया?

 छोटे से देश वियतनाम ने,  कैसे अमेरिका की इतनी बड़ी सेना को धूल चटा दी?और कहां से वियतनाम वॉर की शुरूआत हुई थी?

इस लेख मे हम आपको इन सब सवालों के जवाब देंगे, बस आप लेख के अंत तक हमारे साथ बने रहे-

Table of Contents

Vietnam war history in hindi 

वियतनाम वॉर के बारे में जानने से पहले, इसके थोड़े इतिहास पर नज़र डाल लेते है।

19वीं शताब्दी के मध्य तक ब्रिटेन, पुर्तगाल और फ्रांस जैसे देश दुनिया के अलग अलग कोनों में जाकर, देशों को अपना गुलाम बना रहे थे।

सन 1857 तक वियतनाम में सब कुछ नॉर्मल था। यहां तक कि लाओस और कंबोडिया देश भी, उस समय वियतनाम का ही हिस्सा हुआ करते थे।

सन 1858 में, फ्रांस की सेना ने वियतनाम में घुसना शुरू किया। और लगभग 20 साल में, यानी 1887 में पूरी तरह से वियतनाम पर कब्जा कर लिया था।

उस समय पूरी दुनिया में इस देश को इंडो चाइना के नाम से जाना जाता था। बाद में यही इंडो चाइना तीन हिस्सों में बटा, जो आज वियतनाम, लाओस और कंबोडिया के नाम से जाने जाते है। 

1941 तक फ्रांस आराम से इंडो चाइना पर शासन करता रहा।

Vietnam war

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जापान जब साउथ एशिया के देशों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा था, उसी समय जापान ने इंडो चाइना पर भी हमला कर दिया।

जापान की ये दख्लअंदाजी, इंडो चाइना की कम्यूनिस्ट नेता Ho Chi Minh को बिल्कुल भी रास नहीं आई। Ho Chi Minh इंडोचाइना के सबसे बड़े कम्यूनिस्ट नेता थे, जिन्होंने सन 1930 में फ्रांस के विरूद्ध,संघर्ष की शुरूआत की थी और इंडोचाइना कम्यूनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी।

सन 1941 में जापान से लड़ने के लिए भी Ho chi Minh आगे आए और Viet Minh नाम की पार्टी की स्थापना की।

दूसरे विश्व युद्ध में चीन और अमेरिका, दोनों ही जापान के दुश्मन थे। ऐसे में इन देशों ने वियतनाम की मदद की। 1945 में हीरोशिमा और नागासाकी पर न्यूक्लियर अटैक के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था।

 अब 1946 में फ्रांस ने एक बार फिर वियतनाम पर अपनी दावेदारी पेश की, और कहा कि 1941 तक ये देश फ्रांस का उपनिवेश था, इसीलिए इस पर हमारा अधिकार है।

लेकिन Ho Chi Minh इस बात के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं हुए। क्योंकि मिन्ह एक कम्यूनिस्ट नेता थे, ऐसे में अमेरिका को चिंता हुई कि कहीं वियतनाम पूरी तरह एक कम्यूनिस्ट देश ना बन जाए।

इसके लिए उसने फ्रांस को सपोर्ट करना शुरू किया। अमेरिका की मदद से, फ्रांस ने इंडो चाइना दक्षिणी हिस्से पर कब्जा कर लिया, जिसे बाद में साउथ वियतनाम का नाम दे दिया गया और Bao Dai को, यहां का राष्ट्रपति बना दिया गया।

वहीं नॉर्थ वियतनाम में Ho Chi Minh सत्ता संभाल रहे थे। अमेरिका चाहता था,कि वियतनाम एक डेमोक्रेटिक देश बने। सन 1949 तक विश्व भर में कोल्ड वॉर की शुरुआत हो गई थी। 

1949 में साउथ और दक्षिण वियतनाम को एक करने की बात हुई थी। लेकिन, एक होने पर देश में कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार रहेगी या फिर लोकतंत्र आएगा, इस बात पर विवाद शुरू हो गया।

नॉर्थ वियतनाम में तो पूरी तरह कम्यूनिस्ट पार्टी का शासन था। वहीं साउथ वियतनाम में, बाओ डाई ने भी तानाशाही शुरू कर दी।

ये बात, अमेरिका को ज्यादा पसंद नहीं आई, क्योंकि अमेरिका, हमेशा से ही तानाशाही औऱ कम्यूनिस्म के खिलाफ रहा है।

वहीं नॉर्थ वियतनाम के राष्ट्रपति Ho Chi Minh, साउथ वियतनाम को भी अपने कब्जे मे लेना चाहते थे और वे फ्रांस के खिलाफ लगातार अपनी आवाज भी बुलंद कर रहे थे।

साउथ और नॉर्थ की सीमा पर भी विवाद गहराता जा रहा था। इसी दौरान 1949 में फ्रांस ने लाओस को और 1953 में कंबोडिया को एक अलग स्वतंत्र देश घोषित कर दिया।

ये पश्चिमी देशों की डिवाइड एंड रूल पॉलिसी का ही एक हिस्सा था।  

26 अप्रैल 1954 को फ्रांस और वियतनाम के बीच Geneva Accord के तहत संधि हुई। 

अमेरिका ने साउथ वियतनाम में Bao Dai की जगह Ngo Dinh Diem को राष्ट्रपति बना दिया। क्योंकि Ngo Dinh Diem एक कैथलिक था और वियतनाम में अधिकतर लोग बुद्धिस्ट थे,

तो Ngo Dinh Diem ने बौद्ध अनुयायियों को मारना सताना शुरू कर दिया। अब साउथ वियतनाम के लोग भी नॉर्थ वियतनाम को सपोर्ट कर रहे थे और खुद को Ngo Dinh Diem के शासन से मुक्त कराना चाहते थे।

1957 में देश में गुरिल्ला वॉर शुरू हुआ। अभी तक अमेरिका ने सीधे तौर पर वियतनाम वॉर में हिस्सा नहीं लिया था। वह सिर्फ फ्रांस और साउथ वियतनाम को सपोर्ट कर रहा था और सैन्य उपकरण मुहैया करा रहा था।

अमेरिका बस यही चाह रहा था कि वियतनाम किसी भी तरह कम्यूनिस्ट होने से बचा रहे। वहीं नॉर्थ वियतनाम में हो चिन मिन्ह को चीन और यूएसएसआर का सपोर्ट मिल रहा था।

 अब अमेरिका के सैन्य अधिकारी इस युद्ध में सीधे तौर पर भाग लेना चाहते थे । लेकिन 1961 में John F. Kennedy ने,अपनी सेना को वियतनाम भेजने से इन्कार कर दिया।

जॉन की 1963 में हत्या कर दी गई। नए राष्ट्रपति Lyndon B जॉनसेन (लिंडन बी जोन्सन) ने वियतनाम वॉर में शामिल होने का एलान किया।

लेकिन अमेरिका, सीधे युद्ध में शामिल नहीं हो सकता था, क्योंकि इससे उसकी काफी बदनामी हो सकती थी। इसीलिए उसने एक षडयंत्र रचा, और दुनिया को बताया, कि गल्फ ऑफ टॉन्किन में साउथ वियतनाम ने उनके जहाज पर हमला किया है। इस षडयंत्र के बारे में जब तक सच सामने आया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

 

8 मार्च 1965 को अमेरिका ने अपनी टुकड़ी वियतनाम भेजी और जंग का एलान कर दिया। लेकिन वियतनाम के घने जंगलों के बीच, अमेरिका की सेना का टिक पाना आसान नहीं था।

अमेरिका ने जंगलों में केमिकल डालकर आग लगानी शुरू कर दी। आज भी उन केमिकल के निशान जंगलों में मिल जाते है। 

वियतनाम के सैनिक अपने देश के भूगोल के बारे में अच्छे से जानते थे। वे जंगलों में छिप कर गोरिल्ला तकनीक से विरोधी सेना पर हमला करने में निपुण थे।

साथ ही उन्होंने जंगलों के नीचे गुफाएं बना रखी थी, जिसमें कि वह आसानी से छिप जाया करते थे। कई दिनों तक गुफा में रहकर ही वह खाना बनाते और रहते थे। मौका देखकर बाहर निकलते दुश्मन की सेना पर वार करते और वापस सुरंग में चले जाते थे।

वहीं अमेरिकी सेना को दलदल किचड़ और घने जंगलों में युद्ध करने की आदत नहीं थी। अमेरिका लगातार अपने सैनिकों की संख्या में इजाफा करता रहा। पहले 50 हज़ार, फिर 1.5 लाख फिर 3 लाख और इसी तरह 1967 तक 5 लाख सैनिक वियतनाम में तैनात कर चुका था।

वियतनाम के लोग मे क्या बच्चे, क्या महिलाएं और क्या जवान, सभी लोग अमेरिकी सेना का सामना कर रहे थे। अमेरिका ने सन 1968 में वियतनाम में कत्ले आम शुरू कर दिया।

वियतनाम पर बमबारी शुरू कर दी। बताया जाता है कि एक साल में अमेरिका ने वियतनाम पर 20 हज़ार टन बम गिराए थे। जिसमे लाखों वियतनामी सैनिकों और आम लोगों की मौत हो गई थी। 

अमेरिका के इस कत्ले आम की पूरी दुनिया मे बदनामी शुरू हो गई। यूएसए की मीडिया में अमेरिका को विलेन और वियतनाम को विक्टिम के तौर पर दिखाना शुरू कर दिया।

अमेरिका के अपने ही देश के लोगों ने सैनिकों के विरूद्ध प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिया। लोगों ने सैनिकों को क्रूरता और बर्बरता बंद करने की मांग की। वहीं दूसरी ओर वियतनाम की सेना और नागरिक, टस से मस होने का नाम नहीं ले रहे थे।

सन 1973 में, आखिरकार अमेरिका को अपनी सेना वापस बुलानी पड़ी। कई सालों के युद्ध के बाद भी अमेरिका वियतनाम जैसे देश को हरा नहीं पाया। वहीं नॉर्थ वियतनाम ने साउथ वियतनाम की राजधानी Saigon पर कब्जा कर लिया और 1975 में पूरा वियतनाम फिर से युनाइट होकर एक देश बन गया। 

कहा जाता है कि इस युद्ध में वियतनाम के 14 लाख सैनिक और 20 लाख आम लोगों की मौत हुई थी।

 वहीं अमेरिका के भी लगभग 58 हज़ार लोगों की जान गई थी। यह इतिहास में सबसे अधिक समय तक चलने वाले युद्धों में से एक है।

एक महाशक्ति होने के बावजूद छोटे से देश की बहादुरी और हिमम्त के आगे अमेरिका को झुकना पड़ा, यह बात आज भी दुनिया को हैरानी में डालती है। वहीं कई इतिहासकार ये भी कहते है कि इस पूरे युद्ध में किसी की जीत या हार नहीं हुई थी। 

दोस्तों ये था वियनताम वॉर का पूरा इतिहास और युद्ध की कहानी। उम्मीद करते है आपको वीडियो पसंद आई होगी। अगर हां तो इसे लाइक और शेयर करना ना भूलें। आज के लिए इतना ही। आपसे फिर मिलेंगे एक नई वीडियो और ढेर सारी रोचक जानकारी के साथ।   

 

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