tenali rama stories in hindi (तेनाली राम स्टोरीज़) – स्वागत है आपका ज्ञान से भरी रोचक कहानियों की इस दुनिया मे। दोस्तों जीवन मे कहानियों का विशेस महत्तव है |
इन कहानियो के माध्यम से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है | इनकहानियों के माध्यम से आपको ज़रूरी ज्ञान हासिल होंगे जो आपको आपकी लाइफ मे बहुत काम आएंगे |
यहाँ पर बताई गई हर कहानी से आपको एक नई सीख मिलेगी जो आपके जीवन मे बहुत काम आएगी | हर कहानी मे कुछ न कुछ संदेश और सीख छुपी हुई है | तो ऐसी कहानियो को ज़रूर पढ़े और अपने दोस्तो और परिवारों मे भी शेयर करे
कौन थे तेनाली रामा ?
दोस्तों जैसे अकबर के समय मे , अकबर के दरबार मे बीरबल जैसा एक बहुत बुद्धिमान इंसान हुआ करता था जिसकी बुद्धिमानी की कहानिया बहुत प्रचलित है । ठीक उसी प्रकार राजा कृष्णदेव राय के समय मे राजा कृष्णदेव राय के दरबार मे एक बहुत ही बुद्धिमान मंत्री तेनाली राम जी हुआ करते थे । यह भी बीरबल की तरह बहुत बुद्धिमान थे और इनकी बुद्धिमता की कहनीय भी लोगो मे बहुत प्रचलती है | तो इन्ही की बुद्धिमानी के किस्से कहानियाँ हम आप लोगो तक लाए है |tenali ram stories
तो चलिये शुरू करते है हमारी आज की कहानी
Table of Contents
tenali rama stories in hindi-
तेनालीराम की कहानी -1: अंगूठी चोर
महाराजा कृष्ण देव राय एक कीमती रत्न जड़ित अंगूठी पहना करते थे। जब भी वह दरबार में उपस्थित होते तो अक्सर उनकी नज़र अपनी सुंदर अंगूठी पर जाकर टिक जाती थी। राजमहल में आने वाले मेहमानों और मंत्रीगणों से भी वह बार-बार अपनी उस अंगूठी का ज़िक्र किया करते थे।
एक दिन उनकी यही अंगूठी खो जाती है राजा बहुत परेशान हो जाता है पर वह अंगूठी नहीं मिलती | राजा कृष्ण देव राय उदास हो कर अपने सिंहासन पर बैठे थे। तभी तेनाली रामा (Tenali Raman)वहाँ आ पहुंचे। उन्होने राजा की उदासी का कारण पूछा। तब राजा ने बताया कि उनकी पसंदीदा अंगूठी खो गयी है, और उन्हे पक्का शक है कि उसे उनके बारह अंग रक्षकों में से किसी एक ने चुराया है।
चूँकि राजा कृष्ण देव राय का सुरक्षा घेरा इतना चुस्त होता था की कोई चोर-उचक्का या सामान्य व्यक्ति उनके नज़दीक नहीं जा सकता था।
तेनालीराम ने तुरंत महाराज से कहा कि-
मैं अंगूठी चोर को बहुत जल्द पकड़ लूँगा।
यह बात सुन कर राजा कृष्ण देव राय बहुत प्रसन्न हुए। उन्होने तुरंत अपने अंगरक्षकों को बुलवा लिया।
तेनालीराम बोले, “राजा की अंगूठी आप बारह अंगरक्षकों में से किसी एक ने की है। लेकिन मैं इसका पता बड़ी आसानी से लगा लूँगा। जो सच्चा है उसे डरने की कोई ज़रुरत नहीं और जो चोर है वह कठोर दण्ड भोगने के लिए तैयार हो जाए।”
तेनालीराम ने बोलना जारी रखा, “आप सब मेरे साथ आइये हम सबको काली माँ के मंदिर जाना है।”
राजा बोले, ” ये क्या कर रहे हो तेनालीराम , हमें चोर का पता लगाना है मंदिर के दर्शन नहीं करने हैं!”
तेनाली राम बोले – “महाराज, आप धैर्य रखिये जल्द ही चोर का पता चल जाएगा।”, तेनालीराम ने राजा को सब्र रखने को कहा।
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मंदिर पहुँच कर तेनाली रामा (Tenali Raman) पुजारी के पास गए और उन्हें कुछ निर्देश दिए। इसके बाद उन्होंने अंगरक्षकों से कहा, ” आप सबको बारी-बारी से मंदिर में जा कर माँ काली की मूर्ति के पैर छूने हैं और फ़ौरन बाहर निकल आना है। ऐसा करने से माँ काली आज रात स्वप्न में मुझे उस चोर का नाम बता देंगी।
अब सारे अंगरक्षक बारी-बारी से मंदिर में जा कर माता के पैर छूने लगे। जैसे ही कोई अंगरक्षक पैर छू कर बाहर निकलता तेनाली रामा (Tenali Raman) उसका हाथ सूंघते आर एक कतार में खड़ा कर देते। कुछ ही देर में सभी अंगरक्षक एक कतार में खड़े हो गए।tenali raman stories
महाराज बोले, “चोर का पता तो कल सुबह लगेगा, तब तक इनका क्या किया जाए?”
नहीं महाराज, चोर का पता तो लग चुका है। सातवें स्थान पर खड़ा अंगरक्षक ही चोर है।
ऐसा सुनते ही वह अंगरक्षक भागने लगा, पर वहां मौजूद सिपाहियों ने उसे धर दबोचा, और कारागार में डाल दिया.
राजा और बाकी सभी लोग आशार्यचाकित थे कि तेनालीराम ने बिना स्वप्न देखे कैसे पता कर लिया कि चोर वही है।
तेनाली रामा (Tenali Raman) सबकी जिज्ञासा शांत करते हुए बोले,”मैंने पुजारी जी से कह कर काली माँ के पैरों पर तेज सुगन्धित इत्र छिड़कवा दिया था। जिस कारण जिसने भी माँ के पैर छुए उसके हाथ में वही सुगन्ध आ गयी। लेकिन जब मैंने सातवें अंगरक्षक के हाथ सूंघे तो उनमे कोई खुशबु नहीं थी… उसने पकड़े जाने के डर से माँ काली की मूर्ति के पैर छूए ही नहीं। इसलिए यह साबित हो गया की उसी के मन में पाप था और वही चोर है।”
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राजा कृष्ण देव राय एक बार फिर तेनालीराम की बुद्धिमत्ता के कायल हो गए। और उन्हें स्वर्ण मुद्राओं से सम्मानित किया।
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tenali rama stories – 2: कुछ नहीं
तेनाली रामा (Tenali Raman) राजा कृष्ण देव राय के निकट होने के कारण बहुत से लोग उनसे जलते थे। उनमे से एक था रघु नाम का ईर्ष्यालु फल व्यापारी। उसने एक बार तेनालीराम को षड्यंत्र में फसाने की युक्ति बनाई।
उसने तेनाली रामा (Tenali Raman) को फल खरीदने के लिए बुलाया। जब तेनाली रामा (Tenali Raman) ने उनका दाम पूछा तो रघु मुस्कुराते हुए बोला,
“आपके लिए तो इनका दाम ‘कुछ नहीं’ है।”
यह बात सुन कर तेनाली रामा (Tenali Raman) ने कुछ फल खाए और बाकी थैले में भर आगे बढ़ने लगे। तभी रघु ने उन्हें रोका और कहा कि मेरे फल के दाम तो देते जाओ।
तेनाली रामा (Tenali Raman) रघु के इस सवाल से हैरान हुए, वह बोले कि अभी तो तुमने कहा की फल के दाम ‘कुछ नहीं’ है। तो अब क्यों अपनी बात से पलट रहे हो। तब रघु बोला की, मेरे फल मुफ्त नहीं है। मैंने साफ-साफ बताया था की मेरे फलों का दाम कुछ नहीं है। अब सीधी तरह मुझे ‘कुछ नहीं’ दे दो, वरना मै राजा कृष्ण देव राय के पास फरियाद ले कर जाऊंगा और तुम्हें कठोर दंड दिलाऊँगा।tenali rama ki kahani
तेनाली रामा (Tenali Raman) सिर खुझाने लगे। और यह सोचते-सोचते वहाँ से अपने घर चले गए।
उनके मन में एक ही सवाल चल रहा था कि इस पागल फल वाले के अजीब षड्यंत्र का तोड़ कैसे खोजूँ। इसे कुछ नहीं कहाँ से लाकर दूँ।
अगले ही दिन फल वाला राजा कृष्ण देव राय के दरबार में आ गया और फरियाद करने लगा। वह बोला की तेनाली ने मेरे फलों का दाम ‘कुछ नहीं’ मुझे नहीं दिया है।
राजा कृष्ण देव राय ने तुरंत तेनाली रामा (Tenali Raman) को हाज़िर किया और उससे सफाई मांगी। तेनाली रामा (Tenali Raman)पहले से तैयार थे उन्होंने एक रत्न-जड़ित संदूक लाकर रघु फल वाले के सामने रख दिया और कहा ये लो तुम्हारे फलों का दाम।
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उसे देखते ही रघु की आँखें चौंधिया, उसने अनुमान लगाया कि इस संदूक में बहुमूल्य हीरे-जवाहरात होंगे… वह रातों-रात अमीर बनने के ख्वाब देखने लगा। और इन्ही ख़यालों में खोये-खोये उसने संदूक खोला।
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संदूक खोलते ही मानो उसका खाब टूट गया, वह जोर से चीखा, ” ये क्या? इसमें तो ‘कुछ नहीं’ है!”
तब तेनालीराम बोले, “बिलकुल सही, अब तुम इसमें से अपना ‘कुछ नहीं’ निकाल लो और यहाँ से चलते बनो।”
वहां मौजूद महाराज और सभी दरबारी ठहाका लगा कर हंसने लगे। और रघु को अपना सा मुंह लेकर वापस जाना पड़ा। एक बार फिर तेनालीराम ने अपने बुद्धि चातुर्य से महाराज का मन जीत लिया था।tenali raman stories
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तेनालीराम की कहानी -3: जादूगर का घमंड
एक बार राजा कृष्ण देव राय के दरबार में एक जादूगर आया। उसने बहुत देर तक हैरतअंगेज़ जादू के करतब दिखा कर पूरे दरबार का मनोरंजन किया। फिर जाते समय राजा से ढेर सारे उपहार ले कर अपनी कला के घमंड में सबको चुनौती दे डाली-
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क्या कोई व्यक्ति मेरे जैसे अद्भुत करतब दिखा सकता है। क्या कोई मुझे यहाँ टक्कर दे सकता है?
इस खुली चुनौती को सुन कर सारे दरबारी चुप हो गए। परंतु महाराज और तेनालीराम (Tenali Raman) को इस जादूगर का यह अभिमान अच्छा नहीं लगा।
राजा तुरंत तेनाली रामा (Tenali Raman) की तरफ देखते है और बोलते है – तेनाली रामा ! तुम इस जादूगर को जवाब दो |
तेनाली रामा (Tenali Raman) बोलता है – जी महाराज ! मुझे एक दिन का वक़्त दो , मैं कल ही इस जादूगर से भी अच्छा जादू दिखाऊँगा |
अब तेनाली रामा (Tenali Raman) घर जाते हुए यही सोचता रहता है की कैसे उस जादूगर का घमंड तोड़ा जाए | इतने मे तेनाली रामा की नजर रेत मे खेलते हुए बच्चो पर पड़ती है | बच्चे रेत मे रेत का घर बना रहे थे और कुछ शरारती बच्चे एक दूसरे पर रेत फैक रहे थे | यह देख तेनाली रामा के दिमाग मे एक जादूगर का घमंड तोड़ने की युक्ति आती है |
अगले दिन तेनाली रामा (Tenali Raman) राजदरबर मे जादूगर को बोलता है – जो करतब मैं अपनी आँखें बंद कर के दिखा दूंगा वह तुम खुली आंखो से भी नहीं कर पाओगे।
अब बताओ क्या तुम मेरी चुनौती स्वीकार करते हो?
जादूगर अपने घमंड में अंधा था। उसने तुरंत तेनाली रामा (Tenali Raman) की इस चुनौती को स्वीकार कर लिया।
तेनाली रामा (Tenali Raman) नमक की एक थैली लेता है , थैली से मुट्ठी भर नमक निकाल कर अपनी बंद आखो के ऊपर डालना शुरू कर देता है |
यह देख जादूगर के होश उड़ जाते है , और मन ही मन मे सोचने लगता है की यह पागल तो नहीं हो गया है भला यह इस नमक को मैं खुली आख पर कैसे दल सकता हूँ |
इतने मे तेनाली रामा बोलता है – अब तुम्हारी बारी |
इधर जादूगर के माथे पर चिंता और डर की लकीरे दस्तक दे चुकी थी| जादूगर बोलता है – महाराज यह तो गलत है , भला मैं खुली आखो मे नमक कैसे डाल सकता हूँ , ऐसे तो मैं अंधा हो जाऊंगा |
तब महाराज बोलते है – क्यो नहीं कर पाओगे ? तुम तो बहुत बड़े जादूगर हो , अभी कल तो तुम पूरे दरबार मे बहुत बोल रहे थे की कोई भी मेरे जैसा जादू नहीं दिखा सकता तो अब तुम यह छोटा सा करतब दिखने से क्यो डर रहे हो | और वैसे भी तुमने तेनाली रामा (Tenali Raman) की चुनौती कबूल की है , अब चुनौती का जवाब दो और यह करतब करके दिखाओ |
जादूगर की हालत पतली हो गई | जादूगर को अब अपनी गलती का एहसास हो जाता है की वो घमंड मे इतना कुछ बोल गया था | जादूगर भरे दरबार मे सभी से माफी मांगता है और बहुत शर्मिंदा होता है |
तेनाली रामा (Tenali Raman) बोलते है – कभी भी अपनी कुशलता और हुनर पर घमंड नहीं करना चाहिए | जिस चीज के जरिये आप अपना और अपने परिवार का पेट पालते हो तुम्हें उस कला का सम्मान करना चाहिए न की घमंड | अपनी कला पर घमंड करने से उस कला का अपमान होता है |
जादूगर , तेनाली रामा (Tenali Raman) की बुद्धि से और बातों से बहुत खुश होता है |
जादूगर बोलता है – तेनाली रामा ! आप सच्च मे बहुत बुद्धिमान है | अपने अपनी बुद्धिमानी से मुझे मेरी गलती का एहसास दिलाया आज के बाद मैं कभी अपनी कला पर घमंड नहीं करूंगा |
तो दोस्तो देखा आपने कैसे तेनाली रामा (Tenali Raman) ने अपनी तेज़ बुद्धि से जादूगर के घमंड को तोड़ा| तेनाली रामा के ऐसे ही और भी रोचक किस्सो को पढ़ने के लिए नीचे जाए |
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