कलयुग का भीम प्रोफेसर राममूर्ति | Rammurthy Naidu

कलयुग का भीम प्रोफेसर राममूर्ति | Rammurthy Naidu

कलयुग का भीम प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu – दोस्तों राममूर्ति नायडू का जन्म अप्रैल 1882 मे आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव वीराघट्टम मे हुआ था| 

मैं आपको बता दूँ की , राममूर्ति नायडू को बचपन मे सांस की परेशानी थी यानी उनको दमा था | इतना सब होने के बावजूद भी उन्होने ने अपने जीवन मे ऐसा क्या किया ? जिससे उनके शरीर मे इतना बल आ गया था की लोग उनके बल प्रदर्शन को देख कर दाँतो तले उंगली दबा लेते थे और अपनी आंखो पर विश्वास नहीं कर पाते थे | जिसके चलते लोग उन्हे कलयुग का भीम बुलाते थे | 

 

प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

दोस्तों राममूर्ति नायडू खुद यह कहा करते थे की ! मैं जो भी कर सकता हूँ वो आप लोग भी कर सकते है , कोई भी कर सकता है | फिर लोगो ने जब इस पर सवाल किया ,की कैसे , शरीर को इस तरह बलवान बनाया जा सकता है |

तब राममूर्ति नायडू ने लोगो को इसका राज बताया | सिर्फ यही नहीं उन्होने इस राज को  अपनी एक डायरी मे भी लिखा | 

 

1902 मे एक बहुत ही प्रसिद्ध लेखक “प्रकाश गुरु” ने  राममूर्ति नायडू के इस शारीरिक बल के प्रदर्शन से प्रभावित होकर एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था कलयुगी भीम |उन्होने अपनी इस किताब मे राममूर्ति नायडू के जीवन परिचय और दिनचर्या के बारे मे लिखा |

 

इसी किताब से हम आपको उनकी दिनचर्या के बारे मे बताएँगे जिससे राममूर्ति नायडू के इतने बलवान होने के राज़ का पता चलता है | लेकिन इससे पहले हम आपको राममूर्ति नायडू के बल प्रदर्शन के बारे मे बताते है जिसे जानकार आप चौक जाएंगे |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

 

राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu ने 45 साल तक शादी नहीं की |

 

राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

असली ताकत |motivational story in hindi

 

प्रकाश गुरु जी अपनी पुस्तक कलयुगी भीम मे राममूर्ति नायडू के बल प्रदर्शन के बारे बताते हुए कहते हैं की कलयुग का भीम कहे जाने वाले राममूर्ति नायडू ने अपनी रोज़ की दिनचर्या ऐसी बना ली थी जिस वजह से उनका शरीर पत्थर की तरह मजबूत हो गया था और शरीर मे इतना बल आगया था की एक किशोर अवस्था वाले   हाथी को एक फट्टे के सहारे अपनी छाती पर चढ़ा लेते थे | 25 घोड़ों की शक्ति वाली दो दो मोटर  कार को रोक लेते थे |अपनी छाती पर बड़ी सी चट्टान रखकर उस पर पत्थर को टुकड़े-टुकड़े करवा देते थे | 

 

राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

असली ताकत |motivational story in hindi

 

सिर्फ यहीं नहीं , आधे इंच की मोटे लोहे वाली  जंजीर को कमल की डंडी के समान आसानी से  तोड़ देते थे । 50 मनुष्यों से लदी हुई गाड़ी को शरीर पर से उतरवा देते थे ।इसके इलवा  75 मील की तेजी से दौड़ती हुई हवा गाड़ी उनके शरीर के ऊपर से रौंदते हुए चली जाती थी | राममूर्ति नायडू जी के इस प्रदर्शन को देख लोग अपनी दांतों तले उंगलिया दबाने को मजबूर हो जाते थे | 

 

 

तो चलिये अब प्रकाश गुरु जी की पुस्तक कलयुगी भीम की सहायता  से यह जानते है की क्या थी राममूर्ति नायडू की दिनचर्या?

यह जानने के लिए आपको उनके जीवन परिचय को ठीक से पढ़ना होगा | जिसे पढ़ कार  इस राज़ से पर्दा उठेगा  और आप समझ जाएंगे की कैसे राममूर्ति नायडू जी ने अपने शरीर को इतना बल शाली बना लिया था | 

 

 

राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

 

राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu| जीवन परिचय –

राममूर्ति नायडू का जन्म अप्रैल 1882 मे आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव वीराघट्टम मे हुआ। जब वह छोटे थे तब उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद उनके पिता वेंकन्ना ने उनको बड़े लाड प्यार से पाला।यही कुछ 10 साल की उम्र मे उन्हे कोई भी कार्य करने पर सांस लेने मे तकलीफ होने लगी उपचार करने पर पता चला की  राममूर्ति नायडू  को दमा की शिकायत थी |  वैद जी ने बोला इनको अच्छे उपचार की  जरूरत है | वैद जी ने उनको कुछ जड़ी बूटी से बनी दवाई  दी |

 

प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

और साथ मे कहा की रोज़ प्राणायाम करे , योगा करे जिससे इनको जल्दी आराम मिलेगा | राममूर्ति नायडू  ने अब रोज़ योगा और प्राणायाम करना शुरू किया |  1 महीने बाद उनको काफी असर देखने को मिला | यह देख राममूर्ति नायडू ने योगा और प्राणायाम  को हमेशा के लिए अपनी दिनचर्या का एक हिस्सा बना लिया |

 

शुरू से  ही राममूर्ति नायडू  को उनके पिता और दादा से  रामायण   तथा  महाभारत के शूरवीरों  की गाथा को  सुनाया करते थे जिससे राममूर्ति नायडू  के मन मे भी  उनकी तरह शूरवीर और बलशाली बनने की बहुत इच्छा होती थी | वह हनुमान जी  और भीम  के बल से बहुत प्रभावित थे | राममूर्ति नायडू  को खेल कूद मे बहुत रुचि थी |

 

प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

उन दिनों अक्सर उनके गाँव मे कुश्ती का आयोजन किया जाता था जिसे वह खूब उतत्साह से देखते थे | कुश्ती देखते हुए उनका  मन   खूब उतत्साह और  जोश  से भर जाता था | वह खुद अपने गाँव के दोस्तो के साथ आपस मे मिल कर भी कुश्ती किया करते थे| आस पास के गावों मे कुश्ती खेलने जाया करते थे |

 

जैसे जैसे कुश्ती के प्रति उतत्साह बढ़ता गया वह रोज घर पर सेंडो डंबल  घुमाते और खूब व्यायाम करते| लेकिन ऐसे व्यायाम से उन्हे वो  परिणाम नहीं मिल रहे थे जिसकी राम मूर्ति ने अपेक्षा की थी , बेहतर परिणाम न मिलने से  निराश होकर उन्होने ऐसा व्यायाम करना बंद कर दिया | इसके बाद वह तमाम देसी पहलवानों से मिले जिनसे उन्होने देसी व्यायाम के बारे मे जाना |

 

उन्होने देसी व्यायाम करना शुरू किया जिससे उनको काफी लाभ मिला और इस व्यायाम के प्रति उनकी रुचि बढ़ती गई |

 

इस बीच प्रसिद्ध देसी पहलवानों से मिले जिससे उनको यह  व्यायाम के बारे मे सही जानकारी मिली और साथ खान पान के ऊपर भी विशेस ज्ञान मिला|

 

 

जब उन्होने इन देसी व्यायामों को अपने तरीके से करना आरंभ किया तो उनको अच्छा फरक नज़र आने लगा | असल मे यह उनका तरीका नहीं था यह व्यायाम को करने की एक  प्राचीन पद्धति थी जिसे महाभारत समय मे  योद्धा लोग किया करते थे | 

 

इस पद्धति को सदैव गुप्त रखा गया है | लेकिन राममूर्ति नायडू ने जब इन व्यायामों को  ले कर इन पर अद्धययन  किया तो इन्हे इस  व्यायाम की इस पद्धति का पता चला | इस प्रकार राममूर्ति नायडू ने  इसी  प्राचीन पद्धति से  व्यायाम को करना आरंभ किया |

 

 

देखते ही देखते  उनमे अथाह बल की अनुभूति होने लगी | उन्होने इस बल को  आजमाने के लिए नारियल को पेड़ पर ज़ोर से अपने बल से झटके मारे जिससे 4  5  नारियल एक बार मे ही   जमीन पर गिर गए | क्योकि ऐसी प्राचीन व्यायाम पद्धति से निरंतर व्यायाम का अभ्यास करते करते राममूर्ति नायडू की मांस पेशिया बहुत मजबूत हो चुकी थी | प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

 

तो  चलिये दोस्तों  जानते हैं की क्या है यह प्राचीन व्यायाम पद्धति जिसे करने के बाद  राममूर्ति नायडू इतना बलशाली बन गए | the best technique to make body most power full

 

इस व्यायाम प्रणाली मे व्यायाम के साथ प्राणायाम करके सबसे पहले  कुंभक शक्ति को बढ़ाया जाता है जिसके  बार बार अभ्यास से  शरीर के मूलाधार चक्र मे सोई हुई कुंडलिनी शक्ति  धीरे धीरे  जागृत (activate) होना शुरू हो जाती है जिससे शरीर मे  अद्भुत ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |

 

 

इसलिए राम मूर्ति जी  इस पद्धति का उपयोग करते हुए सबसे पहले  रोज़ प्राणायाम करते थे फिर व्यायाम शुरू करते थे | देसी दंड बैठक ही उनका मूल व्यायाम था जिसे वह प्राचीत पद्धति से करते थे | इस प्राचीन व्यायाम पद्धति को फफ़्सी व्यायाम पद्धति के नाम से भी जाना जाता था | जो की आज राम मूर्ति दंड के नाम से भी विख्य्यात है |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

अभी भी अधिक तर लोगो मे यह  भ्रांति फैली हुई है की राममूर्ति रोजाना  1000 से 1500 दंड बैठक मार लिया करते थे | तो मैं आपको बता दूँ की ऐसा नही था | असल मे राम मूर्ति जी 10 दिन मे 10 दंड और 10 बैठक ही लगाया करते थे | 

 

वह दंड और बैठक कुछ इस प्रकार से लगाया करते थे की वह 1500 दंड बैठक के समान होता था | वह एक दंड बैठक को लंबे समय तक लगते थे | यानि की एक ही दंड को लगाने मे अधिक से अधिक समय लेते  थे | ताकि सारी बारीक से बारीक नसे और मांस पेशियाँ फौलाद की तरह मजबूत बन सके |

 

इस विधि से व्यायाम करने से शरीर के मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता था जिससे शरीर की नसे खुल जाती थी |और पट्ठे मजबूत हो जाते थे |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

ऐसी पद्धति से व्यायाम करते समय साँसो पर बहुत अधिक ध्यान देना होता है | यानि की हर दंड को अधिक से अधिक समय तक बढ़ाने के साथ साथ  साँसो को भी फेफड़ों मे अधिक देर तक रोक कर रखना होता है | इसी के साथ ही शरीर मे पांचों शक्तियाँ ऊर्जा ,फोर्स, स्टेमिनर, स्ट्रेन्थ,और  एनर्जी, की प्राप्ति होती है जिसे फफ़्सी योग |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

इसलिए राममूर्ति नायडू  पहले प्राणायाम और कुंभक प्राणायाम किया करते थे जिसके रोजाना निरंतर अभ्यास से राममूर्ति नायडू ने अपनी श्वास को अधिक देर तक रोके रखने का भी अभ्यास हो गया | जो की प्राचीन व्यायाम पद्धति के लिए बहुत ज़रूरी है |

 

 

 

 

 

चलिये अब जानते है राम मूर्ति दंड कैसे लगाना  है ?

सबसे पहले  अपने शरीर पर अच्छे से तेल मालिश कर ले | ऐसा करने से शरीर के छोटे छोटे रॉम खुल जाएंगे | अब अपने शरीर को दंड की अवस्था मे ले आए यानी अपने हाथो के पंजो को जमीन से लगा ले  और टाँगो को सीधा पीछे की ओर ले जाए | कमर और रीढ़ की हड्डी एक दम सीधी कर लें , जैसा की नीचे चित्र मे दिखाया गया है| प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

exercise

 

 

इसके बाद गहरा संस लें और धीरे धीरे जमीन को  बल  लगाते हुए नीचे आए | जब छाती हल्की जमीन से छूने लगे तो रुक जाए औए अब अपने पैर के पंजो  की मदद से अपने शरीर को आगे की ओर धकेले ध्यान रहे हाथ अपने स्थान से हिलने नहीं चाहिए और अपने आसन (hips) को ऊपर नहीं उठाना है | पैर के पंजो  की मदद से अपने शरीर को आगे की ओर सिर्फ इतना ही धकेलना है की आपकी कमर हाथ के पंजो तक पहुँच जाए | इसके बाद 

 

 

4 सेकेंड आपको इसी अवस्था मे ही रहना है | फिर वापिस अपने हाथ पैर के पंजो की मदद से वापिस उसी स्थिति मे आए और शरीर को  पुनः हाथ के पंजो की मदद से  ऊपर लाए | यानी की हाथ के पंजो के बल से ज़मीन पर दबाव लगते हुए अपने शरीर को जमीन से ऊपर उठाए |जैसा की नीचे चित्र मे दिखाया गया है

प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

exercise

 

 

ऐसा 5 से 10 बार करे | शुरू मे आप 5 बार ही करे | फिर इसके बाद कुंभक प्राणायाम की मदद से  आप इस  व्यायाम को 10 बार आसानी से कर पाएंगे | 

 

इस व्यायाम मे सांस का बहुत अधिक महत्तव है |क्योकि श्वास के टूटने पर ही हम जल्दी थकते है | इसमे जितना अधिक देर तक आप सांस को  नाक द्वारा एक लय बद्ध तरीके से  छोड़ने तथा  रोकने मे लगाएंगे उतना ही बेहतर तरीके से और अधिक समय तक आप इस व्यायाम को कर पाएंगे जिसका अद्भुत परिणाम आपको आपके शरीर पर देखने को मिलेगा |राममूर्ति नायडू | असली ताकत |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

इस प्रकार से किए गए व्यायाम से पूरे शरीर का वर्क आउट अच्छे से हो जाता है और पूरे शरीर की मांस पेशियाँ  फोलद की तरह मजबूत होनी शुरू हो जाती है क्योकि इसमे पांचों  शक्तियाँ काम  करती है जो की अन्य किसी भी एक्सोसाइज़ मे नहीं करती | 

 

इसी व्यायाम के कारण  राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu की छाती 45 इंच चौड़ी थी और फुलाने पर 57 इंच हो जाती थी शरीर की लंबाई 5 फुट 6:30 इंच और तोल अढाई मन हो गया था ।

 

 

हो सकता है यह व्यायाम प्रणाली आपको आसान और साधारण सी लग रही होगी लेकिन जब आप इसको करेंगे तो खुद पता चल जाएगा आपको | यह व्यायाम प्रणाली जितनी आसान आपको दिख रही है उतनी है नहीं | लेकिन  इसके  अद्भुत  परिणाम भी  चौका देने वाले है |असली ताकत |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

इसे करते समय  जैसे जैसे आप पंजो की मदद से शरीर को नीचे की ओर लेकर जाते है तो आपके शरीर का भार कई गुना बढ़ जाता है फिर ऐसे उस पूरे वजन को जब आप रोके रहते है आपका शरीर दिन प्रतिदिन  भारी भारी  वजन को रोकने का आदि बन जाता है जिस वजह से भारी भारी वजन भी आसानी के साथ उठाया जा सकता है |

 

 

 

चलिये अब जानते है उस कुंभक प्रयास के बारे मे जिसके निरंतर अभ्यास से हम अधिक देर तक सांसको रोक पाएंगे | 

 

कुभक प्राणायाम के बार बार अभ्यास की मदद से  ही हमारी मूलाधार मे स्थित कुंडलिनी शक्ति जागृत होगी | ऐसे मे शरीर मे ऊर्जा का विकास होता यही ऊर्जा हमारे दिमाग की माइंड पवार को 100 % तक बढ़ा देती है जिससे हम कोई भी काम कर सकते है |असली ताकत |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

 

क्या है कुंभक प्राणमयम ?

 

श्वास को अंदर रोक कर रखने की क्रिया को आंतरिक कुंभक बोला जाते है और श्वास को शरीर से बाहर रोकने की प्रक्रिया को बाहरी कुंभक बोला जाता है | 

 

कुंभक प्राणायाम से प्राण  वायू यानि आक्सीजन  फेफड़ो के भीतर तक जाती है और ईणा तथा पिंगला दोनों नाड़ियो को शुद्ध करती है | इस प्रक्रिया के दौरान फेफड़ो से  सारी कार्बन डाईआक्साइड  श्वास द्वारा नाक से बाहर निकाल देते है जिससे फेफड़े मजबूत होते है |इस तरह फेफड़े जीतने मजबूत बनते जाएंगे व्यायाम मे समय उतना अधिक बढ़ेगा | जिससे हम शरीर के भर को अधिक देर तक रोक पाएंगे |असली ताकत |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

कलयुग का भीम प्रोफेसर राममूर्ति | Rammurthy Naidu

 

 ध्यान रहे की यह आपको सुबह ही करना है और पेट मे कुछ नहीं होना चाहिए पेट साफ होना चाहिए|

 

इस प्रकार राममूर्ति नायडू  रोज़ सुभ ब्रांह मुहूरत मे उठ कर सबसे पहले नित्या के क्मो को कर के फ्रेश हो कर ताज़ी हवा मे प्राणायाम करते थे | सबसे गहरी सांस लेते थे फिर प्राणायाम शुरू करते थे| इसके बाद कुंभक प्राणायाम का प्रयास करते थे  | इसके बाद आपण वही प्राचीन पद्धति का  व्यायाम शुरू करते थे |असली ताकत |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

 

कैसा था राममूर्ति नायडू का खान पान?

राममूर्ति नायडू रोज रात को 250 ग्राम बादाम , पाँच काजू , पाँच बादाम , 2 अंजीर ,2 अखरोट ,10 किशमिश  और 5 छुहारे | इन सब को  मिट्टी के बर्तन मे डाल कर उसमे पानी  भर कर रख देते देते थे | फिर अगली सुबह व्यायाम करने के बाद इसे चबा चबा कर खाते थे | इसके 20 मिनट बाद 1 गिलास गाय के दूध मे 1 चिम्मच देसी घी डाल कर पी जाते थे | यह उनका सुबह का भोजन था |

 

दिन मे वह दाल  चावल 2 रोटी और मौसम अनुसार सलाद ही खाते थे | फिर 5 मिनट बाद 1 गिलास लस्सी पी जाते थे | इसके बाद शाम को फिर प्राणायाम का अभ्यास करते थे | |प्रोफेसर राममूर्ति नायडू | Rammurthy Naidu

 

फिर रात के समय कम खाना ही खाते थे और एक गिलास दूध पी कर रात को  सो जाते थे | इस सादे संतुलित  भोजन से उनके शरीर को खूब ऊर्जा मिलती थी |

 

 

तो दोस्तो यह थी राममूर्ति नायडू के बलशाली होने की कहानी |  इसे जादा से जादा अपने दोस्तो मे शेयर करे | ध्न्न्यवाद |

 

 

 

 

 

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2 thoughts on “कलयुग का भीम प्रोफेसर राममूर्ति | Rammurthy Naidu”

  1. Ey kalyugi bheem ki pustak kha milegi…agar iski pdf ho to bhi ap hmey dey skte hai to bdi madath hogi..kitab keliye agar amount chahiye to bhi tayyar hai..ey kitab ya uski pdf chahiye

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