वैशाली नगर के एक बहुत बड़े राजा हुए, राजा हर्षवर्धन. राजा की ईश्वर पर बड़ी आस्था व श्रद्धा थी.

क्योंकि राजा के पूर्वजों से यह बात चली आरही थी की उनके सभी पूर्वजों ने भक्ति का मार्ग अपना कर👉

मोक्ष प्राप्त किया है, मात्र एक ईश्वर भक्ति जैसा पुण्य कर्म करके भी मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है

किन्तु राजा ने अपने जीवन काल में ऐसे कई दृश्य देखे थे जिस वजह से राजा के लिये इन तर्क रहित बातो पर ये विश्वास कर पाना मुश्किल था की मातृ भक्ति से मोक्ष प्राप्ति हो सकती है.

राजा इसी सोच की उधेड़ बुन में लगा रहता की मैंने कई परम् भक्त देखे उनकी आत्माए आज तक धरती पर क्यों भटक रही,असल में सच्ची भक्ति का सही अर्थ क्या है?

कुछ दिन बाद एक बहुत बड़े संत दुनिया भर का भर्मण करते हुए वैशाली नगर पहुंचे. राजा तक ज़ब यह बात पहुंची की-

एक संत जो की बहुत बड़े ज्ञानी महात्मा परुष है वेदों का अच्छा ज्ञान है उनका वैशाली नगर मे आगमन हुआ है.राजा तुरंत संत को अपने महल मे लाया, खूब सेवा की.

संत ने राजा से पूछा की किसी बात को लेकर चिंतित जान पड़ते हो राजन, यदि कोई सवाल है मन मे तो पूछ लो.

राजन ने अपने सवाल संत जी के सामने रखते हुए कहा. हे ज्ञानी महात्मा! क्या ईश्वर भक्ति जैसे धर्म कर्म का रास्ता अपना कर मोक्ष प्राप्त कर पाना सम्भव है.

ज्ञानी संत ने उत्तर दिया, हे राजन, अगर हम सीधे तौर पर आपके पश्न का उत्तर दें तो आप उस उत्तर से कादचित संतुष्टि प्राप्त नहीं कर पाओगे.

सच्ची ईश्वर की भक्ति से मोक्ष प्राप्ति होती है, इस कथन मे कितनी सत्यता है  यह जानने के लिए आपको सम्पूर्ण ईश्वर भक्ति को विस्तार से समझना होगा.

सद कर्म और पुण्य कर्म क्या है? ये जाने बिना मोक्ष पाना तो दूर की बात है आप कर्मो से मुक्त नहीं हो सकते.

तो चलिए फिर नीचे बटन पर करके करके जानते है की कैसे महात्मा संत ने अपने अद्भुत ज्ञान से राजा के ज्ञान चक्षु खोल डाले, और मिल गया जीवन का अद्भुत ज्ञान 👇👇👇👇