भारत मे भारतीय रुपए /indian currency छापने का अधिकार सिर्फ RBI के पास ही है.
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ऐसे मे मन मे सवाल आता है की यदि RBI के पास नोट छापने वाली मशीन है तो खूब सारे पैसे छाप कर गरीबो मे क्यों नहीं बाट देती. भारत से ग़रीबी क्यों नहीं खत्म कर देती.
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दोस्तों एक जमाना हुआ करता था ज़ब आज की तरह bank not या सिक्के तक नहीं हुआ करते थे… तो उस वक़्त लोग खरीद बेच कैसे किया करते होंगे…..
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तो उस समय लोग एक दूसरे को सामान के बदले सामान ले दे कर अपनी अपनी जरूरतों को पूरा किया करते थे,
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जैसे किसी के पास गर ज़ादा मुर्गीयाँ थी, तो वह उन्हें या उनके अंडो को किसी जरूरमंद को देकर,बदले मे उससे वो खरीद लेते थे,जिसकी उन्हें जरूरत होती थी
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फिर इसके बाद ज़ब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने इस सिस्टम को देखा तो उनके मन मे विचार आया की इसे हटाकर एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए
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जिससे इस सिस्टम को एक विस्तृत व कानूनी रूप दिया जा सके और इस पुरे सिस्टम को अपने कंट्रोल मे कर के इसे एक व्यवस्थित तरिके से चलाया जा सके .
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तो दोस्तों,इस तरह सन 1770 मे भारत के कलकत्ता मे सबसे पहला bank बना, bank of hindustan..
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और इसके बाद से धातु से बने सिक्कों का चलन भी धीरे धीरे अंग्रेजो द्वारा खत्म किया गया और उसकी जगह कागज़ के बने नोट चलन मे लाए जाने लगे
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आगे चलकर ,यही से संविधान मे एक क़ानून पास कर,गठन किया गया RBI का.
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जिसे ना सिर्फ कई तरह की जिम्मेदारी भरा काम सौपा गया बल्कि कई तरह के अधिकार भी दिए गए, जिनमे से एक था की rbi जितने चाहे उतने पैसे छाप सकती है,...
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हाँ,,,, पैसो से याद आया, अगर ऐसा है तो RBI खूब सारे पैसे छाप कर उन्हें गरीबो मे क्यों नहीं बाँट देती, सबको अमीर क्यों नहीं बना देती,?
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भले ही भारतीय मुद्रा को छापने और उनका आबाँटन करने का अधिकार सिर्फ RBI के हाथो मे है…लेकिन,,,, इसका ये मतलब नहीं की RBI ज़ब मन मे आए करेंसी छापना शुरू कर दे……
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बिना सरकार की मर्जी और economy की needs के, विपरीत, RBI एक रुपया तक नहीं छाप सकती.
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सिर्फ यही नहीं गर RBI ने हद से जादा नोट छाप कर सबको बाट दिये तो भारत मे inflation आजाएगा यानि inflation, यानी महंगाई आसमान छूने लगेगी और भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी.
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