एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए,

कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाती थी

एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा-देखिये प्रभु, आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है आपको खेती-बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है

एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये, जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो, फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा !

परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा!

किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप चाही, तब धूप मिल गयी जब पानी चाह तब पानी मिल गया. तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी

समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी ठिकाना न रहा क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक कभी हुई ही नहीं थी

किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया

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