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क्या masturebation करना नेचुरल है?क्या masturebation करना सही होगा या ग़लत.

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हस्तमैथुन करने से मन और शरीर पर ऐसा क्या दुशप्रभाव पड़ता है जिस वजह से ज़िन्दगी नर्क के समान हों जाती है?

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यदि आप इन सवालों का सही जवाब जानना चाहते हों तो आखिर तक इस post को पढ़ते रहो.

आज मै आपको modern साइंस और महान आयुर्वेद के नजरिये से बताऊंगा की masturebation मनुष्य की जिंदगी के लिये कितना सही या ग़लत हों सकता है

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Masturebation यानी  हस्तमैथुन यह sexual life का एक हिस्सा माना गया है. हस्तमैथुन निजी तौर पर sex की तलब को संतुस्ट करने के लिये कई log अक्सर कर लेते है.

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यानी खुद ही अपने हाथों हस्तमैथुन करके खुद को सेक्सुअली satisfied कर लेते है.इसी प्रक्रिया को हस्तमैथुन कहा जाता है.

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लेकिन क्या आप जानते हों की कुछ समय के मज़े का आनंद लेने के बदले जो बहुमूल्य वीर्य आप निकाल देते हों उससे आपकी body मे कितने सारे दुशप्रभाव होने लगते है.

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सबसे पहले हम आपको बता दें की डॉक्टर्स इस पर क्या कहते है,आज कल युवाओं मे masturebation एक नार्मल habits बनता जा रहा है

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Modern साइंस की माने तो एक उमर के बाद हमारे हार्मोन्स ही कुछ इस प्रकार हों जाते है की हमें अपनी body को सेक्सुअली सटिस्फैइड करना पड़ता है.

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अगर आप ऐसा ना करें तो आपकी body अपने आप ही नाइटफॉल यानी स्वप्नदोष के ज़रिये,मात्रा से अधिक बने हुए शुक्राणुओं को लिंग द्वारा बाहर निकाल देगी.

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तो फिर सवाल ये उठता है की masturebation करना ग़लत कहाँ है?

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तो इस पर modern साइंस कहता है की यदि masturebation एक समय अंतराल पर किया जाए जैसे महीने मे 3 बार तो body पर इसका कोई ग़लत प्रभाव नहीं पड़ता.

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लेकिन ये पूरी सच्चाई नहीं है तो चलिये नीचे बटन पर क्लिक करके जानते है की क्या वाकई मे हस्तमैथुन करना सही होगा