story of success in hindi सफर 2 रुपये से 500 करोड़ तक

story of success in hindi सफर 2 रुपये से 500 करोड़ तक  – दोस्तो कोई भी बड़ी सफलता या कामयाबी रातो रात नहीं मिल जाती उसके लिए दिन रात कड़ी मेहनत , और संघर्स करना पड़ता है तब जा कर कामयाबी की बुलंदिया हासिल होती है । हर बड़ी कामयाबी के पीछे बहुत बड़ा संघर्स छुपा होता है। लेकिन यह दिन रात संघर्स करने की ताकत आखिर मिलती कहा है उनको , “यह ताकत मिलती है  motivation से। प्रेरणा से । जैसे प्रेरणादायक कहानियाँ (motivational stories) 

 

सफला -कामयाबी-success ये वो शब्द है जिसे सुनने के बाद हर किसी के मन मे एक सकारात्मक ऊर्जा (positive energy)  फैल जाती है मन  उतत्साह (excitement) से भर जाता है । मन मे सफलता (success) को लेकर कई प्रकार के  विचार(thoughts) आने लगते है की कैसे सफलता(success)को हासिल किया जा सकता है , ऐसे मे उनकी आखो के सामने सफल लोगो की तस्वीरे और कहानिया घूमने लगती है ।

की कैसे ये इंसान इतनी बड़ी कामयाबी को हासिल कर पाया ।कौन इंसान सफलता(success) को हासिल नहीं करना चाहता ज़रूरत है तो सिर्फ एक motivation की जो मन को सकारात्मक ऊर्जा से भर दे ।

 

सफर 2 रुपये से 500 करोड़ तक का -कामयाबी की एक ऐसी मिसाल जो सीने मे कामयाबी की आग लगा दे

story of success in hindi

 

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kalpna saroj

आज हम आपको ऐसी लड़की की कहानी (story) सुनाने जा रहे है । जो ना सिर्फ एक दलित समाज से बिलोंग करती है बल्कि  पूरा जीवन संघर्स से भरा होने के बावजूद हिम्मत और हौसले के साथ जीती रही  और आज  500 करोड़ की कंपनी की मालकिन है ।

तो चलिये जानते है इनके जीवन के संघर्स और कामयाबी की कहानी। ताकि आप भी इस कहानी के जरिये प्रेरित (motivate) हो सके और अपने जीवन के लक्ष्यो (मुकाम)को हासिल कर सके

हमारे समाज पर वर्षों से जात और धर्म का बहुत बड़ा प्रभाव रह चूका है। इस भेदभाव के कारण दलित समाज में पैदा हुए लोगो को सालों तक अन्याय और मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

कल्पना सरोज (kalpana saroj) की कहानी उस दलित पिछड़े समाज के लड़की की कहानी है जिसे जन्म से ही , समाज की उपेक्षा सहनी पड़ी, 12 साल की उम्र मे ही विवाह कर दिया गया था जिससे विवाह किया गया था वो लड़का सरोज से 10 साल बड़ा था ।बाल-विवाह का आघात झेलना पड़ा, ससुराल वालों के अत्याचार को सहा ।

दो रुपये रोज की नौकरी करनी पड़ी और उन्होंने एक समय खुद को ख़त्म करने के लिए ज़हर तक पी लिया, लेकिन आज वही कल्पना सरोज 500 करोड़ के बिजनेस की मालकिन है। kalpana saroj success story in hindi

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जिंदगी मे यदि कामयाब होना चाहते हो तो एक बात सदैव याद रखना – हर कामयाबी एक त्याग मांगती है | त्याग जितना ही अधिक होगा कामयाबी भी उतनी ही अद्भुत मिलेगी |

 


वो सब कुछ किया जा सकता है जो सोचा जा सकता है -All that can be done can be thought of

दुनिया मे ऐसा कोई कम नहीं जिसे किया न जा सके कुछ भी नामुमकिन नहीं होता ,इंसान वो सब कुछ कर सकता है जो वो सोच सकता है। और यह तभी संभव हो सकता है जब उसके अंदर भरपूर motivation होगी और पूरा मन सकारात्मक ऊर्जा (positive energy)  से भरा हो ताकि नकारात्मक विचार (negative thoughts) आपके मन मे जगह न बना पाए । एक motivation मे इतनी ताकत होती है जो एक नामुमकिन से लगने वाले  काम को भी मुमकीन (possible) कर देती है । एक motivation मे इतनी ताकत होती है की किसी भी इंसान के मन  मे इतनी ताकत भर सकता है की वो इंसान दुनिया का कोई भी कम आसानी से कर सकता है वो हर बड़े से बड़े मुकाम को हासिल कर सकता .इसी motivation की ताकत के जरिये वो ऐसा सब कुछ कर सकता है जो भी वो सोच सकता है ।


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सन 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के छोटे से गाँव रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में कल्पना का जन्म हुआ। कल्पना के पिता एक पुलिस हवलदार थे और उनका वेतन मात्र 300 रूपये था जिसमे कल्पना के 2 भाई – 3 बहन , दादा-दादी, तथा चाचा जी के पूरे परिवार का खर्च चलता था। इस प्रकार परिवार बड़ा होने के नाते पिता जी के वेतन (salary) घर का खर्च ठीक से नहीं चल पता था ।

 

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पुलिस हवलदार होने के नाते उनका पूरा परिवार पुलिस क्वार्टर(मकान) में रहता था।कल्पना जी पास के ही सरकारी स्कूल में पढने जाती थीं, वे पढाई में होशियार थीं पर दलित होने के कारण यहाँ भी उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की उपेक्षा झेलनी पड़ती थी।

 

कल्पना जी अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहती हैं –

हमारे गाँव में बिजली नहीं थी…कोई सुख-सुविधाएं नहीं थीं…बचपन में स्कूल से लौटते वक़्त मैं अकसर गोबर उठाना, खेत में काम करना और लकड़ियाँ चुनने का काम करती थी…

 

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कल्पना जी का कम उम्र में विवाह:- kalpana saroj success story in hindi

कल्पना जी जिस society से हैं वहां लड़कियों को “ज़हर की पुड़िया” की संज्ञा दी जाती थी, इसीलिए लड़कियों की शादी जल्दी करके अपना बोझ कम करने का चलन था। जब कल्पना जी 12 साल की हुईं और सातवीं कक्षा में पढ़ रही थीं तभी समाज के दबाव में आकर उनके पिता ने उनकी पढाई छुडवा दी और उम्र में कल्पना जी से भी 10 साल  बड़े एक लड़के से शादी करवा दी। शादी के बाद वो मुंबई चली गयीं जहाँ यातनाए पहले से उनका इंतजार कर रहीं थीं। इस प्रकार उन्हे ससुराल वालो का ज़ुल्म सहना पड़ा।

 

कल्पना जी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया-

मेरे ससुराल वाले मुझे खाना नहीं देते, बाल पकड़कर बेरहमी से मारते, जानवरों से भी बुरा बर्ताव करते। कभी खाने में नमक को लेकर मार पड़ती तो कभी कपड़े साफ़ ना धुलने पर धुनाई हो जाती।

 

ये सब सहते-सहते कल्पना जी जी की स्थिति इतनी बुरी हो चुकी थी कि जब 6 महीने बाद उनके पिता उनसे मिलने आये तो उनकी दशा देखकर उनके पिता जी ने उन्हें(कल्पना को)अपने साथ गाँव वापस लेजाने का फैसला किया और लेकर चले गये।

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