Citizenship Amendment Act 2019 CAA नागरिकता बिल

क्या है यह CAA and CAB –  Citizenship  Act 1955 and Citizenship Amendment Act 2019 

 

what is CAA and CAB and NRC नागरिकता संशोधन विधेयक – कुछ दिनो से भारत के कई राज्यों मे इस CAA यानी Citizenship Amendment Act 2019  हिन्दी मे कहे तो नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कड़ा विरोध किया जा रहा  है | इस कानून को लेकर खास कर मुसलमानो मे बहुत गुस्सा है |

भारत के कई राज्यों मे लाखो की संख्या मे लोग इस Citizenship Amendment Act 2019 का विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़को पर उतर आए है  | उधर पुलिस कर्मी और सुरक्षा बल भी अपनी तरफ से इस भीड़ को संभालने की पूरी कोशिश कर रही है |

विरोध और गुस्सा इस कदर भड़का हुआ है की  लोगो पर लाठी चार्ज और आसु बम फैके जा रहे है | भड़के हुए लोग बसो , मोटरसाइकलो को आग के हवाले कर रही है जनता और पुलिस के बीच झड़प इस कदर बढ़ गई है की  दंगे फसाद और मार पिटाई  शुरू हो गए है जिसमे कई पुलिस वाले और आम नागरिक बुरी तरह से घायल हो गए है |

 

“प्रदर्शन कारी” राज्यों मे इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है | ताकि लोगो तक झूठी अफवाह और गलत मैसेज न जा सके 

 

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आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ?- 

दराअसल 1955 के नागरिकता कानून  (Citizenship act 1955) के अनुसार इसमे यह कहा गया था की –

अवैध प्रवासियों (अल्पसंखक लोग -जो पाकिस्तान ,बांग्लादेश और अफगानिस्तान से निकाले  गए थे ) को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हों या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हों लेकिन उसमें  सीमित अवधि से ज्यादा समय तक भारत  रहने लगे हों  तो  ऐसे नागरिक को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती |

 

लेकिन अब 1955 के इस  नागरिकता कानून  (Citizenship act 1955) मे संशोधन (Amendment) कर दिया गया है  जिसमे यह लिखा है की  –

 

  •  जो विदेशी नागरिक 2014 से पहले से यहाँ भारत मे आकार बसे है उन्हे भारत की नागरिकता दे दी जाएगी | यानि की (CAA) नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment bill 2019) के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 2014 से पहले भारत मे आकार बसे  हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है।

 

  • दूसरी बात , पहले 1955 वाले Citizenship act मे जहां यह लिखा हुआ था की ऐसे नागरिक यदि 11 साल तक भारत मे रहे है उन्हे भारत की नागरिकता दे दी जाएगी लेकिन अब उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

 

 

यही वजह है की भारत के आधे राज्यों मे इस कानून का कड़ा विरोध किया जा रहा है |

 

 

आखिर ऐसा क्या है इस  नागरिकता संशोधन विधेयक मे जिसका  भारतीय जनता इतना विरोध कर रही है | what is CAA and CAB ?  तो चलिये इसे विस्तार से जानते है आखिर माजरा क्या है ? इसका असर किन लोगो पर पड़ेगा?

 

भारत की जनता मे यह मुद्दा दो  विचारधाराओं को लेकर है | पहली विचारधारा वो जिसमे  इस कानून को लेकर असम राज्य का अपना ही मुद्दा है इसी विचारधारा से पूरे असम राज्य की जनता इस कानून का कड़ा विरोध कर रही है |

वही दूसरी तरफ इस बिल को लेकर  भारत के तमाम राज्यो की जनता जिनकी अलग विचारधारा है यानी मुद्दा है जिसके चलते वो लोग इस कानून का विरोध कर रही है |

 

 

 

चलिये पहले जानते है असम के इलवा बाकी के राज्यों मे इस कानून को लेकर इतना विरोध क्यों किया  जा रहा है ?

(CAA)नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment bill 2019) मे मुस्लिम धर्म का नाम काही भी नहीं है जिसके चलते आँय राजनीतिक पार्टियों ने भारत के मुसलमानो मे यह भ्रांति फैला दी है की यह मुसलमानो के खिलाफ एक सदिश है उनकी इस देश से निकालने की | बस इसी बात पर इतना बवाल छिड़ा हुआ है और पूरी मुस्लिम जनता सहित कई राजनीतिक दल  सड़को आर उतर इस कानून का जोरदार विरोध कर रही है |

 

 

 

अब  बात करते हैं असम राज्य की – क्या है असम राज्य का मुद्दा ?-

 सन 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया, तब पूर्वी बंगाल और असम एक नया राज्य बनाया गया था | उस समय असम को पूर्वी बंगाल से जोड़ा गया था.  उस समय बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था जो की भारत का हिस्सा था | इसके बाद जब 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान भारत से अलग हो रहा था तब असम को लेकर यह डर फैल गया था  की  कहीं असम को  पूर्वी पाकिस्तान के साथ जोड़कर भारत से अलग न कर दिया जाए. 

इस बात को ध्यान मे रखते हुए असम को भारत का राज्य घोसित किया गया था |

 

असम मे अंग्रेजों के जमाने में चाय बागानों में काम करने और खाली पड़ी जमीन पर खेती करने के लिए बिहार और बंगाल के लोग असम जाते रहते थे, इसलिए असम के स्थानीय लोगों का एक विरोध बाहरी लोगों से हमेशा रहता था.

लेकिन देश के बटवारे के बाद भी पूर्वी पाकिस्तान से असम में लोगों के अवैध तरीके से आने का सिलसिला जारी रहा. जिसे लेकर थोड़ी बहुत आवाज उठती रही लेकिन इस मुद्दे ने खास तूल नहीं पकड़ा. 1951 के दशक मे जब अवध रूप से  पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से भारत मे असम के

रास्ते अवैध घुसपैठ होने लगी तब भारत सरकार ने इस पर एक कड़ा कदम उठाते हुए  सन 1952 मे  एक कानून बनाया गया जिसका नाम था NRC (National Register of Citizens) यानी  राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर|

 

क्या है यह NRC (National Register of Citizens) यानी  राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ?

NRC एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत यह पता लगन होता था की कौन भारतीय नागरिक है और कौन अवैध रूप से भारत मे आकर बसा हुआ है  जिस व्यक्ति के नाम NRC में शामिल नहीं होते हैं, उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है. एनआरसी वास्तव में वह प्रक्रिया है जिससे देश में गैर-कानूनी तौर पर रह विदेशी लोगों को खोजने की कोशिश की जाती है  फिर उन्हे उनके देश वापिस भेज दिया जाता है |

 

 

इसके बाद सन 1971 से पहले पूर्वी पाकिस्तान   पश्चमी पाकिस्तान का ही हिस्सा हुआ करता था लेकिन 1971 मे भाषा के आधार पर  पूर्वी पाकिस्तान ने पश्चमी पाकिस्तान से अलग हो कर अलग देश  “बंगलेश” बनाने का फैसला किया | पश्चमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान के इस समझोते से इंकार कर दिया जिसके चलते दोनों मे युद्ध  छिड़ गया | भारत पूर्वी पाकिस्तान का साथ दिया जिसके चलते पूर्वी पाकिस्तान जीत गया और इसी के साथ एक नया  देश  “बांग्लादेश ” बना |

 

इसके बाद जब पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने दमनकारी कार्रवाई शुरू की तो करीब 10 लाख लोगों ने बांग्लादेश सीमा पारकर असम में शरण ले ली. जिसके 

 

चलते असम के लोगो पर कुछ  बातों को लेकर खतरा मंडराने लगा |  वो खतरा यह था की – इतनी मात्र मे असम मे आकार बस रहे लोगो की वजह से असम के मूल निवासियों को खाने तक के लाले पड़ने लगे | उनके रिसौरसेस  सीमित मात्र मे थे जिसके तेजी से खतम होने का खतरा असम के निवासियों पर मंडराने लगा |

यहाँ तक की असम के निवासियों को वहाँ की स्थानीय कानूनी और सरकारी  सेवा का लाभ भी नहीं मिल पा  रहा था | असम निवासियों का मूल कल्चर खतरे मे पड़ता दिखाई दे रहा था |

जिसके चलते असम  निवासियों ने बंगदेश से निकले हुए इन लोगो का कड़ा विरोध किया | लोगो मे कत्ले आम मच गया | मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा | असम वासियों ने  NRC कानून मे बदलाव करने की बड़ी मांग की | हालत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसमे बदलाव किए |

 

जिसके चलते असम मे परमिट रूल जारी किया गया | इस परमिट रूल के तहत सिर्फ असम के मूल निवासी ही असम मे वैध रूप से  रह सकेगा  इसके इलवा और कोई भी बाहर से आया नागरिक असम मे मूल रूप से निवास नहीं कर सकेगा | 

इससे असम निवासियों को बहुत बड़ी राहत मिली | वही दूसरी तरफ इस कानून के लागू होने की वजह से असम मे आए अवैध रूप से  रह रहे लाखो लोगो को असम राज्य से बाहर शिफ्ट किया गया |

 

जिसके चलते इन लाखो लोगो को आज तक भारतीय नागरिकता नहीं मिल पाई है जिससे उनको बहुत परेशानियों सामना करना पड़ रहा है और अब इन्ही लाखो लोगो के लिए  केंद्रीय सरकार ने  1955 के   नागरिकता कानून  (Citizenship act 1955) मे संशोधन (Amendment) करते हुए एक कानून ले कर आई है  जिसका नाम है (CAA)नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment bill 2019)

 

 

  • (CAA)नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment bill 2019) के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 2014 से पहले भारत मे आकार बसे  हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है।

 

बस इसी के चलते पूरी असम की जनता इस कानून का कड़ा विरोध कर रही है | क्योकि उनको डर है की इस कानून के तहत उन लाखो लोगो को अब असम मे प्रवेश मिल जाएगा | तो ऐसे मे उस NRC कानून का क्या होगा जो उनके लिए बनाया गया था | यह तो उस कानून की अवहेलना हुई | ऐसे मे असम राज्य इसको NRC कानून से जोड़ कर देख रहा है| 

 

लेकिन इस कानून के पारित होने से पहले ही केन्द्र्रिय सरकार ने साफ कर दिया  की यह कानून असम राज्य मे लागू नहीं होगा | लेकिन कुछ राजनैतिक पार्टी द्वारा असम के लोगो मे यह भ्रांति फैलाई जा रही है की यह कानून उनके विरुद्ध है |

 जबकि सरकार ने पहले ही बता दिया है की इसका NRC से कोई लेना देना नहीं है कृपया लोगो झूठी बातों और अफवाहों मे आकर अपने देश का नुकसान एमटी करो 

 

इस नागरिकता संशोधन विधेयक के आने के बाद सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन असम में हुआ है. दरअसल असम में सन 1985 में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसका नाम ‘असम समझौता’ था.

इस समझौते के तहत 1971 के बाद बांग्लादेश से असम मे  रहने आए  नागरिक (अल्पसंख्यक) या फिर अवैध दस्तावेज़ के सहारे रह रहे नागरिकों  की पहचान कर उन्हे असम राज्य से बाहर कर दिया जाता था | 

 

अब  ऐसे में यह (CAA)नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment bill 2019) आने से इस समझौते पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग जायेगा. जिसके कारण असम में इसका बहुत अधिक विरोध हो रहा है.

 

 

जबकि (CAA)नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को लेकर केन्द्रीय सरकार पहले ही विधानसभा मे यह बता दिया था की की इसका किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है |वही दूसरी तरफ लोगो के गंगो को देखते हुए जब अपने ही देश को नुकसान पहुंचाया जा रहा था तब माननीय प्रधान मंत्री जी ने दिल्ली के राम लीला मैदान मे आकार एक सभा का आयोजन किया |

जिसमे उन्होने कहा की –

“प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषड़ मे लोगो को संबोधित करते हुए कहा की आप “ऐसी मानसिकता अपने मन से निकाल दे की यह कानून आपको इस देश से निकालने के लिए लाया गया है | यह कानून उन लाखो लोगो की जिंदगी सुधारने एवं उनके बेहतर बच्चो  भविसस्य के लिए लाया गया है जो आज से 70 साल पहले बांग्लादेश,पाकिस्तान ,अफगानिस्तान  से निकाल दिये गए थे तथा भारत आकर उन्होने शरण ली थी | उसी के चलते आज तक उनको भारत की नागरिकता नहीं मिली पाई  जिस वजह से उनको बहुत सी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है | यह कानून सिर्फ और सिर्फ उन लोगो की पहचान कर उनको भारत की नागरिकता दिलाना है ताकि उनको भारत सरकार की मूलभूत सुविधे प्रदान की जा सके और वह भी देश की उन्नति व प्रगति मे अपना भागीदार दे सके  और कुछ नहीं|”

 

 

जनता से गुजारिश है की कृपया करके किसी की झूठी बातों और अफवाहों मे आकर अपने देश का नुकसान न करे |

 

 

कैसे बना नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Act 2019) ?

यह 1955 का नागरिकता कानून  (Citizenship act 1955) है जिसमे सबसे पहली बार 15 जुलाई 2016 मे कुछ बदलाव (Amendment) कर के इसे संसद के दोनों सदनो (लोक सभा और राज्य सभा ) मे पेश किया गया था , जिसे (CAA)भारतीय नागरिकता संशोधन  विधेयक 2016  (Citizenship Amendment bill 2016) के नाम से जाना जाता है | 

 

| उस समय यह बिल लोक सभा मे कुछ दिनो की चर्चा के बाद 70% की बहुमत से पास कर दिया गया | लेकिन राज्य सभा मे जब यह बिल पेश किया गया तो शुरुआत मे कोई भी राजनीतिक पार्टी इसके पक्ष मे नहीं थी |

इस बिल को लेकर राज्यसभा मे तमाम पार्टियों के बीच आपसी मतभेद के चलते बहुमत प्राप्त नहीं कर पा रहा था वही दूसरी तरफ राज्यसभा का सत्र भी समाप्त होने को था | इन सब के चलते उस समय यह बिल राज्यसभा से पारित नहीं हो पाया था |

 

इसके बाद 4  दिसंबर 2019 को गृह मंत्री अमितशाह ने (CAA)नागरिकता संशोधन  विधेयक 2016  (Citizenship Amendment bill 2016) मे फिर से एक बड़ा बदलाव करते हुए इसको केंद्रीय सरकार (कैबिनेट ) द्वारा राज्यसभा मे पेश किया गया| जिसका नाम रखा गया नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment bill 2019)  |

जिस पर 6 दिनो की लंबी बहस के बाद 60%  वोट इस बिल के पक्ष मे आए , जिसके चलते यह बिल राज्यसभा मे 11 दिसंबर 2019 को राज्य सभा मे पास हो गया | इसके बाद आखिर मे राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर द्वारा इस बिल को कानूनी रूप दिया गया यानि बिल कानून बन कर पारित हो गया | 

 

 

एक कानून बनाने और उसे पारित करने के लिए तीन स्टेजो से हो कर गुजरना पड़ता है | सबसे पहले यह एक दस्तावेज़ मे एक बिल के रूप मे लोक सभा मे पेश किया जाता है फिर वहाँ से बिल पास होने के बाद इसे राज्य सभा मे पेश किया  जाता है फिर वह से मंजूरी मिलने के बाद आखिर मे इस पर राष्ट्रपति जी  अपनी मंजूरी देते हुए इस पर अपने हस्ताक्षर करते है तब जाकर यह बिल एक कानून का रूप ले पता है |

 

 

 

चलिये जानते है लोगो के इन पर क्या सवाल है ? इनहि सवाल जवाब जरिये हम इस बात को और अच्छे से समझते है –

 

 

(Q )-  किस कानून के तहत सरकार , किस नागरिक को भारत से निकाल सकती है ?

Ans- जिन लोगो के पास भारत मे रहने का कोई  कानूनी हक नहीं है तो ऐसे लोगो को सरकर -“विदेशी नागरिक अधिनियम 1947” (THE FOREIGNERS ACT 1946)  और पासपोर्ट एक्ट 1920 (passport Act 1920) के तहत 

वापिस उसे उसके देश भेज सकती है | यदि सरकार चाहे तो उसे जेल मे भी रख सकती है |

 

(Q )-  आखिर ये कौन लोग है जो भारत मे आकर बस गए थे ?

Ans- वो लोग ! जो अपने ही  देश यानी – पाकिस्तान ,अफगानिस्तान ,और बांग्लादेश से धर्म के नाम पर प्रताड़ित करके निकाल दिये गए थे तो ऐसे सताए हुए लोगो ने भारत मे शरण ली थी | ऐसे लोगो को अपसंखक अथवा अवैध परवासी माना जाता है जो की इन छे धर्मो से संबंध रखते है हिन्दू , सिक्ख , ईसाई , बौद्ध , जैन , पारसी|

यह वही लाखो लोग है जिनके हित के लिए सरकार (CAA)नागरिकता संशोधन कानून 2019 (Citizenship Amendment Act 2019) ले कर आई है |

 

(Q )-  किन लोगो को अल्पसंख्यक कहा जाता है ?

 Ans- ऐसे लोग जो अपने ही देश से धर्म के नाम पर प्रताड़ित करके निकाल दिये गए हो या फिर ऐसे लोग जिनके पास किसी भी देश की नागरिकता नहीं होती वो लोग किसी भी देश के मूल नागरिक नहीं माने जाते तो ऐसे लोगो को  अल्पसंख्यक कहा जाता है | इन्हे अवैध परवासी भी कहा जाता है |ऐसे लोगो को अपसंखक अथवा अवैध परवासी माना जाता है जो की इन छे धर्मो से संबंध रखते है हिन्दू , सिक्ख , ईसाई , बौद्ध , जैन , पारसी|

 

(Q )-  यह कानून लाने की जरूरत क्यों पड़ी ?

 Ans-  यह कानून भारत मे पिछले 70 सालो से रह रहे  उन लाखो अल्पसंख्यक लोगो के लिए लाया गया है जिका भविस्य खतरे मे है | ऐसे लोग पीछे 70 सालो से भारत मे बसे हुए है लेकिन अब तक उन्हे भारत की नागरिकता नहीं मिल पाई है जिसके चलते इन लाखो लोगो को हजारो मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है |

ऐसे लोगो के पास नागरिकता न होने की वजह से  न तो यह किसी अस्पताल मे इलाज कराने के लिए सामर्थ्य है और न ही इनको किसी प्रकार कोई सरकारी सहायता मिल पति है |

यहाँ तक की इनके बच्चो को भारत के  किसी स्कूल मे कोई दाखिला भी नहीं मिल पाता जिससे लाखो बच्चो का भविस्य खतरे मे था | ऐसी और भी हजारो मुश्किले है जो उनको झेलनी पड़ रही है |

तो इनहि सब बातों को ध्यान मे रखते हुए सरकार (CAA)नागरिकता संशोधन कानून 2019 (Citizenship Amendment Act 2019) ले कर आई है | इस कानून मे उनको भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है |

 

(Q )-  ये आप्लसंख्यक अथवा वैध परवासी – “नागरिकता संशोधन कानून 2019 (Citizenship Amendment Act 2019)” लागू होने के बावजूद भी  भारत के किन राज्यों मे नहीं रह सकते ?

 Ans-   भारत के जिन राज्यों मे संविधान के छठी अनुसूची के तहत इनर लाइन परमिट Inner Line Permit (ILP) जारी है वहाँ पर आप्लसंख्यक अथवा वैध परवासी – (CAA)“नागरिकता संशोधन कानून 2019 (Citizenship Amendment Act 2019)” लागू होने के बावजूद भी  भारत के इन  राज्यों मे नहीं रह सकते|

 

(Q )-  क्या होता है यह इनर लाइन परमिट Inner Line Permit (ILP)? What is this inner line permit?

 Ans-  जैसे  दूसरे देशों मे जाने के लिए हमे वीज़ा और पासपोर्ट की जरूरत पड़ती है ठीक उसी प्रकार भारत के इनर लाइन परमिट Inner Line Permit (ILP) लागू राज्यों  मे जाने के लिए ILP की जरूरत पड़ती है|

 

(Q )- क्यों और किन राज्यों  मे इनर लाइन परमिट Inner Line Permit (ILP) ? 

 Ans-   भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इनर लाइन परमिट कोई नया शब्द नहीं है.  दराअसल ! अंग्रेज़ों के शासन काल में सुरक्षा उपायों और स्थानीय जातीय समूहों के संरक्षण के लिए वर्ष 1873 के रेग्यूलेशन में इसका प्रावधान किया गया था.

 

असम ,अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम (asam, Arunachal Pradesh, Nagaland and Mizoram ) के बाद मणिपुर पांचवा ऐसा राज्य है जहां इनर लाइन परमिट यानी इनर लाइन परमिट Inner Line Permit (ILP) लागू हो गया है|