एकाग्रता की ताकत inspirational story

दोस्तों आज की इस एकाग्रता की ताकत inspirational story से आपको एकाग्र मन की ताकत का पता चलेगा.

 

एकाग्रता की ताकत inspirational story 

यह घटना है ब्रिटेन की. एक ट्रेन मे 30 साल का एक नौजवान भारतीय बैठा था.

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ट्रेन तेज़ गति से अपने गंत्वय की ओर बढ़ती चली जा रही थी. ट्रेन अंग्रेजों से भरी हुई थी।

ट्रेन के जिस डिब्बे मे भारतीय नौजवान बैठा था उसी ट्रेन मे कई अंग्रेज भी थे जो उस भारतीय नौजवान का मज़ाक़ उड़ा रहे थे.

डिब्बा अंग्रेजों से खचाखच भरा हुआ था। वे सभी उस भारतीय का मजाक उड़ाते जा रहे थे।

कोई कह रहा था, देखो कौन नमूना ट्रेन में बैठ गया।तो कोई उनकी वेश-भूषा देखकर उन्हें गंवार कहकर हँस रहा था।

कोई तो इतने गुस्से में था, की ट्रेन को कोसकर चिल्ला रहा था, एक भारतीय को ट्रेन मे चढ़ने क्यों दिया ?

इसे डिब्बे से उतारो।

किँतु उस धोती-कुर्ता, काला कोट एवं सिर पर पगड़ी पहने शख्स पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ा।

वह शांत एवं गम्भीर भाव से अपनी सीट पर बैठा था, मानो किसी उधेड़-बुन मे लगा हो।

ट्रेन द्रुत गति से दौड़े जा रही थी औऱ अंग्रेजों का उस

भारतीय का उपहास, अपमान भी उसी गति से जारी था।

किन्तु यकायक वह शख्स सीट से उठा और जोर से

चिल्लाया “ट्रेन रोको”।

कोई कुछ समझ पाता उसके पूर्व ही उसने ट्रेन की जंजीर खींच दी। नौजवान समझ गया की ऐसे तो ट्रेन रुकने से रही तो तुरंत ही उसने ट्रेन की एमरजेंसी ब्रेक खींच दी जिस वजह ट्रेन कुछ देर मे रुक गई.

अब तो जैसे अंग्रेजों का गुस्सा फूट पड़ा।

सभी उसको गालियां दे रहे थे।

 गंवार, जाहिल जितने भी शब्द शब्दकोश मे थे, बौछार कर रहे थे।

 किंतु वह शख्स गम्भीर मुद्रा में शांत खड़ा था। मानो उसपर किसी की बात का कोई असर न पड़ रहा हो।

उसकी चुप्पी अंग्रेजों का गुस्सा और बढा रही थी। इतने ट्रेन का गार्ड दौड़ा-दौड़ा उस डिब्बे पर आता है और कड़क आवाज में

सबसे पूछता है :- “चेन किसने खींची क्यों रुकवाई ट्रेन क्या बात हुई?”..

कोई अंग्रेज बोलता उसके पहले ही, वह भारतीय शख्स

बोल उठा:- “मैंने रोकी श्रीमान”..

गार्ड गुस्से भरी आवाज़ मे बोलता है – पागल हो क्या ?

पहली बार ट्रेन में बैठे हो ?

तुम्हें पता है, बिना कारण ट्रेन रोकना अपराध हैं:- “गार्ड गुस्से में बोला”

हाँ श्रीमान ज्ञात है किंतु मैं ट्रेन न रोकता तो सैकड़ो

लोगो की जान चली जाती।

उस शख्स की बात सुनकर सब जोर-जोर से हंसने लगे।

किँतु उसने बिना विचलित हुये, पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा:-

यहाँ से करीब एक 220 गज  की दूरी पर पटरी टूटी हुई हैं।

आप चाहे तो चलकर देख सकते है। यह सुनते ही पता लगाने की तीव्र इच्छा सबमे थी की क्या वाकई ये सच्च बोल रहा है,  इसलिए डिब्बे के तमाम अंग्रेज उतर कर गार्ड के साथ तरह से नीचे उतर कर आगे जा कर देखते है.

रास्ते भर भी अंग्रेज उस पर फब्तियां कसने मे कोई कोर-कसर नही रख रहे थे।

किँतु जैसे ही उस भारतीय की बताई हुई दुरी पर सब लोग पहुँचते है तक सबकी आँखें उस वक्त फ़टी की फटी रह गई जब वाक़ई , बताई गई दूरी के

आस-पास पटरी टूटी हुई थी।

नट-बोल्ट खुले हुए थे।

अब गार्ड सहित वे सभी चेहरे जो उस भारतीय को गंवार, जाहिल, पागल कह रहे थे।

वे सभी उसकी और कौतूहलवश देखने लगे। सभी जिज्ञासा भरी निगाहों से देखने लगे मानो पूछ रहे हो आपको ये सब इतनी दूरी से कैसे पता चला ??..

तभी गार्ड ने ताज्जुब भरी आवाज़ मे पूछा:- तुम्हें कैसे पता चला यंग मैन ,की ठीक इतनी दूरी पर पटरी टूटी हुई हैं ??.

उसने कहा:-

श्रीमान लोग ट्रेन में अपने-अपने कार्यो मे व्यस्त थे। उस वक्त मेरा ध्यान ट्रेन की गति पर केंद्रित था।

ट्रेन स्वाभाविक गति से चल रही थी। किन्तु ज़ब मैंने महसूर किया की अचानक पटरी की कम्पन से उसकी गति में परिवर्तन हुआ तो मै समझ गया.

ऐसा तब होता हैं, जब कुछ दूरी पर पटरी टूटी हुई हो।

अतः मैंने बिना क्षण गंवाए, ट्रेन रोकने हेतु जंजीर खींच दी।

गार्ड औऱ वहाँ खड़े अंग्रेज दंग रह गये।

गार्ड ने पूछा, इतना बारीक तकनीकी ज्ञान, आप कोई

साधारण व्यक्ति नही लगते।

अपना परिचय दीजिये।

शख्स ने बड़ी शालीनता से

जवाब दिया:- श्रीमान मैं इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया…

जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है डॉ विश्वेश्वरैया जी की जो की भारत देश के प्रथम आधुनिक इंजिनियर थे.

इस अदभुत घटना से ये समझ आता है की एकाग्र मन से बड़े से बड़े सटीक अनुमान लगाए जा सकते है.

इसी फॉर्मूले के साथ गर पढ़ाई की जाए ती बड़े से बड़े कांसेप्ट को आसानी से समझा जा सकता है.

एकाग्रता की ताकत inspirational story से सीख

तो दोस्त इस घटना से हमें ये सीख मिलती है की गर एकाग्र मन से कोई काम किया जाए तो उस कार्य सफलता जल्दी हासिल की जा सकती है.

उम्मीद करता हूं की यह कहानी आपको बहुत पसंद आई होगी

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